योगासन का अर्थ प्रकार और उपचारात्मक महत्त्व- meaning,types and remedial importance of yogasanas in hindi

  योगासन का अर्थ प्रकार और उपचारात्मक महत्त्व- meaning,types and remedial importance of yogasanas in hindi

यदि आप योगासन के संबंध में जानकारी चाहते हैं ,कि योगासन क्या है ।इसे कैसे किया जाता है। और हमारे शरीर की बीमारियों को दूर करने में इसका क्या महत्व है, तो यह लेख आपके लिए ही है। योगासन बहुत ही प्राचीन परंपरा है, जिसको हमारे ऋषि-मुनियों ने काफी शोध करके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के योग आसनों का वर्णन किया है।

 हठयोग में 84 प्रकार के आसन बताए गए हैं। प्रत्येक योगासन शरीर की विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सहायता करते हैं।उपचारात्मक दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो योगासन काफी महत्वपूर्ण है। सुबह के समय खाली पेट विभिन्न प्रकार की योग मुद्राओं को करके शरीर और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है।

योगासन का अर्थ प्रकार और उपचारात्मक महत्त्व- meaning,types and remedial importance of yogasanas in hindi


तो आइए अब हम इस लेख में जानेंगे कि

 योग आसन क्या है योगासन के प्रकार कितने हैं और इनका उपचार के दृष्टिकोण से हमारे शरीर पर क्या महत्व है।

तो सबसे पहले जानते हैं कि

 योगासन क्या है-what is yoga

 योगासन एक प्रकार की शारीरिक मुद्रा है जो हमें काफी देर तक स्थिर रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे सुखासन ,पद्मासन, सिद्धासन आदि।

 योगासन शरीर ही नहीं बल्कि मन को भी स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। जब भी व्यक्ति ध्यान, उपासना आदि के लिए बैठता है तो उसके शरीर की जो मुद्रा बैठने की जो मुद्रा है उसे योगासन कहा जाता है।

योगासन के प्रकार-types of yoga

योगासन मुख्यता चार प्रकार के होते हैं लेकिन आधुनिक युग में इन योगासनों का पांच प्रकार कहा गया है।जैसा कि हम उपरोक्त लेख में  जान चुके हैं कि योगासन एक प्रकार की शारीरिक मुद्रा है जो हमें काफी देर तक एक ही स्थान पर स्थिर रहने में सहायक होता है। योगासन को 5 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

1-बैठकर किए जाने वाले आसन-seated postures

सिद्धासन

 पद्मासन

सुखासन

 सिंहासन

बद्धपद्मासन

 योगमुद्रासन

 वज्रासन

शशकासन

 मंडूकासन

 कुर्मासन

गोमुखासन आदि विभिन्न प्रकार की मुद्राएं बैठकर की जाती हैं।

2-खड़े होकर किए जाने वाले आसन-standing posture

प्रणाम आसन

त्रिकोणासन

वृक्षासन

ताड़ासन

ध्रुवासन

गरुड़ासन

पादहस्तासन

वीरभद्रासन

नटराज आसन आदि विभिन्न प्रकार की योगिक मुद्राएं जो खड़े होकर के की जाती हैं।

3-पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन-lying back posture

सर्वांगासन

उत्तानपादासन

हलासन

कर्न पीड़ा सन

पवनमुक्तासन

कंधरासन

नौकासन

योग निद्रा शवासन

आदि विभिन्न प्रकार के आसन जो पीठ के बल लेट करके किए जाते हैं।

4-पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसन-lying on stomach

पृष्ठ तानासन

मकरासन

बालासन

भुजंगासन

धनुरासन

सलभासन

आदि  विभिन्न प्रकार की योगिक मुद्राएं जो पेट के बल लेट करके की जाती है।

5-आधुनिक आसन-modern yoga posture

 विपरीतकरणी

 सर्वांगासन

 शीर्षासन

नौकासन

कुक्कुटासन

 वक्रासन

 मयूरासन

 योगासन का उपचारात्मक महत्व-therapeutic importance of yoga

योगासन शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने का कार्य करते हैं। योगासन एक ऐसी क्रिया है जो शरीर मन और आत्मा को जोड़ने का कार्य करती है।आत्मा को परमात्मा से जोड़ना मन की चंचलता को नष्ट करना मन को एकाग्र करना यह सभी महत्वपूर्ण कार्य योगासन के द्वारा होते हैं।

यदि उपचारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जो भी बीमारियां होती हैं ,अधिकतर चिंता, डिप्रेशन और शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर ही बीमारियां मनुष्य के शरीर घेरती है।योगिक क्रियाएं मन को एकाग्र करने का कार्य करती है जिससे चिंता, डिप्रेशन, अवसाद आदि से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।शरीर की प्रतिरोधक छमता का विकास करने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है ।

बीमारी दो प्रकार  की होती है शारीरिक और मानसिक

मानसिक बीमारी को दूर करने में सहायक योगासन

हम यूं कह सकते हैं, कि योगासन के द्वारा मानसिक बीमारियों को दूर किया जा सकता है ।इस प्रकार की कई योगिक क्रियाएं हैं ,जिनको करके मानसिक बीमारियों को दूर किया जा सकता है ,जिससे मन एकाग्र होता है ।मन की एकाग्रता प्राप्त होने पर चिंता ,तनाव आदि विकार जन्म ही नहीं लेने पाते।और जब इस प्रकार के विकार नहीं होते हैं ,तो मानसिक उपद्रव शांत हो जाते हैं ,और जब मन शांत होता है तो बीमारियां शरीर को परेशान नहीं करने पाती हैं। मानसिक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

शारीरिक बीमारी को दूर करने में योगासन

शरीर से संबंधित बीमारियां जैसे पेट फूलना, कब्ज, गैस, बदहजमी या पेट से संबंधित सभी प्रकार के विकार योगासन से दूर किए जा सकते हैं।

हृदय से संबंधित बीमारियां भी योगासन की सहायता से दूर होती हैं।

अस्थि से संबंधित बीमारियां भी योगासन के द्वारा दूर होती है।योगासन की विभिन्न प्रकार की मुद्राओं को करके हड्डियों को लचीला बनाया जाता है जिससे किसी प्रकार की अस्थि भंग होने की समस्याएं लगभग नगण्य हो जाती है।

योगासन शरीर के सभी आंतरिक अंगों का व्यायाम करता है 

,जिससे हृदय ,फेफड़ा लिवर, यकृत ,किडनी ,आमाशय, मस्तिष्क ,फेफड़े आदि से संबंधित विकार दूर होते हैं। इसलिए उपचारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो योगासन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 योग एक पूर्ण विज्ञान है ।एक पूर्ण जीवन शैली है ।एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है, एवं एक पूर्ण अध्यात्म विद्या है।आधुनिक मानव समाज में जिस तनाव, अशांति ,अभाव एवं अज्ञान का शिकार है ,उसका समाधान केवल योग के पास है ।योग मनुष्य को सकारात्मक चिंतन के प्रशस्त पथ पर ले जाने की एक अद्भुत विधा है। योग एक प्रमाणिक और निशुल्क चिकित्सा पद्धति है।

Previous
Next Post »