फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए योगासन और प्राणायाम-yogasan and pranayam to increase lungs capacity

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए  योगासन और प्राणायाम-yogasan and pranayam to increase lungs capacity

फेफड़े हमारे शरीर के अहम हिस्से हैं जिनके द्वारा जीवन संभव होता है। बाहर से जो स्वास के द्वारा प्राण ऊर्जा खींची जाती है और जो हमारे शरीर को जीवन देती है। यह प्राण ऊर्जा फेफड़ों के द्वारा ही मिलती है यदि फेफड़ों में किसी प्रकार का विकार है तो सांस लेना लगभग असंभव हो जाता है। 


फेफड़ों को स्वस्थ बनाने के लिए उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए कुछ योगासन और प्राणायाम है, जिनका अभ्यास करके फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है। करोना वायरस का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है क्योंकि यह संक्रमण फेफड़ों से जुड़ा हुआ है। 

ऐसे में फेफड़ों को मजबूत बनाना बहुत ही आवश्यक है। फेफड़ों के द्वारा ही शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। शरीर के प्रत्येक हिस्से में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम फेफड़े ही करते हैं। योगासन और प्राणायाम के माध्यम से फेफड़ों में ऑक्सीजन के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।

वर्तमान समय की अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान और प्रदूषण के कारण फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, टीवी जैसी खतरनाक बीमारियां हो जाती है। ऐसी स्थिति में फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए योगासन और प्राणायाम का सहारा लिया जा सकता है।

फेफड़ों को मजबूत बनाने का काम करता है भुजंगासन

भुजंगासन का अभ्यास नियमित रूप से करके फेफड़ों को स्वस्थ बनाया जा सकता है। भुजंगासन दिल की ब्लॉक नसों को को खोलता है और फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इतना ही नहीं भुजंगासन शरीर की चयापचय क्रिया को भी मेंटेन करता है।

भुजंगासन कैसे करें

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए  योगासन और प्राणायाम-yogasan and pranayam to increase lungs capacity


1-भुजंगासन करने के लिए पेट के बल लेट जाएं

2-हाथों की हथेलियों को भूमि पर रखते हुए हाथों को छाती के दोनों और रखें।

3-कोहनिया ऊपर उठी हुई तथा भुजाएं छाती से सटी हुई होनी चाहिए।

4-पैर सीधे तथा पंजे आपस में मिले हुए हो।

 5-पंजे पीछे की ओर तने हुए भूमि पर टिके हुए हो।

6-श्वास को अंदर भरकर छाती एवं सिर को धीरे-धीरे ऊपर उठाइए।

7-नाभि के पीछे वाला भाग भूमि पर टिका रहे।

8-सिर को ऊपर उठाते हुए एक गर्दन को जितना पीछे की ओर मोड़ सकते हैं मोड़ना चाहिए इस स्थिति में करीब 30 सेकेंड तक रहे।

9-इस तरह से अपनी शक्ति के अनुसार आवृत्ति करें।

भुजंगासन से लाभ

यह आसन शरीर में ऑक्सीजन को समुचित मात्रा में पहुंचाता है। दिल की ब्लॉक नसों को खोलता है और फेफड़ों के रास्ते को साफ करता है। भुजंगासन करते समय सीने में एक तरह का खिंचाव होता है। जिससे फेफड़ों का व्यायाम हो जाता है।इसको करने से लगभग स्वास्थ्य संबंधी समस्त प्रकार की बीमारियों में लाभ मिलता है।

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए नौकासन

नौकासन करने से फेफड़े और हरदा दोनों को मजबूती मिलती है।

नौकासन कैसे करें

yogasan and pranayam to increase lungs capacity


1-दोनों हाथों को जांघों के ऊपर रखकर सीधे लेटे।

2-श्वास को अंदर भरते हुए पहले शिर एवं कंधों को ऊपर उठाएं पैरों को भी ऊपर उठाएं

3-हाथ, पैर एवं सिर समानांतर नाव की तरह उठे हुए हो।

4-इस स्थिति में कुछ समय तक रुक कर धीरे-धीरे हाथ, पैर एवं सिर को भूमि पर श्वास बाहर निकालते हुए ले आएं।

5-इस तरह 3 से 6 बार तक आवृत्ति करें।

नौकासन के लाभ

नौकासन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं लगभग श्वास संबंधी सभी बीमारी टीवी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ,निमोनिया श्वसन संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है।

फेफड़ों को मजबूत बनाता है मार्जारासन

मार्जारासन करने  की विधि

1-दोनों हाथों की हथेलियों एवं घुटनों को भूमि पर टिकआते हुए स्थिति में आएं

2-अव श्वास को अंदर भरकर छाती एवं सिर को ऊपर उठाएं

3-कमर नीचे की तरफ झुकी हुई हो।

4-थोड़ी देर इस स्थिति में रहकर श्वास बाहर छोड़ते हुए पीठ को ऊपर उठाये तथा सिर को नीचे झुकाए।

5-इस तरह 5 से 6 बार अभ्यास करें।

मार्जारासन  के लाभ

फेफड़ों को बलवान बनाता है।इस आसन के नियमित अभ्यास करने से श्वसन संबंधी समस्त प्रकार के विकारों में लाभ मिलता है।

फेफड़ो को मजबूत बनाता पादहस्तासन

पादहस्तासन करने की विधि

1-किसी समतल स्थान पर योगा मैट बिछा ले

2-योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं ध्यान रहे जब आप सीधे खड़े हो तब आप की रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।

3-पांव के दोनों पंजों को आपस में मिला लें।

4-दोनों हाथों को शरीर के पीछे ले जाएं

5-फिर हाथ वापस आगे की ओर लाएं और रुके।

6-सीधे खड़े होकर अपने घुटनों को थोड़ा सा नरम बनाएं।

7-कमर को मोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ झुके।

8-शरीर का संतुलन बनाए रखने का प्रयास करें।

9-ध्यान रखें कि इस योगासन को करते समय आपके पैर बिल्कुल सीधे होने चाहिए।

10-अब आपका सर आपके पंजों के समीप आ जाएगा और आपकी नाक और मुंह आपके पैरों को स्पर्श करता हुआ रहना चाहिए।

11-अपने दोनों हाथों को इस प्रकार रखें कि आपके हाथ आपकी एड़ियों को स्पर्श करते हुए हो।

12-धीरे-धीरे वापस उठे लंबी गहरी सांस लेकर विश्राम करें।

पादहस्तासन के लाभ 

पादहस्तासन करने से फेफड़ों का व्यायाम होता है इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं और स्वास संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है।

 फेफड़ो को मजबूत बनाता है कपालभाती 

 कपालभाती से मस्तिष्क के सामने का हिस्सा सुद्ध करने का उत्तम उपाय है। इसके साथ ही पेट के अंगों तथा श्वसन क्रिया में भी सुधार होता है ।मन को शान्त व शक्तिशाली बनाने की यह उत्तम बिधि है ।

मानसिक थकावट होने पर इसकी दस आवृत्तियाँ थकावट दूर करके शरीर को उर्जा से भर देती है ।इससे मन की एकाग्रता बढ़ जाती है जो डिप्रेशन को कम करने  में सहायक है ।कपालभाती का अभ्याश करने से रक्त का संचार शरीर के साथ –साथ मस्तिष्क की ओर अधिक मात्रा में होता है ।रक्त का संचार हाइपोथेलेमस की ओर होने से पीयूष ग्रंथि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है ।

फेफड़ो को मजबूत बनाता है भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि

1-किसी भी एकांत अथवा शांत वातावरण में बैठ जाए, जो भी आसन आपको सुविधाजनक लगे जैसे सिद्धासन या वज्रासन या पद्मासन में किसी भी आसन में बैठकर अपनी आंखों को बंद करें ।और थोड़ी देर के लिए शरीर को पूरी तरह से शिथिल कर ले और अपना मुंह बंद रखें।

2-आंखों को बंद करके अपने शरीर के संपूर्ण अंगो को शिथिल कर ले। आपके मन में किसी प्रकार का विचार ना हो।

3-अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।

4- 10 बार दोनों नथनों से तीव्र गति से श्वास लें और छोड़ें।अपने मन में गिनती करते जाएं ,कि हमने कितनी बार श्वास लिया है और कितनी बार सांस को बाहर निकाला है।

5-दोनों नाक के माध्यम से धीमी गति से और गहराई से श्वास लें।

6-दोनों नथनों को बंद कर ले और कुछ सेकंड के लिए श्वास को अंदर रोककर रखें।

7-धीरे-धीरे दोनों नथनों से स्वास छोड़ें।

8-उपरोक्त बताए गए तरीकों से बाएं और दाएं और दोनों नथनों के माध्यम से स्वास लेना  एक भस्त्रिका प्राणायाम का चक्कर पूरा करता है। इस प्रक्रिया को कम से कम 5 बार अवश्य दोहराएं।

9-भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास तीन अलग-अलग स्वास की दरों से किया जा सकता है। धीमी गति से, मध्यम गति से, और तीव्र गति से, मध्य और तीव्र गति से काफी अभ्यास होने के बाद ही शुरू करें। शुरुआत में केवल धीमी गति से ही भस्त्रिका प्राणायाम करें।

भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ

भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से शरीर के विषाक्त पदार्थ समाप्त हो जाते हैं। बात, पित्त ,कफ सभी संतुलित हो जाते हैं।

 

फेफड़ों में हवा के तेजी से अंदर- बाहर होने की वजह से रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली तीव्र गति से होती है। इसी कारण से चयापचय का दर् बढ़ जाता है। शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

इस प्राणायाम से गले में सूजन और कफ का संरक्षण कम हो जाता है।

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए उपरोक्त लिखे हुए आसन और प्राणायाम करके अपने फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है यदि यह लेख आप लोगों को पसंद आता है तो इसे लाइक शेयर करे। अपने कार्य के लिए परिवार के लिए घर के लिए लोग समय निकालते हैं  लेकिन अपने जीवन की रक्षा के लिए ,और अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सुबह  कुछ समय निकालकर के योग के माध्यम से रोगों से बचा जा सकता है।

 

 

 

 

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