वृक्षासन के फायदे रोज करे शरीर की लम्बाई बढ़ाने के लिए-do the benefits of vrikshasana daily to increase the length of the body in hindi
वृक्षासन शरीर कीलंबाई बढ़ाने के लिए उपयुक्त आसान है। इस आसन को करते समय शरीर की मांसपेशियों में
खिंचाव उत्पन्न होता है, जिसके कारण लंबाई बढ़ाने
में यह आसन किसी वरदान से कम नहीं है।
जिन बच्चों के
माता-पिता अपने बच्चों के छोटे कद के लिए परेशान रहते हैं। या जिनका कद छोटा है
उनको यह आसन अवश्य करना चाहिए। इस आसन को नियमित अभ्यास करने से शरीर की लंबाई में
आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है।
वृक्षासन क्या है-what
is vrikshasana
इस आसन को करते
समय शारीरिक मुद्रा एक वृक्ष के समान होती है। जिस तरह से एक वृक्ष होता है जो
अपनी जड़ों का विकास करके अपनी जड़ों को मजबूत कर लेता है,
ठीक उसी प्रकार इस आसन को करने से पैरों को मजबूती प्रदान होती है।
अंग्रेजी में इस आसन को ट्री पोज के नाम से जाना जाता है।
वृक्षासन करने की
विधि-steps
of vrikshasana
1-किसी साफ-सुथरी
हवादार जगह पर सूर्य की तरफ मुंह करके खड़े हो जाए।
2-अब दाहिने घुटने
को मोड़ते हुए बाई जांघ पर रखें।
3-बाएं पैर को जमीन
पर मजबूती से पकड़ बनाए रखें।
4-अब अपने दोनों
हाथों को उठाते हुए अपने सिर के ऊपर ले जाएं।
5-नमस्कार की
मुद्रा में दोनों हाथों को आपस में मिला ले।
6-शरीर का संतुलन
बनाए रखें।
7-स्वास- प्रश्वास
की गति सामान्य रूप से करते रहें।
8-अपना ध्यान दूर
रखी किसी वस्तु पर टीकाएं।
9-इस आसन को करते
समय रीढ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए।
10-सुख पूर्वक जितने
समय तक इस स्थिति में रोक सकें रुके।
11-पुनः प्रारंभिक
स्थिति में वापस आ जाएं।
12-अब दाहिने पैर को
जमीन पर टिकाए।
13-बाएं पैर को
मोड़ते हुए दाहिनी जांघ पर रखें।
14-श्वास भरते हुए
अपने दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा बनाते हुए अपने सर के ऊपर ले जाएं।
15-दाहिने पैर से
जमीन पर मजबूती बनाए रखें।
16-स्वास प्रश्वास
की सामान्य दर करते रहें।
17-जितनी समय तक
संभव हो सके इस आसन में रुके।
18-पुनः प्रारंभिक
स्थिति में वापस आ जाएं।
19-इसका अभ्यास चार
से पांच बार दोनों पैरों के साथ करें।
(इसको भी पढ़ें -पश्चिमोत्तानासन के फायदे )
वृक्षासन के
फायदे-benefits
of vrikshasana
1-शारीरिक संतुलन
बनाने के लिए यह उपयोगी आसान है।
2-शरीर की लंबाई
बढ़ाने के लिए उपयुक्त आसान है।
3-छोटे कद के लोगों
को अपने दैनिक अभ्यास में इस आसन को सम्मिलित करना चाहिए शारीरिक लंबाई में वृद्धि
होती है।
4-शरीर में रक्त के
संचार को नियमित करता है।
5-मानसिक संतुलन
बनाए रखता है मन में प्रसन्नता का भाव पैदा करता है।
6-वृक्षासन पैरों
को मजबूती प्रदान करता है।
7-न्यूरो से जुड़ी
हुई समस्याओं को भी दूर करने में यह सहायक आसन है।
8-घुटने ,कमर की हड्डियों के जोड़ों को भी मजबूत करता है।
9-इस आसन को करने
से बच्छ स्थल को मजबूती मिलती है।
10-आंख ,कान ,नाक और गले से संबंधित परेशानी को दूर करने में
यह सहायक आसन है।
11-मानसिक एकाग्रता
में वृद्धि करता है।
(इसको भी पढ़ें -रोगमुक्त जीवन जीने के लिए करें 5 आसन )
वृक्षासन करते
समय सावधानियां-precautions while doing vrikshasana
1-हृदय रोग से पीड़ित
व्यक्तियों को इस आसन को नहीं करना चाहिए।
2-अधिक सर दर्द की
स्थिति में इस आसन को ना करें।
3-शरीर का बैलेंस
बनाने का अभ्यास नित्य करने से यह आसन सामान्य हो जाता है,
जबकि प्रारंभिक अवस्था में इस आसन को करते समय बैलेंस बनाने में
कठिनाई होती है।
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