सर्वांगासन करने का सही तरीका और लाभ-sarvangasan ka treeka ahur labh

सर्वांगासन करने का सही तरीका और लाभ-sarvangasan ka treeka ahur labh



सर्वांगासन करने का सही तरीका और लाभ-sarvangasan ka treeka aur labh

अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से योगासन करना चाहिए ।योगाभ्यास करने से तन ,मन चुस्त- दुरुस्त रहता है। यदि आपके पास अधिक समय नहीं है तो आप सर्वांगासन करके ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।यह आसन अष्टांग योग का प्रमुख आसन है 

सर्वांगासन कैसे करे इसकी सावधानियां और लाभ हिंदी में -how to do sarvangasana its precautions and benefits in hindi

सर्वांगासन करने का सही तरीका-sarvangasan karne ka sahi tareeka

1-सबसे पहले आप पीठ के बल सीधा लेट जाएं। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों और बगल में सटाकर हथेलियां जमीन की ओर करके रखें।

2-श्वास अंदर भरकर पैरों को धीरे- धीरे 30 डिग्री , फिर 60 डिग्री और अंत में 90 डिग्री तक उठाएं। पैरों को उठाते समय हाथों से सहायता ले सकते हैं।90 डिग्री पर यदि सीधा ना हो तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएं। कोनिया भूमि पर टिकी हुई हों और पैरों को मिलाकर सीधा रखें।

3-पंजे ऊपर की ओर तने हुए एवं आंखें बंद हो अथवा पैर के अंगूठे पर दृष्टि रखे।

4-2 मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे यह आसन आधे घंटे तक किया जा सकता है।

5-वापस आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएं।

6- दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें।

7-जितने समय तक सर्वांगासन किया जाए लगभग उतने समय तक शवासन में विश्राम करें।इस आसन का प्रतियोगी या पूरक आसन मत्स्यासन है।अतः शवासन में विश्राम से पूर्व मत्स्यासन करने से इस आसन से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें-dhyan rakhne yogy baten

अगर आप सर्वांगासन कर रहे हैं तो इसके पश्चात मत्स्यासन का अभ्यास अवश्य करें। अन्यथा आप को इस आसन से कोई विशेष लाभ नहीं होगा। और आपको सर्वाइकल पेन होने का डर भी बना रहेगा। अगर कोई गर्भवती महिला है तो वह यह आसन कदापि न करें।

सर्वांगासन के लाभ-sarvangasan ke labh

1-सर्वांगासन थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है। इसलिए मोटापा, दुर्बलता, कदम वृद्धि में कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं।

2-एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं दिव्य ग्रंथियों को सबल बनाता है।

3-सर्वांगासन में थायराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ने के कारण थायराइड ग्रंथि ठीक से काम करने लगती है।

4-लगातार इस आसन का अभ्यास करने वाले लोगों की फ्राइड की समस्या ठीक हो जाती है।

 5- पेट के समस्त विकार दूर हो जाते हैं। शरीर में ब्लड सरकुलेशन बेहतर हो जाने के कारण एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति प्राप्त होती है।

6-इस आसन को करने से थकान और दुर्बलता आदि दूर हो जाती है।

7-इस आसन से मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर ढंग से होता है जिसके कारण बालों को झड़ने की भी समस्या से मुक्ति मिलती है।

8- इस आसन के अन्य लाभ शीर्षासन के समान हैं। परंतु इस आसन में यह विशेषता है कि जिनके लिए शीर्षासन निषेध है, हुए भी इस आसन को कर सकते हैं।दमा की दो तीन अवस्थाओं के लिए भी यह आसन उपयोगी पाया गया है क्योंकि इस आसन में कंधे स्थिर होते हैं। स्वास भी उदर का एब्डोमिनल हो जाता है। उदर के अंगों आंत्र इत्यादि का भार मध्यच्छदा पेसी पर पडने से तथा स्वास् प्रवास में भाग लेने से डायफ्राम कीटोन में सुधार आता है।

9-इस आसन से थायराइड एवं पिच यूटरी इंग्लैंड के मुख्य रूप से क्रियाशील होने से यह कद वृद्धि में विशेष उपयोगी है ।

10-इस आसन को करने से आँखों की रोशनी में वृद्धि होती है ।

 सर्वांगासन में सावधानियां-sarvangasan me sawdhaniyan

1-गर्दन में दर्द की समस्या हो तो उनके लिए सर्वांगासन हानिकारक है उन्हें या आसन नहीं करना चाहिए।

2-उच्च रक्तचाप हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तियों को सर्वांगासन नहीं करना चाहिए।

3-जिन व्यक्तियों के कमर में दर्द हो उनके लिए भी यह आसन निषेध है।

4-जिनको चक्कर आता है उनको भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

5-अपनी शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार ही यह आसन करना चाहिए।

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