ॐ शब्द का सही उच्चारण करने से मन पर होता है सकारात्मक प्रभाव जानें कैसे करें

 ॐ शब्द का सही उच्चारण करने से मन पर होता है सकारात्मक प्रभाव जाने कैसे करें 

ॐ एक जादुई शब्द है यह मंत्र छोटा जरूर है लेकिन इसका प्रभाव बहुत व्यापक है। इसका उच्चारण करना कठिन है अक्सर लोग ॐ का उच्चारण करते समय गलती करते हैं। मंत्र कोई भी हो गलत उच्चारण करने पर उसका प्रभाव गलत हो जाता है इसलिए मंत्र का उच्चारण सही ढंग से किया जाना चाहिए जिससे उसका प्रभाव सकारात्मक पड़े और उसका असर सकारात्मक हो।


ॐ का उच्चारण करते समय आपका पूरा फोकस इसी शब्द पर होना चाहिए।

इस शब्द का उच्चारण करते समय आप इसे अंदर से महसूस करें।

ॐ शब्द का सही उच्चारण करने से मन पर होता है सकारात्मक प्रभाव जाने कैसे करें


ॐ शब्द का जादुई असर

हिंदू धर्म शास्त्रों में ॐ को बहुत ही पवित्र माना गया है बिना इस शब्द के कोई भी मंत्र पूरा नहीं है।लगभग जितने भी मंत्र हैं सभी में ॐ का उच्चारण अवश्य आता है। कहते हैं ॐ शब्द भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। इसका उच्चारण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

विज्ञान ने भी इस चीज को माना है कि ॐ शब्द का उच्चारण करने से मेडिटेशन होता है इस शब्द में मेडिटेट करने की क्षमता है।

मेडिटेशन करते समय ॐ का उच्चारण किया जाता है इससे ध्यान गहरा होता जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ॐ के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि, वाइब्रेशन से मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मन शांत होता है कई तरह के शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाने में भी ॐ शब्द महत्वपूर्ण है।

इस शब्द में बहुत बड़ी शक्ति है, तो आइए जाने कि कैसे इसका हमें उच्चारण करना चाहिए और किस समय पर करना चाहिए जिससे अधिक लाभ मिल सके।

ॐ शब्द का उच्चारण कैसे करें

ॐ अपने आप में एक संपूर्ण मंत्र है ।यह मंत्र छोटा है उच्चारण करने में आसान नजर आता है। लेकिन इसका उच्चारण करना कठिन होता है ।अक्सर लोग ॐ का उच्चारण करते समय गलतियां करते हैं ,जिसके कारण इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है क्योंकि मंत्र कोई भी हो यदि वह सही ढंग से बोला जाएगा ।सही तरीके से उसका इस्तेमाल किया जाएगा ,तो वह सकारात्मक प्रभाव देगा अन्यथा की स्थिति में उसका प्रभाव नकारात्मक होगा इसलिए ॐ शब्द को बोलने के लिए सही उच्चारण की आवश्यकता है।

ॐ शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है अ , उ और म

इसमें अ का अर्थ है उत्पन्न करना, उ का अर्थ है उठाना ,और म का अर्थ है मौन रहना।

अर्थात जब यह तीनों शब्द मिलते हैं तो उसका अर्थ होता है ब्रह्मालीन हो  जाना। इसलिए आप जब भी ओम शब्द का उच्चारण करें तो इसका ध्यान रखते हुए करें आंतरिक मन की गहराइयों में उतरते हुए और अंतर्मन से इस शब्द का उच्चारण करना चाहिए।

ॐ शब्द का उच्चारण करते समय एक विशेष प्रकार का वाइब्रेशन पैदा होता है। इसी वाइब्रेशन के कारण शरीर के अलग-अलग हिस्सों में कंपन पैदा होता है।

जब उ का उच्चारण होता है तो शरीर के मध्य भाग में कंपन पैदा होता है ,जिससे हृदय फेफड़े तथा पेट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

म का उच्चारण करते समय मस्तिष्क में वाइब्रेशन पैदा होता है जिससे मस्तिष्क के अंदर सारी नसें खुल जाती हैं। शरीर के महत्वपूर्ण आर्गन इन्हीं दो हिस्सों में होते हैं जिन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ॐ के उच्चारण से उत्पन्न कंपन शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करता है। इससे ध्यान लगाने की क्षमता विकसित होती है। मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है। बुद्धि का विकास होता है।

ॐ के उच्चारण से तनाव दूर होता है ,और मानसिक शांति मिलती है। यह शब्द इतना पवित्र है कि इसको सुनते ही और उच्चारण करते ही ।शरीर और मन दोनों पवित्र हो जाते हैं मन का मैल मिट जाता है ,शरीर निरोगी हो जाता है।

ॐ शब्द से सोचने समझने का तरीका और नजरिया बदलता है जीवन में आने वाली कई परेशानियों से बाहर निकालने का रास्ता दिखाता है यह मंत्र।

ॐ का उच्चारण करने का सही समय

हर चीज का एक निश्चित समय होता है समय पर किए गए कार्य का सकारात्मक फल मिलता है व असमय किए गए कार्य का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।लेकिन ओम को भगवान शिव का सबसे प्रिय शब्द माना गया है

 यहां तक कि ॐ शब्द को भगवान शिव ही माना गया है। ओम शब्द का उच्चारण करने के लिए सही समय सूर्योदय से पहले करना चाहिए और इसकी संख्या 108 होनी चाहिए क्योंकि 108 बार ॐ मंत्र का उच्चारण करने से जीवन की बहुत सारी समस्याएं समाप्त होती है । सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

सूर्योदय से पहले किसी शांत स्थान पर सुखासन की मुद्रा में बैठ कर के ॐ का 108 बार उच्चारण करें ,ऐसा करने से जीवन में आने वाली तमाम तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है।

ॐ शब्द का उच्चारण करते समय आपका पूरा फोकस इसी पर होना चाहिए। इस शब्द का उच्चारण करते समय आपको ध्यान लगाकर अंतर्मन की गहराई से इस शब्द का उच्चारण करना है और इसी को देखना है।

यदि आप ऐसा करते है तो आप शारीरिक रूप से स्वस्थ्य और मानशिक रूप से प्रसन्न रहेंगे ।

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