भगवान शिव के गण नंदी का क्या रहस्य है?-bhagwan shiv ke gan nandi ka kya rahasy hai

भगवान शिव के सामने की तरफ मुंह करके बैठे हुए नंदी का रहस्य जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।नंदी का शिव की तरफ मुख होना द्रढ़ता का प्रतीक है ।आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से होना सदा सुख देने वाला होता है ।शेष सभी दुःख देने वाले होते है ।शिव एक अनंत पावर हॉउस ,अनंत उर्जा के श्रोत है ।उस अनंत उर्जा से जुड़ने पर ही आत्मा उर्जा प्राप्त करती है ।

भगवान शिव के जितने भी मंदिर हैं सभी मंदिरों में या ज्योतिर्लिंग के रूप में जहां-जहां भी भगवान शिव के मंदिर स्थापित हैं। वहां भगवान शिव की तरफ मुंह करके बैठे हुए नंदी जी को देखते हैं नंदी जी भगवान शिव के वाहन है।


 भगवान शिव के गण नंदी का क्या रहस्य है?-bagwan shiv (lord shiva) ke gan nandi ka kya rahasy hai 

भगवान शिव के गण नंदी का क्या रहस्य है?-bhagwan shiv ke gan nandi ka kya rahasy hai


शिव ज्योतिर्लिंग अर्थात उनका एक प्रतीकात्मक रूप ,चिन्ह या निशानी है, शिव निराकार है ,उनका कोई स्थूल साकार स्वरूप नहीं है।फिर भी हम उनकी पूजा कैसे करें या उन पर  बेलपत्र ,पुष्प माला ,फूल आदि कैसे अर्पित करें।इसीलिए भगवान शिव जी के मंदिरों में उन्हें शिवलिंग के रूप में स्थापित किया गया है।

शिव निराकार और नंदी साकार स्थूल रूप में उनका वाहन कैसा होगा यह एक प्रश्न उत्पन्न होता है।

शिव को निराकार परमात्मा कहते हैं जिन्हें शरीर ही नहीं है ,उन्हें नंदीबैल पर बैठने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या शिवजी नंदी पर बैठ कर आकाश मार्ग में जाते थे। भगवान शिव तो निराकार हैं उनको वाहन की क्या आवश्यकता?

आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो वह शरीर से मुक्त होने से कहीं भी तीव्र गति से विचरण कर सकती है। ठीक वैसे ही परमात्मा भी प्रकाश की गति से भी तीव्र कहीं भी जा सकते हैं उन्हें वाहन या सवारी की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

शिव निराकार माना उन्हें कोई भी आकार नहीं ऐसा नहीं है। लेकिन वे भी एक सूक्ष्म ज्योतिरबिंदु स्वरूप है। लेकिन शिव गुण और शक्तियों में सिंधु है। शिव परमात्मा सागर है तो हम भक्त आत्माएं गागर, वह सर्वशक्तिमान पावर हाउस, तो हम सिर्फ बैट्रियां है।जो शिव से प्रीत लगा कर उस अनंत पावर हाउस से अपने मनोबल से जुड़कर उनसे सर्व शक्तियां प्राप्त कर लेता है।

जब आत्माएं विकारों में जन्म जन्मांतर विकारों में गिरती जाती हैं तो विकार के कारण पतित बन कर शक्तिहीन रह जाती हैं। अर्थात आत्मा रूपी बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है इसी कारण आत्माएं दुखी होकर ईश्वर को पुकारती हैं तब पतित पावन परमात्मा से हम आत्माएं योग द्वारा जोड़कर फिर से चार्ज होती हैं अर्थात पावन बनती।

शिव जी को शिव शंभू कहा गया है क्योंकि वह स्वयंभू है।ठीक उसी प्रकार भगवान शिव को सदा शिव कहते हैं हम आत्माएं जन्म जन्मांतर नाम बदलते रहती हैं और भगवान शिव अजन्मा  होने से उनका नाम सदा शिव ही रहता है। शिव अर्थात कल्याणकारी जो आत्माओं का सदा कल्याण करता है।

शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है और नंदी हम आत्माओं का प्रतीक है। नंदी का साकार रूप शरीर और आत्मा का प्रतीक है।हम आत्माओं का शिव परमात्मा का पिता और बच्चे जैसा अविनाशी संबंध है।आत्मा भी अविनाशी ,अजर ,अमर है ,आत्मा को अगर पुरुषार्थ करना है तो आत्मा को शरीर के साथ ही पुरुषार्थ करना पड़ेगा ,अगर आत्मा शरीर के साथ नहीं ,तो पुरुषार्थ भी हम कर नहीं सकते है।

नंदी का शिवजी के सम्मुख बैठा होना और नंदी की दृष्टि शिव जी के शिवलिंग पर ही होना अर्थात हमारा मन सिर्फ ईश्वर की तरफ लगा होना चाहिए क्योंकि ईश्वर से संबंध जो है वह अविनाशी और सुख शांति देने वाला है। क्योंकि सारे संसार में ईश्वर ही एक ऐसी शक्ति है जो आत्माओं से निस्वार्थ भाव से प्रेम करती है।

शेष इस शरीर के सारे संबंध नश्वर हैं 

क्योंकि यह सारे संबंध नश्वर शरीर के साथ होने से बिनासी और स्वार्थी हैं। इसी कारण से यह संबंध दुख देने वाले हैं, और ईश्वरीय संबंध सदा सुख देने वाला है।

नंदी एक शक्तिशाली दृढ़ता का प्रतीक है हमें भी यह नश्वर शरीर को भूलकर आत्मा का संबंध परमात्मा से जोड़ना सिखाता है।जिस प्रकार प्लास्टिक चढ़ा हुआ तार विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं कर सकता है उसके लिए प्लास्टिक का कवर उतारना होता है ,तभी उसमें करंट प्रवाहित हो सकती है। ठीक इसी प्रकार हमें शरीर का भान छोड़ना होगा।तभी परमात्मा से जुड़ना होगा।

जिस प्रकार मंदिर में प्रवेश करते समय चमड़े की चप्पल बाहर निकाल देते है,वैसे ही शरीर का अहंकार त्यागकर अशरीरी अवस्था में ईश्वर के सम्मुख बैठे ।

दृढ़ता पूर्वक ईश्वर के सम्मुख मन लगाकर अंतर्मुखी हो कर बैठे तब ही ईश्वर का दर्शन होगा नंदी उसी का प्रतीक है।

नंदी का सदा ईश्वर की तरफ मुख होना ईश्वर की प्राप्ति के लिए दृढ़ मनोबल ,एकाग्रता का होना आवश्यक है ।नंदी को शिव का वाहन मानते हैं ।ठीक उसी प्रकार हमें भी नंदी की तरह ईश्वर प्राप्ति के लिए एकाग्रचित्त होना पड़ेगा तभी भगवान शिव की शक्तियां नंदी जैसा बनने पर हमारे में प्रवेश करेंगे और उनकी कृपा दृष्टि का लाभ मिलेगा।

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