सावन सोमवार 2021 व्रत कथा, लाभ ,पूजन विधि-sawan somwar 2021 vratkatha labh pujan vidhi

 सावन सोमवार 2021 व्रत कथा, लाभ ,पूजन विधि

सावन सावन माह का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इसी महीने में भगवान शिव के भक्त भगवान भोलेनाथ पर कांवर लेकर के गंगाजल द्वारा स्नान करवाते हैं ,और पूजन अर्चन करते हैं।


 सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि कुंवारी लड़कियों द्वारा यदि भगवान भोलेनाथ का व्रत किया जाए श्रावण माह में तो भगवान प्रसन्न होते हैं और उनको सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

 भक्त लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत व्रत करते हैं और भगवान शिव का पूजन करते हैं इस लेख में हम जानेंगे कि सावन के सोमवार की व्रत कथा और उसके कौन-कौन से लाभ हैं और भगवान शिव के पूजन की विधि क्या है।

सावन सोमवार 2021 व्रत कथा, लाभ ,पूजन विधि-sawan somwar 2021 vratkatha labh pujan vidhi


सावन सोमवार व्रत कथा-sawan somwar vrat katha

सावन के सोमवार की व्रत कथा का बहुत ही महत्त्व है। इस व्रत कथा को पढ़ने से और सुनने से व्यक्ति के समस्त प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और उसको जीवन में सुख और आनंद की प्राप्ति होती है ।

 शिव पुराण के अनुसार सावन के सोमवार में जो भी व्यक्ति भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

बहुत समय पहले की बात है। नगर में एक साहूकार रहता था जो भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव की भक्ति से उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई औलाद नहीं थी।

संतान न होने से वह साहूकार बहुत ही परेशान रहता था। लेकिन भगवान शिव के प्रति उसका असीम लगाव था, क्योंकि वह अपना संपूर्ण जीवन उन्हीं के प्रति समर्पित कर चुका था। नियमित रूप से वह साहूकार मंदिर में भगवान शिव के सामने दीपक जलाता था।एक दिन वह नित्य की भांति दीपक जलाने मंदिर में पहुंचा तो माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की बात उसने सुनी।

उस साहूकार की भक्ति और श्रद्धा देखकर माता पार्वती जी ने भगवान शिव से 1 दिन कहा कि हे प्रभु यह साहूकार अपने पुत्र के प्राप्ति के लिए नियमित रूप से आपके सामने दीपक जलाता है, और आपकी उपासना करता है तो इसका आप दुख दूर क्यों नहीं कर देते।

तब भगवान शिव माता पार्वती से बोले कि है पार्वती इस साहूकार के पुत्र नहीं है इसी कारण यह दुखी रहता है। इसका दुख हम दूर करना चाहते हैं लेकिन इसके भाग्य में पुत्र योग नहीं है। अगर इसे पुत्र की प्राप्ति का वरदान भी मिल जाए तो भी इसका पुत्र मात्र 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

क्योंकि 12 बरस बाद इसका पुत्र जीवित नहीं रहेगा। तब यह और दुखी हो जाएगा।

लेकिन माता पार्वती ने विशेष आग्रह किया की है ईश्वर आप इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दें।

माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर भगवान शिव ने उस साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया।

यह सारी बातें साहूकार सुन रहा था ऐसा सुनकर वह साहूकार ना तो खुश हुआ और ना ही दुखी हुआ। वह पहले की ही तरह भगवान की पूजा करता रहा।

कुछ समय बाद भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से उस साहूकार को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। वह बालक बहुत ही सुंदर था।

परिवार में खुशी मनाई गई लेकिन साहूकार सत्य से परिचित था वह जानता था कि यह पुत्र केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और उस पुत्र की आयु 11 वर्ष व्यतीत हो चुकी।तब एक दिन साहूकार की पत्नी ने साहूकार से कहा कि अब हमारी इच्छा कहती है कि हम अपने पुत्र का विवाह कर दें।

ऐसा सुनकर साहूकार बोला नहीं हम इसे पहले पढ़ने के लिए काशी भेजेंगे वहां यह ज्ञान अर्जन करेगा इसके बाद इसकी शादी करेंगे।

साहूकार ने उस बालक के मामा को बुलवाया और कहा कि आप इसे लेकर के काशी चले जाएं वह ये पढ़ाई करेगा। लेकिन आप जिस भी रास्ते से जाएं और यदि कहीं रुके तो वहां यज्ञ करते हुए और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए यात्रा को तय करना।

साहूकार कथन के अनुसार वह दोनों मामा भांजे ऐसा ही करते हुए अपनी यात्रा तय करते रहे।

रास्ते में एक नगर पड़ा जहां पर राजकुमारी की शादी होनी थी लेकिन राजकुमारी से जिस लड़के की शादी होनी थी, वह एक आंख का अंधा था।लड़के के पिता की नजर उस सुंदर बालक पर पड़ी और उसने मन में सोचा कि क्यों ना इस बालक के साथ  राजकुमारी का विवाह करा दिया जाए। जिससे विवाह में कोई अड़चन न आए। और हमारा काम बन जाए। बदले में इसको बहुत धन दे देंगे।

यह बात बालक के मामा से हुई और वह तैयार हो गया।

जब साहूकार का बेटा विवाह के लिए बेदी पर बैठा तो उसने चुपके से राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि तेरा विवाह तो मेरे साथ हुआ लेकिन विदाई जिसके साथ होगी वह एक आंख का अंधा है।

राजकुमारी ने जब अपनी चुनरी पर ऐसा लिखा हुआ पाया तो वह विदाई में साथ नहीं गई और बारात वापस लौट गई।

उधर साहूकार का बेटा और उसके मामा दोनों काशी पहुंच गए। हमेशा की भांति वह दोनों यज्ञ करते थे और ब्राह्मणों को भोजन कराते थे। 1 दिन उसके मामा ने यज्ञ करवाया तो भांजा काफी देर तक बाहर नहीं निकला।

जब मामा अंदर गए तो देखा कि साहूकार का बेटा मृत पड़ा था यह देखकर वह बहुत दुखी हुआ  और अपने आप को नियंत्रित किया कि यदि इस समय रोना पीटना शुरू करेंगे तो सारे ब्राह्मण भूखे ही चले जाएंगे। यग्य  के कार्य संपूर्ण किया ब्राह्मणों को विदा किया और फिर उसके पास आ करके रोना चिल्लाना शुरू कर दिया।

इतने में भगवान शिव और माता पार्वती भी उधर से निकल रहे थे जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि यह कौन जोर जोर से रो रहा है। तब भोलेनाथ ने कहा कि यह साहूकार का बेटा है जिसकी आयु केवल 12 वर्ष ही थी।

माता पार्वती ने भगवान शिव से फिर प्रार्थना की कि हे प्रभु आप इस बालक को जीवित कर दें अन्यथा इसके माता-पिता रो रो कर अपने प्राण त्याग देंगे। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस बालक को पुनः जीवित कर दिया और वह बालक ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए उठा। मामा भांजे दोनों हंसी खुशी अपने घर की ओर चल दिए।

लौटते समय वह उसी नगर में होकर के निकले जहां राजकुमारी से शादी हुई थी। वह लोग भी उनका इंतजार कर रहे थे रास्ते में उन दोनों को रोककर राजकुमारी को उसके साथ विदा करके बहुत सारा धन धान्य दे कर के अपने नगर को वापस भेजा।

उधर साहूकार की पत्नी और साहूकार दोनों छत के ऊपर बैठे हुए थे और यह सोच रहे थे कि यदि मेरा बालक  आज नहीं लौटेगा तो हम दोनों अपने प्राण त्याग देंगे।

तभी उसके मामा वहां पहुंचकर साहूकार को सारा हाल सुनाया। की उसका बालक सकुशल लौट आया है।साहूकार और साहूकार की पत्नी भोलेनाथ को धन्यवाद देने लगे और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे कि हे प्रभु आपने जिस प्रकार मेरे कष्ट दूर किए हैं ऐसे ही संसार के समस्त लोगों के कष्ट दूर करें।

साहूकार ने अपने बेटे और अपनी बहू का स्वागत किया।

उसी समय भगवान भोलेनाथ ने आशीर्वाद दिया कि जो इस कथा को सुनेगा या पढ़ेगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उसके जीवन के समस्त दुख दूर होंगे।

सावन के सोमवार के व्रत के लाभ sawan somwar vrat ke labh

सावन के सोमवार का विशेष महत्व है ।सावन के सोमवार में व्रत करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। और अपने भक्तों के समस्त प्रकार के कष्टों को  दूर करते हैं। जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उपर लिखी हुई कहानी यह  सिद्ध करती है कि जैसे साहूकार के दुख भगवान शिव ने दूर किए उसी प्रकार भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। सावन के सोमवार का व्रत करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह  का स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

1-सावन के सोमवार का व्रत करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

2-सावन के सोमवार का व्रत करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।

3-माता पार्वती ने सावन का सोमवार व्रत करके पति के रूप में भगवान शिव को प्राप्त किया था।

सावन के सोमवार की पूजन विधि-sawan somwar pujan vidhi

1-सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ होले साफ-सुथरे कपड़े पहने।

2-पूजन स्थान की साफ सफाई करके बेदी की स्थापना करें।

और फिर व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा करें।

3-भगवान शिव के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं और उनको फूल अर्पित करें भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।

 4-भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय है।

5-शिवलिंग पर जल चढ़ाएं जल के साथ-साथ दुग्ध स्नान कराएं पंचामृत से स्नान कराएं बिल्लू पत्र चढ़ाएं।

और साथ में भगवान शिव के सामने सोमवार व्रत कथा का पाठ करें।

6-धूप ,दीप, नैवेद्य, पूजन, आरती करें।

7-भगवान शिव का दंडवत प्रणाम करें

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