Bhastrika Pranayama Steps Benefits In Hindi- भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि और फायदे

 Bhastrika Pranayama Steps Benefits In Hindi- भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि और फायदे।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्राणायाम करना हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि हमारा जीवन श्वास की गति पर ही आधारित होता है। इन श्वास में यदि किसी प्रकार की रुकावट या अवरोध होता है तो जीवन संकट में पड़ जाता है ।

श्वास लेने के लिए सबसे जिम्मेदार अंग शरीर में फेफड़े होते हैं।फेफड़ों में यदि किसी प्रकार का संक्रमण या इंफेक्शन हो जाता है तो स्वास में रुकावट आने लगती है।

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही अच्छा प्राणायाम है। आइए जानते हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम क्या होता है । इसे करने की विधि क्या है। इस प्राणायाम को करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं।

 भस्त्रिका प्राणायाम-Bhastrika Pranayama In Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम-Bhastrika Pranayama In Hindi


भस्त्रिका प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसको नियमित तौर पर करने से हमारे शरीर के अंदर मौजूद सारी अशुद्धियां बाहर निकल जाती है। भस्त्रिका  एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है धौकनी।

 जिस प्रकार से लोहार तेज हवा के प्रहार से लोहे को गर्म करता है और उसकी सारी अशुद्धियों को निकाल देता है। ठीक उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम शरीर के अंदर सभी प्रकार की नकारात्मकता और शरीर के अंदर मौजूद सारी अशुद्धियों को बाहर निकालने का कार्य करता है।

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 फेफड़ों में धूल मिट्टी की वजह से आई हुई अशुद्धियां या बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण फेफड़ों में जमा गंदगी को बाहर निकालने का कार्य भस्त्रिका प्राणायाम करता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन होने से शरीर शुद्ध और बीमारियों से मुक्त रहता है।

 इन्हीं बीमारियों को दूर करने के लिए व शरीर को पूर्णतया शुद्ध करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम किया जाता है। मुख्य रुप से हमारा जीवन स्वास पर ही निर्भर होता है। भस्त्रिका प्राणायाम करने से फेफड़े पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाते हैं। जिससे हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और शरीर रोगमुक्त बनता है।

भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर के सभी अंगों में रक्त संचार समुचित मात्रा में होने लगता है। आइए जानते हैं कि इस प्राणायाम को करने की विधि क्या है।

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि Bhastrika Pranayam Steps In Hindi

सही तरीके से किया गया प्राणायाम अधिक लाभ देने वाला होता है।इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी शांत वातावरण का चुनाव करें।

1-सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाए।

2-यदि इन आसनों में आपको बैठने में कठिनाई होती है तो आप किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाए।

3-आपका शरीर एकदम सीधा होना चाहिए। गर्दन ,शरीर और सिर को सीधा रखें।

4-अपनी आंखों को बंद करके थोड़ी देर के लिए शरीर को शिथिल कर ले। मुंह को बंद रखें।

5-इस प्राणायाम को करने से पहले आप अपनी नाक की अच्छी तरह से सफाई कर ले।

6-अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखते हुए आगे बढ़े।

7-धीरे-धीरे श्वास को खींचते हुए वेग के साथ स्वास को छोड़े।

8-अब अपनी स्वास को तेजी के साथ खींचे और तेजी के साथ छोड़े।

9-भस्त्रिका प्राणायाम करते समय आपकी छाती धौकनी की तरह फूलना और पिचकना चाहिए।   इसे भी पढ़ें -(कपालभाती प्राणायाम के फायदे )

10-ध्यान रखें जब आप प्राणायाम कर रहे हो तो स्वास लेते समय आपका पेट फूलना चाहिए और सास को छोड़ते समय आपका पेट पिचकना चाहिए। ऐसा करने से नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।

11-इस प्राणायाम को करते समय श्वास की गति पहले धीरे, फिर मध्यम गति से और फिर तीव्र गति से स्वास को छोड़ें और निकाले।

12-धीरे अर्थात 2 सेकंड में स्वास को खींचना है और छोड़ना है।

13-मध्यम अर्थात एक सेकंड में श्वास को खींचना और छोड़ना है।

14-तीव्र अर्थात 1 सेकंड में 2 बार श्वास को खींचना और छोड़ना है।

15-शुरुआती दौर में धीमी गति से प्राणायाम करें करीब 30 से 40 बार।

16-अभ्यास के साथ अपनी गति बढ़ाते जाएं।

अब आइए जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ के बारे में इस प्राणायाम को करने से कौन से लाभ मिलते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे bhastrika Pranayam benefit in Hindi

इस प्राणायाम को करने से बहुत से लाभ मिलते हैं पाचन संस्थान, लिवर, किडनी की एक्सरसाइज होती है। दमा ,टीवी और स्वास से संबंधित सभी प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं।

1-इस प्राणायाम को करने से शरीर में प्राण वायु अधिक मात्रा में पहुंचती है।

2-इस प्राणायाम को करने से शरीर के सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।

3-इस प्राणायाम को करते समय अधिक मात्रा में ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं जिससे फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है और हृदय में रक्त नलिका भी शुद्ध व मजबूत बनती है।(इसे भी पढ़ें -भ्रामरी प्राणायाम के फायदे )

4-भस्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम तेजी से काम करता है। जिससे पेट के अंग सक्रिय होकर सुचारू रूप से कार्य करते हैं और पाचन शक्ति बढ़ जाती है।

5-इस प्राणायाम को करने से मस्तिष्क से संबंधित विकार नष्ट हो जाते हैं। मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। नकारात्मक भावना दूर हो जाती है।

6-इस प्राणायाम को करने से आंख, कान और नाक यह अंग मजबूत बनते हैं और इनमें आने वाली बीमारियों के संभावनाएं घट जाती हैं।

7-भस्त्रिका प्राणायाम बात ,पित्त और कफ तीनों प्रकार के दोषों को दूर करता है।

8-इस प्राणायाम को करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

9-इस प्राणायाम का अभ्यास गले में आई हुई सूजन और कफ के संचय को कम करता है।

10-इस प्राणायाम को करने से तंत्रिका तंत्र संतुलित होकर मन एकाग्र हो जाता है।

11-इस प्राणायाम को करने से वजन घटता है। पेट की चर्बी कम होती है।

भस्त्रिका प्राणायाम करते समय सावधानियां bhastrika Pranayam precautions in Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है लेकिन कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर ही इस प्राणायाम को करना चाहिए।

1-हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति व हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को इस प्राणायाम को करने से बचना चाहिए।

2- शरीर का टेंपरेचर अधिक बढ़ा हुआ है बुखार है तो भी इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।

3-भस्त्रिका प्राणायाम करते समय यदि चक्कर आने लगता है या फिर घूमने लगता है तो तुरंत ही इस प्राणायाम को बंद कर देना चाहिए । शवासन में लेट जाना चाहिए।

4-अल्सर और पेचिश के मरीजों को भी  भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

5-भस्त्रिका प्राणायाम को खाली पेट करना चाहिए।

6-यदि हाल ही में ऑपरेशन हुआ हो तो इस प्राणायाम करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

भस्त्रिका प्राणायाम कितनी देर तक करना चाहिए

भस्त्रिका प्राणायाम को 3 मिनट या 5 मिनट तक करना चाहिए। शुरुआती दौर में अधिकतम 3 मिनट और अभ्यास के साथ इसका समय बढ़ाया जा सकता है। इस प्राणायाम को करते समय किसी प्रकार के जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

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