सिद्धासन करने की विधि और फायदे –siddhasana steps benefits in hindi

सिद्धासन यह आसन सिद्ध गुरुओं का आसन  हैं इस आसन से व्यक्ति गहरी ध्यान मुद्रा में पहुंचता है यह आसन सिद्धों का सर्वप्रिय आसन है  सिद्धासन में बैठकर आज्ञा चक्र की ओर ध्यान करते हैं ।जिससे हम गहरी ध्यान मुद्रा में पहुंच जाते हैं।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से प्रत्येक आसन का महत्वपूर्ण स्थान है।योगासन करना अर्थात अपने आप को सुख और शांति प्रदान करना होता है। योगासन करना अर्थात शरीर मन और आत्मा इन तीनों का सामंजस्य स्थापित करना होता है।


सिद्धासन करने की विधि और फायदे –siddhasana steps benefits in hindi


 शरीर कहीं और होता है मन कहीं और होता है जब दोनों एक साथ होते हैं तो सुख और शांति व मन में प्रसन्नता प्रतीत होती है। जब शरीर कहीं और और मन कहीं और होता है ऐसे में तनाव ,चिंता, बेचैनी,मन की उदासी आदि परेशानियां होती हैं। इन सभी परेशानियों से बचने का तरीका है सिद्धासन अब जानते हैं कि सिद्धासन क्या है।

 सिद्धासन करने की विधि और फायदे –siddhasana steps benefits in hindi

सिद्धासन क्या है-what is siddhasana

सिद्धासन एक ऐसा आसन है जिसको करने से कई तरह की सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है। योगासन में तमाम तरह के आसनों का वर्णन है। सिद्धासन बैठने में सरल है व अलौकिक शक्तियों को प्रदान करने वाला आसन है।

इस दिव्य आसन को बड़े-बड़े योगियों और सिद्धों के द्वारा किया गया है और उन्हें अनेक तरह की सिद्धियां प्राप्त हुई है। इसीलिए इस आसन का नाम सिद्धासन पड़ा है। इस संसार के जितने भी प्राणी हैं उन सब की जरूरत मोक्ष मुक्ति  की प्राप्ति करना होता है। सिद्धासन को यदि सही तरीके से किया जाए। तो कई तरह की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए यह दरवाजा खोलता है।

सिद्धासन की विधि-siddhasana steps

1-दंडासन मैं बैठकर बाएं पैर को मोड़ कर एड़ी को सिवनी पर लगाएं

2- दाहिने पैर की एडी उपस्थेंद्रीय के ऊपर वाले भाग पर स्थित करें

3- बाएं पैर के टखने पर दाएं पैर का टखना होना चाहिए ,पैरों के पंजे, जांग और पिंडली के मध्य रहे।

4-घुटने जमीन पर टिके हुए हो। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा (तर्जनी एवं अंगूठा के अग्रभाग को स्पर्श करके रखें, शेष तीन उंगलियां सीधे रहे)की स्थिति में घुटने पर टिके हुए हो।

5- मेरुदंड सीधा रखें आंखें बंद करके भ्रूमध्य मे मन को एकाग्र करें। भ्रूमध्य अर्थात मस्तक के बीच आज्ञा चक्र पर ध्यान करें।

6-सिद्धासन करने के लिए किसी उर्जा के कुचालक आसन का प्रयोग करे जैसे ऊनी कपडे का आसन या कुशासन 

सिद्धासन के लाभ-benefits of siddhasana

सिद्धो  द्वारा सेवित होने से इसका नाम सिद्धासन है।

कई सिद्ध योगियों के द्वारा इस आसन को किया गया है और इस आसन के अनेक तरह के लाभ उन रोगियों को मिले हैं इसीलिए इस आसन का नाम सिद्धासन पड़ा है प्रशासन को नियमित करने से व्यक्ति एक सिद्ध साधक बन सकता है।

ब्रह्मचर्य की रक्षा करके ऊर्ध्व रेता बनाता है सिद्धासन 

ब्रम्हचर्य में अपार शक्ति होती है ब्रह्मचर्य की रक्षा कर के व्यक्ति के लिए कई तरह के अलौकिक सिद्धियों को प्राप्त करने के मार्ग प्रशस्त होते हैं। इस आसन में यह गुण है कि इस आसन को करने से ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है ।

काम के वेग को शांत कर मन की चंचलता दूर करता है सिद्धासन 

ब्रम्हचर्य को बनाए रखने की शक्ति इस आसन को करने में होती है। इसलिए इस आसन को करने से मन में एक सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है, और मन स्थिर होता है मन की चंचलता नष्ट हो जाती है और काम का बेग समाप्त हो जाता है।

कुंडलिनी जागरण हेतु उत्तम आसन है सिद्धासन 

कुंडलियों को जागरण करने के लिए आवश्यकता होती है मन का स्थिर होना। क्योंकि मन जब तक स्थिर नहीं होगा किसी भी चक्र पर ध्यान लगाना कठिन होगा, इस आसन में ऐसी विशेषता है ,कि इसको करने से ध्यान एकाग्र होता है और जब ध्यान एकाग्र होता है तो कुंडलिनी जागरण हेतु मार्ग खुल जाता है।

बवासीर तथा यौन रोगों के लिए लाभप्रद है सिद्धासन 

बवासीर एक गंभीर बीमारी होती है इस बीमारी से ग्रस्त हुए व्यक्ति को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। सिद्धासन इसके लिए महत्वपूर्ण आसन है इस आसन को करने से बवासीर तथा यौन रोग लगभग समाप्त हो जाते हैं।

सिद्धासन करने में कुछ सावधानी रखना होता है।

1-जिन व्यक्तियों के घुटनों में अधिक दर्द हो वह लोग इस आसन का अभ्यास न करें।

2-कमर दर्द में भी इस आसन को लंबे समय तक नहीं करना चाहिए।

3-इस आसन को करते समय ध्यान रखने योग्य बात है कि रीड की हड्डी मेरुदंड बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।

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