सुख और आनन्द में अंतर है-sukh aur anand me antar

 

सुख और आनन्द में अंतर है-sukh aur anand me antar

सुख और आनन्द में अंतर है सुख सीमित है सुख कुछ समय तक रह सकता है आनन्द असीमित है आनन्द की कोई सीमा नहीं है सुख अस्थायी है आनन्द स्थाई हैसुख परिस्थितियों पर निर्भर है जबकि आनन्द किसी भी परिस्थिति में रहकर मिलता है इसका परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं

सुख और आनन्द में अंतर है-sukh aur anand me antar




सुख की परिभाषा -sukh ki paribhasha

 सुख की सीमा है सुख लौकिक है सुखद अनुभूति की तरंगें हमारे मन के अन्दर सीमित रह जाती है तो उसे हम सुख अनुभव कर सकते हैं

सुख के तरंगे किसी एक व्यक्ति को सुकून दे सकती हैं सुख एक निश्चित समय तक ही होता है जब तक सांसारिक संसाधनों की प्राप्ति होती है तब तक सुख मिलता है इन संसाधनों के आभाव में दुःख का अनुभव होता है जब जीवन के किसी पल में सुख अधिक मात्रा में आ जाता है तो तब उसे संभाल पाना मुश्किल हो जाता है

 जैसे अचानक किसी को बहुत धन का लाभ हो गया जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की थी तब वह अपनी ख़ुशी को संभाल नहीं पाता कभी –कभी लोग अधिक खुशी के कारण अपनी जान तक गवां देते हैं

अनंत शक्ति का भण्डार है हमारा शरीर 

भक्तो पर भगवन की कृपा 


आनन्द की परिभाषा -anand ki paribhasha

आनन्द स्थाई है आनन्द नश्वर है जब सुखद अनुभूति की तरंगें हमारे मन के भीतर से बाहर आ जाती हैं और चारों ओर फ़ैल जाती हैं

तब हमें आनन्द मिलता है और वातावरण आनन्दमय हो जाता है आनन्द की लहरें अनेक व्यक्तियों को सुख देती हैं आनन्द का सम्बन्ध अनन्त से है ज्ञानी पुरुष आनन्द प्राप्ति का प्रयास करते है वे अपने जीवन से संतुष्ट रहते है वे अभावग्रस्त रहते हुए भी आनन्दित रहते है

व्यक्ति के शरीर के अन्दर जो सूक्ष्म आत्मा है वह अविनाशी है साश्वत है यही उसके जीवन में आनन्द का श्रोत है आनन्द का रस बहुत आनन्ददायक है की उससे खुद को तृप्त करके दूसरों को भी आनन्दित किया जा सकता है   

संसार के समस्त जीव आनंद चाहते हैं। पशु, पक्षी, जानवर, मनुष्य आस्तिक हो या नास्तिक सब आनंद चाहते हैं। आनंद दो प्रकार का होता है भौतिक आनंद और आध्यात्मिक आनंद

आध्यात्मिक आनंद

वेद शास्त्र के अनुसार आध्यात्मिक आनंद को ही वास्तव में आनंद कहा गया है ।क्योंकि यह आनंद ही नित्य रहने वाला है ,और उसमें बराबर वृद्धि होती है। आध्यात्मिक आनंद से दुख नहीं मिल सकता, जैसे मिठाई मीठी होती है वह खट्टी नहीं हो सकती उसी प्रकार आनंद आनंद होता है उससे दुख कभी नहीं मिल सकता।

भौतिक आनंद

भौतिक  आनंद संसाधनों की उपलब्धि और अभाव पर निर्भर है।यदि भौतिक सुख सुविधाएं मिलती रहे तो आनंद मिलता रहेगा और भौतिक सुख सुविधाएं अभाव हो जाएं तो वही दुख का कारण बनती हैं यह आनंद स्थाई नहीं होता।


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