आलस्य दूर करने का उपाय | शरीर में आलस्य क्यों रहता है-alasy dur karne ke upay body me alasy kyon rahta hai

 आलस्य दूर करने का उपाय | शरीर में आलस्य क्यों रहता है-alasy dur karne ke upay body me alasy kyon rahta hai

आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। क्योंकि आलस्य आने से व्यक्ति के कार्य जो बनने लायक होते हैं, वह भी बिगड़ जाते हैं। आज के समय में सभी व्यक्ति सफल होना चाहते हैं।और सफलता का प्रयास भी करते हैं कुछ लोग सफल होते हैं, और वह सफलता प्राप्त करते हुए चले जाते हैं।लेकिन इस सफलता के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा आलस्य हैं । 


आलसी व्यक्तियों के पास समय होता है लेकिन वह उस समय उस कार्य को नहीं करना चाहते हैं। वह अपना कार्य कल  पर टाल देते हैं। ऐसा नहीं है कि आलसी व्यक्ति उस कार्य को करना नहीं चाहता है। वह करना चाहता है लेकिन उसे आलस्य ने घेर रखा है।मन होते हुए भी वह उस कार्य को नहीं कर सकता क्योंकि उसे आलस्य ने जकड़ रखा है।

ऐसे ही आलसी व्यक्ति जीवन में आने वाले कार्यों को सही समय पर नहीं कर सकता। क्योंकि वह आलस्य के कैद में है।यदि सही समय पर उस कार्य को कर लिया जाए तो सफलता उन्हें प्राप्त हो सकती है। 

आलस्य दूर करने का उपाय | शरीर में आलस्य क्यों रहता है-alasy dur karne ke upay body me alasy kyon rahta hai

लेकिन फिर भी वह सफलता से वंचित हो जाते हैं। कार्य को सही समय पर न पूरा कर पाने पर तनाव और चिंता बढ़ जाती है। जिसके ऐसे व्यक्ति अधिक चिंतित रहते हैं।आलस्य व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा शत्रु वर्तमान में और भविष्य में भी है।आलसी व्यक्ति सफलता प्राप्त करते करते रह जाता है।

 सफलता के रास्ते में आने वाले इस रोड़े को हटाना होगा। यह आलस्य रूपी रोड़ा हटने पर ही सफलता प्राप्त होगी।जो व्यक्ति सफल हो जाते हैं वह इस रोड़े को तोड़कर रास्ता बना लेते हैं।और जो सफल नहीं होते वह अपने भाग्य को दोष देते हैं।

लेकिन दोस् भाग्य का नहीं क्योंकि मनुष्य अपने भाग्य का निर्मात स्वयं होता है दोस् आलस्य का है।अब प्रश्न यह उठता है कि आलस जब हमारा इतना बड़ा शत्रु है तो हम इससे बचें कैसे। तो आज हम इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि आलस से कैसे बचा जा सकता है। इसे कैसे दूर किया जा सकता है।

आलस्य दूर करने का उपाय –alasy dur karne ke upay

1-अपने दिन की शुरुआत योग से करें

योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से चुस्त दुरुस्त रखता है। योग करने से शरीर के साथ-साथ मन की प्रसन्नता प्राप्त होती है। जिससे तनाव, चिंता, घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा आदि की शिकायतें दूर होती। 

योग से सकारात्मक भावना का विकास होता है नकारात्मक भावनाएं नष्ट होती। योग करने से आलस्य दूर होता है और शरीर चुस्त-दुरुस्त ,प्रसन्न रहता है। 10 से 15 मिनट का योग अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

2-खाने में भारी डाइट से बचें

अधिकतर लोग अपने खाने में भारी चीजों का सेवन अधिक करते हैं। जैसे कार्बोहाइड्रेट, शुगर को अपने भोजन में शामिल कर लेते हैं, जिससे शरीर सुस्त हो जाता है। ऐसा खान पान वाले व्यक्ति अपने आपको थका हुआ महसूस करते हैं।ऐसे में भारी चीजों से परहेज करें और अपने खाने में हल्की डाइट सम्मिलित करें।

3-समय से सोने की आदत डालें

समय पर सोना व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। अधिकतर लोग काफी समय तक टीवी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक गजट पर घंटों समय व्यतीत करते हैं। इस स्थिति में उनके सोने का समय बिगड़ जाता है। 

निद्रा आने से दिन भर का थका हुआ शरीर और मन नई ऊर्जा प्राप्त कर लेता है। और आलस्य जैसी बीमारी भाग जाती है। यदि आप अपने आप को आलस्य से दूर रखना चाहते हैं तो समय पर सोने की आदत डालें।

4-काम को टालने की आदत ना डालें

हमेशा अपने कार्य को समय पर पूरा करें क्योंकि समय पर जब कार्य पूरा होता है तो उसका परिणाम अच्छा होता है। समय का सदुपयोग करे जीवन में बहुत से कार्य ऐसे होते हैं जो समय पर न पूरे होने के कारण वह बिगड़ जाते हैं।

 इसलिए अपने कार्य को आज ही करें कल पर ना छोड़ें। जब कार्य समय पर पूरा होगा तो उस कार्य का मिलने वाला परिणाम अच्छा होगा। व्यर्थ की चिंता और तनाव से बचत होगी। क्योंकि चिंता और तनाव आलसीपन को जन्म देती हैं।

5-अपने कार्य को बोझ न समझें

किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए उसे बोझ न महसूस करें। क्योंकि कार्य  करने पर ही पूरा होगा।कार्य को देखकर ही हार मान लेने से या चिंतित बैठ जाने से कार्य पूरा होने वाला नहीं है। जिस काम की जिम्मेदारी हमें मिली है उसको समय पर ही पूरा करें। पूरे उत्साह के साथ कार्य करें कार्य को बोझ न समझें।

6-हमेशा सकारात्मक रहे

नकारात्मक भावनाओं को अपने पास आने न दे। हमेशा पॉजिटिव रहे।अपने अंदर यह फीलिंग पैदा करें कि हमारा शरीर उत्साह पूर्वक कार्य कर रहा है। हमारे शरीर के अंदर जरा भी आलस्य नहीं है।जब आप ऐसा सोचेंगे तो आलस्य आपसे कोसों दूर भागेगा

7-सफल लोगों के बारे में सोचें

जब आप सफल लोगों के बारे में सोचेंगे। कि उन्होंने अपने कार्य को समय पर पूरा करके अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। और उनसे आप प्रेरणा लेंगे उन्हीं के अनुसार आप कार्य करेंगे। तो आपके अंदर एक मोटिवेशन पैदा होगा और अपने कार्य को आप सफलतापूर्वक कर लेंगे।

शरीर में आलस क्यों रहता है-shrir me alasy kyon rahta hai

शरीर में आलस आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे

1-समय पर न सोना अधिक देर तक जागना भी आलस्य का प्रमुख कारण है

2-अपने भोजन में अधिक तली भुनी चीजों का प्रयोग करना क्योंकि ऐसी चीजों का सेवन करने से शरीर में आलस्य बढ़ता है।

3-मन में नकारात्मक भावनाएं आना भी आलस का कारण है हमेशा पॉजिटिव रहे नकारात्मक भावनाओं को दूर भगाएं। जब भी सोचे तो पॉजिटिव सोचे नेगेटिव न सोचे क्योंकि नेगेटिव थिंकिंग आलस्य की जननी है।

4-किसी भी कार्य को बोझ समझकर न करें हमेशा उस कार्य को उत्साह के साथ करें।

आलस्य करने से क्या हानि होती है-alasy se hani

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आलस्य व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा शत्रु होता है। जीवन में असफलता का कारण आलस्य ही होता है। यह सफलता के रास्ते का पत्थर है।

1-आलस्य के कारण चिंता ,तनाव होता है जो शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करता है।और नई-नई बीमारियों को जन्म देता है ।

2-जीवन में कई ऐसे कार्य होते हैं जो आलस्य के कारण पूरे नहीं हो पाते

3-पढ़ाई करने वाले लोगों के लिए आलस्य सबसे बड़ा शत्रु है उन्हें जीवन में आलस्य के कारण सफलता से वंचित होना पड़ सकता है।

आलस्य से संबंधित लोक कथा-alasy se sambandhit lok katha

किसी आश्रम में एक गुरु और चेला रहते थे। गुरु जी हमेशा अपने चेले को लेकर चिंतित रहते थे, क्योंकि वह बहुत ही आलसी था। गुरुजी उसके भविष्य के बारे में सोचते रहते थे कि इसका जीवन कैसे कटेगा।

एक दिन की बात है गुरु जी ने अपने शिष्य को बुलाया और कहा कि बेटा यह पारस पत्थर ले और इस पत्थर में यह विशेषता है कि इससे जितने भी लोहे को स्पर्श करोगे वह सब सोना बन जाएगा। और उसी सोने से तुम्हारा दिन और तुम्हारा जीवन आराम से कटने लगेगा।

लेकिन ध्यान रहे मैं किसी दूसरे गांव जा रहा हूं इस पत्थर को अपने पास केवल 2 दिन तक रख सकते हो। 2 दिन बाद मैं इसे वापस ले लूंगा 2 दिन में तुम इससे जितना सोना बनाना चाहो बना सकते हो। ऐसा कह कर गुरूजी दूसरे गांव चले गए।

चेला आलसी था उसने सोचा कि 2 दिन की बात है आज आराम कर लेता हूं कल लोहा ले आऊंगा और पारस पत्थर से स्पर्श करके सोना बना लूंगा। उस दिन वह आराम से सोया

ऐसा करते हुए 1 दिन पूरा व्यतीत हो गया और दूसरा दिन आ गया। दूसरे दिन उसने सोचा कि अभी चलता हूं सोना बनाने का काम केवल दो 4 मिनट का है।पहले पेट भर भोजन कर ले फिर बाजार जा कर के बहुत सारा लोहा लाएंगे और उससे पारस पत्थर को स्पर्श करवाएंगे।

 उसने पेट भर भोजन किया भोजन करने के बाद उसने सोचा कि अब थोड़ी देर आराम कर ले। आराम करते समय ही उसे नींद आ गई और वह सोने लगा। सोते हुए उसे यह पता नहीं चला कि कब सूर्यास्त हो गया।

गुरुजी दूसरे गांव से वापस आ गए और उन्होंने वह पारस पत्थर ले लिया।

अब उसको एहसास हो गया कि अपने जीवन का सुनहरा अवसर उसने आलस्य की वजह से खो दिया। उसने प्रतिज्ञा की कि अब वह आलस्य नहीं करेगा क्योंकि आलस्य के ही कारण सुनहरा अवसर हाथ से निकल गया और वह मेहनत करके अपना कार्य करने लगा। उसने आलस्य का त्याग कर दिया और अपना जीवन सुंदर बना लिया।

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