सूर्य नमस्कार के लाभ और महत्व-surya namaskar benefits and importance

 सूर्य नमस्कार के 12 आसन।सूर्य नमस्कार के लाभ और महत्व-surya namaskar benefits and importance

जो भी लोग इस दुनिया में योग के बारे में जानते हैं या योग से जुड़े हुए हैं। वे सभी लोग नित्य कोई न कोई योगासन आसन करते हैं, इन्हीं आसनों में एक आसान है सूर्य नमस्कार जो कि एक पूर्ण आसन माना जाता है। इस आसन को बालक ,वृद्ध ,स्त्री और पुरुष सभी लोग कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार 12 योगासनों से मिलकर बना है। और प्रत्येक आसन का अपना अलग-अलग महत्व है।


सूर्य नमस्कार करने से रक्त संचार दुरुस्त रहता है

तनाव कम होता है

शरीर को पूरी तरह से डिटॉक्स करने में यह आसन मदद करता है।

मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से फिट रखता है।

शरीर में बल के साथ-साथ बुद्धि का भी विकास होता है।

सूर्य नमस्कार के बहुत सारे फायदे हैं लाभ हैं और उनके महत्व।इस लेख में हम विस्तारपूर्वक सूर्य नमस्कार से होने वाले लाभ और महत्व के बारे में चर्चा करेंगे। लाभ और महत्व के बारे में जानने से पहले यह जान लें कि

सूर्य नमस्कार क्या है।

सूर्य नमस्कार के लाभ और महत्व-surya namaskar benefits and importance


सूर्य नमस्कार संसार में प्रचलित आसनों में सर्वश्रेष्ठ आसान है। आयुर्वेद के अनुसार सूर्य आरोग्य का देवता माना जाता है। इस आसन को सूर्योदय के समय किया जाता है इसीलिए इस आसन का नाम सूर्य नमस्कार पड़ा।

सूर्य नमस्कार के लाभ

सूर्य नमस्कार के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन कुछ प्रमुख फायदे हैं जिनके बारे में हम विस्तार से जानेंगे

पाचन तंत्र को मजबूत करता है

यह आसन करते समय पेट के अंगों में एक तरह का खिचाव  होता है। जिसके कारण पाचन तंत्र मजबूत होता है।जिन व्यक्तियों के पेट में जलन, कब्ज, अपच जैसी समस्या होती है ,वह यदि सुबह के समय खाली पेट सूर्य नमस्कार करें तो अधिक लाभ मिलता है।

सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है

इस आसन को यदि नियमित रूप से किया जाए तो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। नेगेटिव ऊर्जा नष्ट होती है। 12 आसनों को करते समय प्रत्येक आसन में गहरी सांस लेते हैं इसलिए शरीर को संपूर्ण फायदा होता है।

सूर्य नमस्कार पेट की चर्बी घटाने ,मोटापा कम करने में

इस आसन को करने से उदर की समस्त प्रकार की मांसपेशी को मजबूती मिलती है। नियमित रूप से इस आसन को करने से पेट की चर्बी कम होती है।

तनाव और चिंता दूर करने में

सूर्य नमस्कार को करने से शारीरिक और मानसिक रूप से शांति मिलती है। नर्वस सिस्टम शांत होता है इस आसन को करने से थायराइड ग्लैंड की क्रिया नॉर्मल हो जाती है। जिससे स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। तनाव, चिंता, बेचैनी, घबराहट जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

शरीर को लचीला बनाने में

सूर्य नमस्कार करने से संपूर्ण शरीर का व्यायाम हो जाता है क्योंकि सूर्य नमस्कार करने में 12 प्रकार के आसन किए जाते हैं। इन्हीं आसनों को करने से शरीर लचीला बन जाता है।

सूर्य नमस्कार हमेशा जवान रहने में मदद करता है

नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने वाले लोगों के चेहरे पर बुढ़ापे का असर कम होता दिखाई देने लगता है क्योंकि उनके चेहरे की स्किन टाइट हो जाती है और झाइयां, झुर्रियां गायब हो जाती हैं। और चेहरे पर निखार आ जाता है।

महिलाओं के लिए उपयोगी आसन

सूर्य नमस्कार महिलाओं के लिए उपयोगी आसान है मासिक चक्र संबंधित समस्त प्रकार के लगभग समस्याएं इस आसन को करने से दूर होती।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन ।सूर्य नमस्कार के चरण-surya namaskar step

सूर्य नमस्कार का पहला चरण है प्रणाम आसन

प्रणाम आसन करने के लिए सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को जोड़ लें। आंखों को बंद करके अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करके भगवान सूर्य का आवाहन करें।सूर्य भगवान का आवाहन करते समय ॐ मित्राय नमः के मंत्र का जाप करें। गहरी सांस लेते हुए कंधों को ढीला रखें।श्वास अंदर भरते हुए  हाथ ऊपर करें और श्वास निकालते हुए प्रणाम की मुद्रा में वापस लौट आए।

सूर्य नमस्कार का दूसरा चरण हस्तउत्तानासन

इस आसन को करते समय स्वास अंदर की ओर लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं और हाथों को कानों के पास रखा जाता है। इस आसन को करते समय पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचना होता है।इस आसन को करते समय अपना ध्यान गर्दन के पीछे विशुद्ध चक्र पर केंद्रित करें।

सूर्य नमस्कार का तीसरा चरण हस्त पादासन

इस चरण में आगे की ओर झुकते हुए स्वास को छोड़ते हुए हाथों को पैरों के पंजों के पास जमीन पर रखना होता है। घुटने सीधे रहें और मत्था घुटनों को स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे मणिपुर चक्र पर केंद्रित करें और कुछ समय तक इसी स्थिति में रुके।

सूर्य नमस्कार का चौथा चरण अश्व संचालन आसन

इस आसन को करते समय दाहिने पैर को पीछे की ओर करें और इस पैर के घुटने को जमीन पर लगाना होता है। और चेहरे को ऊपर की ओर उठाएं ऐसा  करते समय ऊपर की ओर देखें। इस स्थिति में जितनी देर तक आप रुक सकते हैं उतनी देर तक रुके हैं और अपने ध्यान को स्वाधिष्ठान अथवा विशुद्धि चक्र पर केंद्रित करें।

सूर्य नमस्कार का पांचवा चरण चतुरंगदंडासन

अपनी श्वास को धीरे-धीरे बाहर को निकालते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाए। ध्यान रहे दोनों पैरों की एड़ियां मिली होनी चाहिए। पीछे की ओर शरीर को खींचे और एड़ियों को जमीन पर मिलाने का प्रयत्न करें। नितंबों को अधिक से अधिक ऊपर की ओर उठाएं गर्दन को नीचे झुका कर अपना ध्यान सहस्त्रार चक्र पर लगाने का प्रयत्न करें।

सूर्य नमस्कार का छठा चरण अष्टांग नमस्कार

श्वास को भरते हुए जमीन की ओर मुंह रखते हुए लेटना होता है और कूल्हों को ऊपर की ओर उठाना होता है।ध्यान रहे ऐसा करते समय आपकी छाती और ठुद्धी जमीन से स्पर्श करते हुए रहनी चाहिए।नितंबों को थोड़ा ऊपर उठा कर उसको छोड़ दें और ध्यान को अनाहत चक्र पर केंद्रित करें।

सूर्य नमस्कार का सातवां चरण भुजंगासन

इस आसन को करते समय श्वास अंदर की ओर भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए अपने हाथों को सीधा करें। अपनी गर्दन को पीछे की तरफ ले जाएं और घुटने जमीन का स्पर्श करते रहें और पैरों के पंजे खड़े रहने चाहिए। अपने ध्यान को मूलाधार चक्र पर लगाने का प्रयत्न करें।

सूर्य नमस्कार का आठवां चरण पर्वतासन

अपनी स्वास को आराम से बाहर की ओर निकालते हुए अपने दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिली हुई रहनी चाहिए। अपने पूरे शरीर को पीछे की ओर खींचे और एड़ियों को जमीन पर मिलाने का प्रयत्न करें। नितंबों को जितना ऊपर की ओर उठा सकें उठाएं गर्दन को नीचे की तरफ झुका कर ठोड़ी में लगाएं। और अपने ध्यान को सहस्त्रार चक्र पर लगाने का प्रयत्न करें

सूर्य नमस्कार का नवा चरण अश्व संचालन आसन

श्वास अंदर की ओर खींचते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को आगे की ओर ताने। अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका ले। पैर तने हुए सीधे पीछे की ओर खींचते हुए और पैरों के पंजे खड़े हुए होने चाहिए और इस स्थिति में कुछ समय तक रुकने का प्रयास करें और अपने ध्यान को  विशुद्धि चक्र पर ले जाएं।

सूर्य नमस्कार का दसवां चरण हस्त पादासन 

इस आसन को तीसरे चरण के अनुसार करें

सूर्य नमस्कार का 11 वा चरण हस्त उत्थानासन

स्वास को भरते हुए दोनों हाथों को कानों से लगाते हुए ऊपर की ओर ले जाएं और वो जाएं और गर्दन को पीछे की ओर झुका ले। ऐसा करते समय अपना ध्यान गर्दन के पीछे विशुद्धि चक्र पर लगाने का प्रयास करें।

सूर्य नमस्कार का 12 वां चरण ताड़ासन

यह आसन पहले चरण के अनुसार ही किया जाता है।

सूर्य नमस्कार 12 चरणों में होता है और 12 चरणों से जुड़े हुए आसन के लाभ

प्रणाम आसन के लाभ

इस आसन को करने से शरीर को विश्राम मिलता है और एकाग्रता की भावना का विकास होता है

हस्त उत्तानासन के लाभ

यह आसन कंधे ,छाती ,गर्दन के लिए लाभदायक होता है।

हस्त पादासन के लाभ

इस आसन को करने से शरीर लचीला बनता है और पाचन तंत्र में सुधार होता है।

अश्व संचालन आसन के लाभ

इस आसन को करने से घुटने मजबूत होते हैं और गुर्दे यकृत से जुड़ी हुई बीमारियों में सुधार होता है।

दंडासन के लाभ

इस आसन को करने से मन शांत होता है मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्राप्त होती है।

अष्टांग नमस्कार के लाभ

यह आसन हार्ट के लिए लाभदायक होता है और रक्त संचार को सही करता है।

भुजंगासन के लाभ

इस आसन को करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।

पर्वतासन के लाभ

इस आसन को करने से जांघ, एड़ी और घुटने मजबूत होते हैं और रक्त परिसंचरण में लाभदायक आसन माना जाता है।

अश्व संचालन आसन के लाभ

घुटने और यकृत के लिए लाभकारी आसन है।

हस्त पादासन के लाभ

शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।

हस्त उत्थानआसन के लाभ

इस आसन को करने से गर्दन ,कंधे और छाती मजबूत होते हैं।

ताड़ासन के लाभ

इस आसन को करने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं व स्वसन तंत्र की समस्याओं में लाभ मिलता है।

सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र

1-ॐ मित्राए नमः

2-ॐ रवये नमः

3-ॐ सुर्ययाय नमः

4-ॐ भानवे नमः

5-ॐ खागाय नमः

6-ॐ पूषणे नमः

7-ॐ हिरण्यगरभाय नमः

8-ॐ मरीचये नमः

9-ॐ आदित्याय नमः

10-ॐ सवित्रे नमः

11-ॐ आर्काय नमः

12-ॐ भास्कराय नमः

 सूर्य नमस्कार में सावधानी

इस आसन को करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कब स्वास को भरना है और कब सास को छोड़ना है।

यदि किसी प्रकार की चोट लगी हुई है या किसी हड्डी और जोड़ों में दर्द है तब यह सब नहीं करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के वैज्ञानिक लाभ और करने का समय

जैसा कि ऊपर लेख में कहा गया है कि सूर्य को आयुर्वेद के अनुसार व सनातन संस्कृत के अनुसार देवता माना गया है।सूर्य संपूर्ण जगत से अंधेरे को दूर करके प्रकाश फैलाता है। सूर्य नमस्कार का आसन सुबह के समय किया जाता है। जिस प्रकार भगवान सूर्य भौतिक जगत में अंधकार को मिटाकर के चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश करते हैं उसी तरह आंतरिक जगत में भी दुख रूपी अंधकार को हटाकर सुख रुपी प्रकाश को फैलाने का काम सूर्य नमस्कार करता है सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक मानसिक समस्त प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं योग में एक उत्तम आसन है।

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