कलियुग में भगवान से सच्चा संबंध कैसे बनाएं?

 कलियुग में भगवान से सच्चा संबंध कैसे बनाएं?

 

दोस्तों आज हम जिस युग में जी रहे हैं उसका नाम है कलियुग हम सब कलियुग में जी रहे हैं ,एक ऐसा युग जहां चारों ओर अशांति, भौतिकता और दिखावा है। जीवन की भाग दौड़ में हम भगवान को याद तो करते हैं, परंतु उनसे "सच्चा संबंध" बनाना भूल जाते हैं। दोस्तों अब आप कहेंगे कि भगवान से हम सच्चा संबंध कैसे बना सकते हैं क्या यह संभव है?

जी हां, बिल्कुल संभव है!

ध्यानमग्न साधू भगवान से सच्चा सम्बन्ध बनाते हुए


कलियुग में भले ही धर्म की शक्ति क्षीण हो गई हो, परंतु एक सबसे सरल उपाय है जिससे हम ईश्वर के सबसे निकट आ सकते हैं और वह उपाय है "भक्ति"। दोस्तों सबसे पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि

 

भगवान से सच्चा संबंध क्या होता है?

 

सच्चा संबंध सिर्फ पूजा-पाठ या मंत्रों के जाप करने से नहीं बनता, बल्कि भगवान के साथ अपना रिश्ता बनाने से बनता है जैसे हम

 

भगवान को अपना मित्र, माता-पिता, साथी मान ले जिस तरह से हम अपने माता-पिता से अपने मित्र से कोई बात नहीं छुपाते हैं उसी तरह से भगवान से भी खुलकर बातें करें।अपने जीवन की हर समस्या सुख और दुख सब उनके साथ साझा करें

 

भगवान के निर्णयों पर पूर्ण विश्वास रखें दोस्तों हमें यह सोच करके चलना चाहिए कि भगवान जो कुछ भी कर रहा है अच्छा कर रहा है मेरे लिए हमेशा अच्छा ही करेगा। भगवान के निर्णय पर जरा भी संदेह न करें।

उन्हें केवल संकट के समय नहीं, सुख में भी याद रखना। दोस्तों आज हम लोगों की आदत ऐसी बन चुकी है कि भगवान को इंसान सुख में तो भूल ही जाता है। जब उसके ऊपर कोई मुसीबत पड़ती है दुख आता है तभी वह भगवान को याद करता है। बस हम यही गलती कर देते हैं भगवान को सुख और दुख दोनों में याद रखना चाहिए।

 

कलियुग में भगवान से जुड़ने के 7 सटीक उपाय

 

 1. हर दिन एकांत में "मन से" बात करें

 

दोस्तों दिन में केवल 10 मिनट शांति से कहीं एकांत में बैठकर ईश्वर से बात करें। कहें:

 

हे प्रभु, मैं आपको समझ नहीं पाता, लेकिन मैं आपके बिना अधूरा हूं।"प्रभु हम पर कृपा करिए हमें ज्ञान दीजिए कि हम आपको समझ सके और हम पूर्ण हो सके। हर दिन ऐसा करने से

आपकी आत्मा और ईश्वर के बीच संवाद शुरू हो जाएगा।

 

 2. नाम-जप को जीवन का हिस्सा बनाएं

 

दोस्तों कलियुग में भगवान का नाम ही सबसे प्रभावशाली साधन है।

"हरि नाम संकीर्तन" को सर्वोच्च बताया गया है।

"हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे"

 

रोज 5 मिनट शांति के साथ बैठकर इन नाम का जाप करें यह साधना बन जाएगी।

 

 3. सच्चाई और सरलता से जीवन जिएँ 

 

ईश्वर दिखावे से नहीं, निर्मल मन से प्रसन्न होते हैं।

 

कपट से बचें

किसी के साथ छल कपट ना करें हमेशा सच्चाई के साथ रहे

 

दिखावटी धार्मिकता नहीं

 दोस्तों आज का समय इस तरह का चल रहा है कि लोग धर्म से तो कोसों दूर है केवल दिखावे के लिए वह धर्म कर रहे हैं। किसी को यदि एक कंबल भी दान करते हैं तो फोटो खिंचवाते हैं। किसी भूखे को यदि भोजन करवाते हैं तो सबसे पहले उसका फोटो डालते हैं। इसलिए यदि आप ईश्वर से सच्चा संबंध बनाना चाहते हैं तो दिखावा से दूर रहे और

अपने कर्मों को शुद्ध रखें

 

 4. किसी एक रूप में ईश्वर को चुनें

 

एक ही ईश्वर रूप (जैसे श्रीराम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि) को अपनाएं।

दोस्तों सनातन धर्म में ईश्वर के कई नाम है लेकिन अपना कोई एक ईष्ट चुने उसी को अपना "ईश्वर" मानें। ऐसा करने से ईश्वर के प्रति आपका भाव गहरा हो जाएगा। और धीरे-धीरे ईश्वर के साथ आपका संबंध गहराता चला जाएगा।

 

5. ईश्वर को "समर्पण" भाव से पुकारें

 

दोस्तों ईश्वर को जब भी पुकारे तो पूर्ण समर्पित होकर उनसे कहें मैं कुछ नहीं प्रभु, सब आप हैं।"

"आप जो देंगे वही स्वीकार है।"अपने हृदय को आप खाली कर लेंगे जिस दिन कर्तापन मिट जाएगा। जिस दिन आपके भीतर का मैं मिट जाएगा। समझ लेना उसी दिन आपका कल्याण हो गया ईश्वर से कहें कि प्रभु आपने जो कुछ भी मुझे दिया है मैं उसी में संतुष्ट हूं क्योंकि मेरी इच्छा तो कुछ है ही नहीं जो है सो आप ही की इच्छा है और आपकी जो इच्छा है वही मुझे मिल रहा है इसी में मेरा भला हो रहा है आपका दिया हुआ सुख और दुख सब कुछ मुझे स्वीकार है बस प्रभु मुझ अग्यानी पर अपनी कृपा बनाए रखना। मुझ अनाथ पर अपना हाथ रखना। दोस्तों इस समर्पण से ही सच्चा संबंध बनता है।

 

 6. धार्मिक ग्रंथों का दैनिक अध्ययन करें

 

दोस्तों क्या आपको पता है श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस, भागवत ये केवल किताबें नहीं, ईश्वर से संवाद के माध्यम हैं।

 

हर दिन 1 पृष्ठ भी पढ़ने से मन में दिव्यता आएगी। इसे पढ़ने से ऐसा लगने लगेगा कि जैसे जीवन की सारी अशांति दूर हो गई है मन को सुकून मिलने लगा है।

 

 7. ईश्वर को दैनिक कार्यों में शामिल करें

 

दोस्तों जब भी आप भोजन करने बैठे तो भोजन करने से पहले ईश्वर को धन्यवाद दें

 

सुबह उठते ही "जय श्रीराम" या "हरि ॐ" कहें

 

किसी कठिन कार्य करने से पहले उनका स्मरण करें

 

 

ईश्वर को दिनचर्या का हिस्सा बनाना संबंध को जीवित रखता है।

 

कलियुग में भगवान जल्दी क्यों सुनते हैं?

 

दोस्तों क्योंकि भगवान जानते हैं कि इस युग में जीवन कठिन है।

 

इसलिए केवल नाम-जप से ही उन्होंने मोक्ष का द्वार खोल दिया है।

 

 

भागवत में कहा गया है:

 

कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहि पारा।

 

 

सच्चे संबंध की पहचान क्या है?

 

दोस्तों मन शांति चाहता है, न कि चमत्कार

 

आप हर परिस्थिति में प्रभु को याद रखते हैं

 

आप बिना मांगे भी उन्हें धन्यवाद देते हैं

 

आप हर समय ईश्वर का स्मरण रखते हैं चाहे सुख हो या दुख हमेशा उनका ध्यान रखते हैं

 

दोस्तों कलियुग भले ही तमोप्रधान युग हो, लेकिन यही युग सबसे सरल है प्रभु से जुड़ने के लिए।

ना व्रत, ना यज्ञ, ना तीर्थ सिर्फ भक्ति, नाम-जप और समर्पण से ईश्वर को पाया जा सकता है।

 

भगवान दूर नहीं हैं, बस हम भाव से खाली हो गए हैं। भाव जगाओ, संबंध अपने आप गहराएगा।" जिस दिन हमारे अंदर का भाव आ गया उसी दिन हम ईश्वर को प्राप्त कर लेंगे।

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