रोग मुक्त जीवन जीने के लिए करें 5 आसन-do 5 asanas to live a disease free life in hindi

  स्वस्थ्य और रोग मुक्त जीवन जीने के लिए करें 5 आसन-Do 5 asanas to live a healthy and disease free life

इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह रोगमुक्त जीवन जी सके । उसके शरीर में किसी प्रकार का रोग न हो, हमेशा प्रसन्न रहें और हमेशा जवान रहे। क्या ऐसा संभव है। आज के बदलते हुए परिवेश में शारीरिक ,मानसिक और आर्थिक समस्याओं से व्यक्ति जकड़ गया है।

 किसी न किसी तरह की सोच उसके दिमाग में हमेशा चलती रहती है। यही सोच दिमाग में नकारात्मक विचारों को बढ़ावा देती है। इन नकारात्मक विचार के द्वारा शरीर पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से शरीर में अनेक तरह की बीमारियों का जन्म होता है ,और शरीर रोगी होने लगता है।


 यदि ऐसे में कोई भी व्यक्ति चाहता है कि इस तरीके के विचार दूर हो सके। मन की शांति प्राप्त हो सके और निरोगी जीवन जिया जा सके। तो यह केवल योग के द्वारा ही संभव है। एक योगी अपने मन को इतना एकाग्र बना लेता है कि उसके मन में नकारात्मक विचार फटकने तक नहीं पाते।

 और वह जब तक जीता है संपूर्ण स्वस्थ होकर प्रसन्न चित्त जीवन व्यतीत करता है।तो आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से योगासन हैं जिनको करने से शरीर निरोगी रहता है । यह योगासन बच्चे, जवान और बूढ़े सभी के लिए है।

रोग मुक्त जीवन जीने के लिए करें 5 आसन-do 5 asanas to live a disease free life


1- शीर्षासन रोग मुक्त जीवन के लिए

4- पश्चिमोत्तानासन हमेशा जवान रहने के लिए।

2- सर्वांगासन 100 साल तक चेहरे को चमकने के लिए

3- चक्रासन हमेशा जवान रहने के लिए

5- सूर्य नमस्कार स्वास्थ्य जीवन के लिए

  1-शीर्षासन रोगमुक्त जीवन के लिए कैसे करें

1-धोती या किसी लंबे वस्त्र की गोलाकार गद्दी बनाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में डालकर कोहनी तथा हाथ को जमीन पर टिकाए। गद्दी को हाथों के बीच में रखें।

2-सिर का अग्रभाग गद्दी पर एवं घुटने जमीन पर टिके हुए हो। अब शरीर का भार ग्रीवा एवं कोहनियों पर संतुलित करते हुए पैरों को भूमि के समानांतर सीधा करें।

3-अब एक घुटने को मोड़ने हुए ऊपर उठाएं,उसके पश्चात दूसरे घुटने को भी ऊपर उठाकर मोड़ कर रखें।

4-अब मुड़े हुए घुटनों को क्रमश एक-एक करके ऊपर उठाने की चेष्टा करें। प्रारंभ में शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। धीरे-धीरे पैर सीधे होने लगेंगे। जब पैर सीधे हो जाएं तो आपस में मिलाकर प्रारंभ में थोड़ा आगे की ओर झुका कर रखें, नहीं तो पीछे की ओर गिरने का भय होता है।

5-आंखें बंद रहे ,श्वास विश्वास की गति सामान्य रहे।

6-जिस क्रम से पैर ऊपर उठे थे उसी क्रम से वापस पूर्व स्थिति में लाने चाहिए। अपनी प्रकृति के अनुकूल शीर्षासन के बाद शवासन करें या खड़े हो जाएं। जिससे रक्त का प्रवाह जो मस्तिष्क की ओर हो रहा था वह सामान्य हो

शीर्षासन करने के लाभ

1-यह आसन सब आसनों का राजा है ।इससे शुद्ध रक्त मस्तिष्क को मिलता है जिससे आंख ,कान, नाक आदि को आरोग्य प्रदान होता है।

2-पिट्यूटरी एवं पीनियल ग्लैंड को स्वस्थ करके मस्तिष्क को सक्रिय करता है।

3-शीर्षासन याददाश्त को बढ़ाता है मेधा एवं धारणा शक्ति का विकास करता है।

4-पाचन तंत्र, आमाशय, आंत्र एवं यकृत को सक्रिय कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।

5-आंत्र वृद्धि, आंतों की शोथ और हिस्टीरिया एवं अंडकोष वृद्धि, हर्निया, कब्ज आदि रोगों को दूर करता है।

6-थायराइड ग्लैंड को सक्रिय कर दुर्बलता व मोटापा दोनों को दूर करता है क्योंकि यह दोनों व्याधियां थायराइड की क्रिया के अनियमित होने से होती है।

7-थायराइड ग्लैंड को सक्रिय करके ब्रम्हचर्य को स्थिर करता है।

8-स्वप्नदोष, प्रमेह, नपुंसकता, बंध्यापन आदि धातु रोगों को नष्ट करता है।

9-मुख्य मंडल पर ओज एवं तेज की वृद्धि करता है।

10-असमय बालों का झड़ना एवं सफेद होना दोनों ही व्याधियों को दूर करता है।

11-इस आसन के नियमित अभ्यास से व्यक्ति हमेशा जवान बना रहता है। बुढ़ापे का असर उस पर जल्दी नहीं होता है चेहरे की चमक बढ़ती है।

2-पश्चिमोत्तानासन हमेशा जवान रहने के लिए

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत ही लाभदायक आसान है पश्चिमोत्तानासन। यह आसन सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य प्रदान करता है ।

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि

1-दंडासन में बैठ कर दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी की सहायता से पैरों के अंगूठे को पकड़िए।

2-श्वास बाहर निकाल कर सामने झुकते हुए सिर को घुटने के बीच लगाने का प्रयत्न कीजिए।

3-पेट को उड्डीयान बंध की स्थिति में रख सकते हैं।

4-घुटने पैर सीधे भूमि पर लगे हुए तथा कोहनिया भी भूमि पर टिकी हुई हो।

5-इस स्थिति में शक्ति के अनुसार आधे से 3 मिनट तक रहें।

6-फिर श्वास छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।

6-पश्चिमोत्तानासन के बाद करने वाले आसन

7-इस आसन के बाद इसके प्रतियोगी आसन भुजंगासन शलभासन करना चाहिए।

 पश्चिमोत्तानासन के लाभ फायदे

1-पश्चिमोत्तानासन करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है।

2-यह आसन पृष्ठ भाग की सभी मांस पेशियों का विस्तार करके फैलाता है।

3-इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा पेट में अतिरिक्त जमा हुई चर्बी समाप्त होती है।

4-पेट के आंतरिक अंगों का व्यायाम होने के कारण जठराग्नि प्रदीप्त होती है भूख अच्छी लगती है।

5-पेट से संबंधित होने वाले रोग एसिडिटी ,अम्ल पित्त, खट्टी डकार, कब्ज ,अपच की समस्या दूर होती है।

6-मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक विशेष व्यायाम है जिसको करने से ब्लड में शुगर की मात्रा कम होती है।

7-इस आसन को करने से चेहरे पर तेज बढ़ता है ,चेहरे की झुर्रियां गायब होने लगती हैं।

8-मन को शांत करता है ।अनिद्रा को दूर करके रात में सुखद नींद देने वाला यह आसन है।

9-हठ योग के अनुसार यह आसन प्राणों को सुषुम्ना की ओर उन्मुख करता है। जिस से कुंडलिनी जागरण में सहायता मिलती है।

10-जठराग्नि को प्रदीप करता है व वीर्य संबंधी विकारों को नष्ट करता है।

11-कदम वृद्धि के लिए यह आसन महत्वपूर्ण अभ्यास है।

12-इस आसन के नियमित अभ्यास से बुढ़ापे का असर कम होने लगता है चेहरे से दाग, धब्बे असमय पड़ने वाली झुर्रियां गायब होने लगती है।

  

3-सर्वांगासन सौ साल तक चेहरे को चमकाने के लिए कैसे करे

1-सबसे पहले आप पीठ के बल सीधा लेट जाएं। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों और बगल में सटाकर हथेलियां जमीन की ओर करके रखें।

2-श्वास अंदर भरकर पैरों को धीरे- धीरे 30 डिग्री , फिर 60 डिग्री और अंत में 90 डिग्री तक उठाएं। पैरों को उठाते समय हाथों से सहायता ले सकते हैं।90 डिग्री पर यदि सीधा ना हो तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएं। कोनिया भूमि पर टिकी हुई हों और पैरों को मिलाकर सीधा रखें।

3-पंजे ऊपर की ओर तने हुए एवं आंखें बंद हो अथवा पैर के अंगूठे पर दृष्टि रखे।

4-2 मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे यह आसन आधे घंटे तक किया जा सकता है।

5-वापस आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएं।

6- दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें।

7-जितने समय तक सर्वांगासन किया जाए लगभग उतने समय तक शवासन में विश्राम करें।इस आसन का प्रतियोगी या पूरक आसन मत्स्यासन है।अतः शवासन में विश्राम से पूर्व मत्स्यासन करने से इस आसन से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

सर्वांगासन के लाभ-sarvangasan ke labh

1-सर्वांगासन थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है। इसलिए मोटापा, दुर्बलता, कदम वृद्धि में कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं।

2-एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं दिव्य ग्रंथियों को सबल बनाता है।

3-सर्वांगासन में थायराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ने के कारण थायराइड ग्रंथि ठीक से काम करने लगती है।

4-लगातार इस आसन का अभ्यास करने वाले लोगों की फ्राइड की समस्या ठीक हो जाती है।

 5- पेट के समस्त विकार दूर हो जाते हैं। शरीर में ब्लड सरकुलेशन बेहतर हो जाने के कारण एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति प्राप्त होती है।

6-इस आसन को करने से थकान और दुर्बलता आदि दूर हो जाती है।

4-चक्रासन हमेशा जवान रहने के लिए कैसे करें

1-पीठ के बल सीधे लेट जाएं

2-घुटनों को मोड़ ले और पैरों को नितंबों के पास रखें

3-बाजुओं को सिर के ऊपर उठाएं और जमीन पर कंधों के पास हथेलियों को रख दें।

4-अंगुलियां शरीर की ओर होंगी और कोहनिया ऊपर की तरफ होनी चाहिए

5-पूरे शरीर को ऐसे ऊंचा उठाएं कि केवल हाथ और पैर ही जमीन पर हो।

6-हाथों को पैरों के पास लाने का प्रयास करें।

7-जमीन की ओर देखें।

8-सामान्य स्वास्थ्य के साथ ऐसी स्थिति में जब तक रह सके आसानी पूर्वक तब तक बने रहें।

9-प्रारंभिक स्थिति में वापस लौट आए।

10-अब आपका एक चक्र पूरा हुआ। इस तरह आप 4 से 5 बार कर सकते हैं।

चक्रासन के फायदे

1-वैसे तो चक्रासन के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन कुछ प्रमुख फायदे हैं जिनके बारे में इस आर्टिकल में जानेंगे। चक्रासन को ऊर्ध्वधनुरासन के नाम से भी जाना जाता है।

2-यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।

3-चक्रासन का अभ्यास करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक पहुंचती है।

4-अस्थमा के रोगियों के लिए यह आसन अधिक फायदेमंद है।

5-तनाव चिंता और डिप्रेशन को खत्म करता है चक्रासन।

6-आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मददगार है चक्रासन।

7-अतिरिक्त फैट को कम करने में यह आसन अहम भूमिका निभाता है।

8-पाचन तंत्र को मजबूत और सुधार बनाता है।

9-हाथ पैर और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

10-चक्रासन करने से लगभग आंतरिक अंगों का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है।

11-महिलाओं में मासिक धर्म की से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है।

5-सूर्य नमस्कार जो कि एक पूर्ण आसन माना जाता है। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए

 इस आसन को बालक ,वृद्ध ,स्त्री और पुरुष सभी लोग कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार 12 योगासनों से मिलकर बना है। और प्रत्येक आसन का अपना अलग-अलग महत्व है।

1-सूर्य नमस्कार करने से रक्त संचार दुरुस्त रहता है

2-तनाव कम होता है

3-शरीर को पूरी तरह से डिटॉक्स करने में यह आसन मदद करता है।

4-मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से फिट रखता है।

5-शरीर में बल के साथ-साथ बुद्धि का भी विकास होता है।

6-सूर्य नमस्कार सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य प्रदान करता है ।

 

 

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