पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे ,विधि और सावधानी –paschimottanasan benefits,steps and precautions in hindi

सही तरीके से किया गया योगासन अधिक लाभ प्रदान करने वाला होता है।इसलिए आवश्यकता है की प्रत्येक योगासन को ध्यान पूर्वक किया जाय जिससे अधिक लाभ मिल सके ।योग मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है । जीवन में सुखी रहने के लिए शरीर निरोगी रहे तभी जीवन का वास्तविक आनन्द मिल पाता है ।

शरीर को निरोगी रखने के लिए , स्वास्थ्य रखने के लिए योग से अच्छा कोई विकल्प नहीं है । दोस्तों इस लेख को पढने के लिए आपका आनंदमय जीवन पर स्वागत है । तो आईये जानते है


 पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे ,विधि और सावधानी –paschimottanasan benefits,steps and precautions

पश्चिमोत्तानासन योग करने के बहुत सारे लाभ है । इस आसन के लाभ के बारे में जानने से पहले जान ले की इस आसन का नाम पश्चिमोत्तानासन क्यों पड़ा ।

पश्चिमोत्तानासन क्या है –what is paschimottanasana

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत ही लाभदायक आसान है पश्चिमोत्तानासन।पश्चिमोत्तानासन को करते समय रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर के पिछले भाग पर तनाव पड़ता है। इसीलिए इस आसन का नाम पश्चिमोत्तानासन है। क्योंकि इस आसन को करते समय शरीर के पिछले भाग को रीढ की हड्डी के साथ तानना होता है।

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि-steps of paschimottanasana

पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे ,विधि और सावधानी –pascchimottanasan benefits,steps and precautions


1- दंडासन में बैठ कर दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी की सहायता से पैरों के अंगूठे को पकड़िए या तलवों के आगे दोनों हांथो की उंगलियों को आपस में फंसा ले

2- श्वास बाहर निकाल कर सामने झुकते हुए सिर को घुटने के बीच लगाने का प्रयत्न कीजिए।

3- पेट को उड्डीयान बंध की स्थिति में रख सकते हैं।

4- घुटने पैर सीधे भूमि पर लगे हुए तथा कोहनिया भी भूमि पर टिकी हुई हो।

5- इस स्थिति में शक्ति के अनुसार आधे से 3 मिनट तक रहें।

6- फिर श्वास छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।

पश्चिमोत्तानासन के बाद करने वाले आसन

इस आसन के बाद इसके प्रतियोगी आसन

 भुजंगासन

 शलभासन 

करना चाहिए।

पश्चिमोत्तानासन के लाभ फायदे-benefits of paschimottanasana

1- पश्चिमोत्तानासन करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है।

2- यह आसन पृष्ठ भाग की सभी मांस पेशियों का विस्तार करके फैलाता है।

3- इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा पेट में अतिरिक्त जमा हुई चर्बी समाप्त होती है।

4- पेट के आंतरिक अंगों का व्यायाम होने के कारण जठराग्नि प्रदीप्त होती है भूख अच्छी लगती है।

5- पेट से संबंधित होने वाले रोग एसिडिटी ,अम्ल पित्त, खट्टी डकार, कब्ज ,अपच की समस्या दूर होती है।

6- मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक विशेष व्यायाम है जिसको करने से ब्लड में शुगर की मात्रा कम होती है।

7- इस आसन को करने से चेहरे पर तेज बढ़ता है ,चेहरे की झुर्रियां गायब होने लगती हैं।

8- मन को शांत करता है ।अनिद्रा को दूर करके रात में सुखद नींद देने वाला यह आसन है।

9- हठ योग के अनुसार यह आसन प्राणों को सुषुम्ना की ओर उन्मुख करता है। जिस से कुंडलिनी जागरण में सहायता मिलती है।

10-जठराग्नि को प्रदीप करता है व वीर्य संबंधी विकारों को नष्ट करता है।

11- कद वृद्धि के लिए यह आसन महत्वपूर्ण अभ्यास है।

12- इस आसन के नियमित अभ्यास से बुढ़ापे का असर कम होने लगता है चेहरे से दाग, धब्बे असमय पड़ने वाली झुर्रियां गायब होने लगती है।

 पश्चिमोत्तानासन करते समय सावधानियां-precautions of paschimottanasana

1- इस आसन का अभ्यास आराम से करना चाहिए कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

2- ध्यान रहे पश्चिमोत्तानासन हमेशा खाली पेट ही करें सुबह के समय।

3- कमर में दर्द या रीड की हड्डी में अधिक परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें।

4- पेट से संबंधित रोग आंतों में सूजन, अल्सर आदि में इस आसन का अभ्यास न करें।

5- इस आसन को करने के बाद इसके प्रतियोगी आसन अवश्य करें।

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