अध्यात्म क्या है-adhyatm kya hai

अध्यात्म क्या है-adhyatm kya hai



अध्यात्म क्या है-adhyatm kya hai

 आत्मा के अध्ययन को अध्यात्म कहते हैं जब हम अपने शरीर में स्थित आत्मा को पहचान लेते हैं जान लेते हैं इसे ही अध्यात्म कहते हैं शरीर तो नश्वर है इसकी एक निश्चित आयु है जो  कभी भी नष्ट हो सकता है जबकि आत्मा अजर और अमर है अविनाशी है यह कभी भी नष्ट नहीं होती है हमारा शरीर भौतिक पदार्थों के  ग्रहण करने के द्वारा सुख दुख का अनुभव करता है जबकि आत्मा से इसका कोई लेना देना नहीं होता है अपने आत्म तत्व को पहचान लेना ही अध्यात्म है इसके द्वारा हम अपने मन कर्म वचन आदि पर नियंत्रण करके सुख की अनुभूति कर सकते हैं व आनंद प्राप्त कर सकते हैं

अध्यात्म बुद्धि के द्वारा सभी विषयों का उत्तम ज्ञान प्रदान करता है अध्यात्म के द्वारा अपने भीतर के चेतना के तत्व को जानना और पहचान ना होता है अध्यात्म के द्वारा अपनी आत्मा को पहचानना होता है जब व्यक्ति अपनी आत्मा को पहचान लेता है तो लोभ और मोह को छोड़कर सदैव सुखी रहने केलिए प्रयत्न करता है

अध्यात्म के लाभ-adhyatm ke labh

आज के लोग धन वैभव मान सम्मान पद और प्रतिष्ठा को ही जीवन का सफल साधन मानते हैं संसार में रहकर लोग संसार की उपलब्धियों को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं यह कोई बुरा नहीं है लेकिन इसके पीछे भागना और उस लाभ को त्याग देना जो सास्वत है अजर है कभी न मिटने वाला है यह बुरा है

संसार में रहकर सांसारिक उपलब्धियों के पीछे भागना मनुष्य का स्वभाव है यह उपलब्धियां आती और जाती रहती हैं इनके आने पर हमें सुख की अनुभूति होती है और इनके जाने पर हमें दुख का अनुभव होता है यह हमें सुख दुख का अनुभव कराती रहती इनके पीछे भागना दुख का मूल कारण

मनुष्य के जीवन का संपूर्ण लाभ अध्यात्म के द्वारा ही संभव है आध्यात्मिक लाभ के द्वारा सुख का अनुभव कर सकता है और अध्यात्म के अभाव में मनुष्य का संपूर्ण जीवन कस्टमय होता है आध्यात्मिक जीवन आत्मा के सुख का मूल कारण है अध्यात्म के द्वारा मनुष्य को आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं आध्यात्मिक जीवन जीवन का सच्चा ज्ञान है इसको जान लेने के बाद जीवन में कुछ शेष नहीं रह जाता और इसके अभाव मैं सांसारिक जीवन अपूर्ण है अध्यात्म के द्वारा प्राप्त आनंद की तुलना संसार के किसी भी आनंद से नहीं की जा सकती

ऐसे कभी न मिटने वाले आनंद को छोड़कर जीवन के क्षणिक सुख के लिए अपने आप को उसके पीछे लगा देना और उसी में संतोष करना मानव जीवन का सबसे बड़ा नुकसान है जब आनंद ही मनुष्य के जीवन का सर्वोत्तम लाभ है तो इसे बनाये रहने का प्रयत्न  करते रहना चाहिएअध्यात्म  बिना आनन्द  असंभव  है वह आनंद जो कभी न मिटने वाला है वह केवल अध्यात्म के द्वारा ही संभव है आध्यात्मिक जीवन असत्य से सत्य की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करता है काम क्रोध पर विजय प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है ईर्ष्या द्वेष छल आदि का त्याग अध्यात्म के द्वारा ही संभव है

संसार का कोई दुख आध्यात्मिक व्यक्ति को कष्ट नहीं पहुंचा सकता वह अपने आप में ही आनंदित और प्रसन्नचित रहता है जबकि सांसारिक व्यक्ति जरा से दुख में ही विचलित हो जाता है आध्यात्मिक व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है उसमें संसार के समस्त दुख सहने की क्षमता होती

अध्यात्म क्या है ओशो-adhyatm kya hai osho

जब गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि, हे अर्जुन वह परम अक्षर अर्थात जिसका कभी नाश नहीं होता ।जो कभी विनाश की तरफ नहीं जाता ।ऐसा सच्चिदानंद घन परमात्मा तो ब्रह्मा है और अपना स्वरूप अर्थात स्वभाव अध्यात्म नाम से कहा जाता है ।

 

अध्यात्मिक ज्ञान क्या है

अध्यात्म ज्ञान में स्वयं के द्वारा मन, बुद्धि,इन्द्रियां शरीर जीव आत्मा और परमात्मा के अध्ययन को ही अध्यात्म का ज्ञान का गया है।स्वयं के द्वारा आत्मा का मंथन करना आत्मा का प्रयोगशाला ही अध्यात्म है।संपूर्ण विश्व में रहने वाला मनुष्य किसी न किसी प्रकार से दुख में जी रहे हैं, ऐसे बहुत कम ही मनुष्य है जो संपूर्ण रूप से आनंद में है ,और जीवन में आनंद के न होने के कारण मन में घबराहट उत्पन्न होता है । जब व्यक्ति अध्यात्म का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। तो उसके मन में घबराहट  ईर्ष्या चिंता से मुक्ति मिल जाती है। यही आध्यात्मिक ज्ञान है।

अध्यात्म के क्या लाभ हैं

आध्यात्मिक जीवन का सबसे बड़ा लाभ आत्मा का उद्धार माना गया है।आध्यात्मिक व्यक्ति किसी भी दिशा में किया हुआ पुरुषार्थ परमार्थ का ही दूसरा रूप होता है।वह प्रत्येक कार्य को परमात्मा  का कार्य और परिणाम को उसका प्रसाद मानता है।पुरुषार्थ द्वारा परमार्थ लगन व्यक्ति के ईर्ष्या, द्वेष ,माया, लोभ, स्वार्थ ,तृष्णा, वासना के संस्कार व्यक्ति में नष्ट हो जाते हैं। और उनके स्थान पर तपस्या ,संतोष, त्याग सेवा परोपकार आदि के शुभ संस्कार विकसित होने लगते हैं। आध्यात्मिक मार्ग के पथिक के हृदय से तुछता, हीनता, दीनता तथा दासता के अवगुण समाप्त हो जाते हैं। उसके स्थान पर संपन्नता ,पवित्रता प्रसन्नता, निर्भरता आदि प्रवृत्तियों का जन्म होता है। ये आध्यात्मिक जीवन की सहज उपलब्धियां हैं, इन्हें पाकर मनुष्य  को कुछ भी तो पाना शेष नहीं रह जाता है। मनुष्य के जीवन में इसके समान और कोई दूसरा लाभ नहीं है।

 

अध्यात्म का विज्ञान क्या है

विज्ञान व्यक्ति के जीवन को सुखी बनाने के लिए उसके शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए उसको भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ सुख और आनंद प्राप्त करने के लिए है या हम यह कह सकते हैं कि व्यक्ति के विकास के लिए विज्ञान निरंतर नई-नई खोजें करता है और व्यक्ति को सुख पहुंचाने के लिए।

ठीक इसी प्रकार अध्यात्म भी व्यक्ति को सुख शांति व जीवन में आनंद प्राप्त करने का तरीका बताता है ।जीवन में सुख प्राप्त करने की कला को जन्म देता है। देखने में दोनों भले ही अलग हो लेकिन अंतर दोनों में नहीं है ।विज्ञान व्यक्ति के वाह्य शारीरिक ,मानसिक  विकास और उससे शरीर तक संबंधित विकास के लिए है। जबकि अध्यात्म व्यक्ति के आंतरिक विकास,प्राण  के लिए है ,व्यक्ति के आंतरिक मनोभावों को सुधारने के लिए अध्यात्म है । इसलिए अध्यात्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक है

विज्ञान व्यक्ति का अध्ययन करता है अध्यात्म व्यक्ति के आत्मा का अध्ययन करता है

विज्ञान वाह्य  सुख व भौतिक सुख-सुविधाओं को जन्म देता है

जबकि अध्यात्म आत्मिक दृढ़ता और आंतरिक सद्गुणों को जन्म देता है।


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1 Comments:

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19 दिसंबर 2021 को 6:30 pm बजे ×

अध्यात्मिकता पर बहुत सुन्दर विचार, धन्यवाद

Congrats bro SearchLights. you got PERTAMAX...! hehehehe...
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