महाबली हनुमान को हराने वाले एकमात्र योद्धा कौन थे

 महाबली हनुमान को हराने वाले एकमात्र योद्धा कौन थे

हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली कहा गया है। हनुमान चालीसा में कहा गया है चारों युग प्रताप तुम्हारा। होय प्रसिद्द जगत उजियारा ।। जिसका अर्थ है  हनुमान जी को चारों युगों में कोई परास्त नहीं कर सका न तो उन्हें युद्ध में कोई हरा सका। महाबली हनुमान जी की वीरता की गाथाएं प्रसिद्ध है ।

पता नहीं कितने लोगों का अहंकार हनुमान जी ने एक साथ नष्ट किया। जिन्होंने बचपन में ही सूर्य को मुख में रख लिया । ऐसे कई उदाहरण हमारे हिंदू धर्म शास्त्र में , पुराणों में मिलते हैं।राम और रावण के युद्ध में भी हनुमान जी ऐसे एकमात्र योद्धा थे जिन्हें किसी प्रकार की कोई क्षति पहुंचाने वाला कोई नहीं था।

हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली कहा गया है


 यह सुनने में बहुत ही आश्चर्यचकित लगता है।प्रभु की कृपा प्रभु ही जाने  लेकिन पुराणों के अनुसार इसे सत्य माना गया है की हनुमान जी को एक बार हार का सामना करना पड़ा।

कथा कुछ इस प्रकार है। मच्छिंद्रनाथ नाम के एक बहुत बड़े तपस्वी थे। जिन्हें मंत्र की सिद्धि प्राप्त थी। इन पर भी भगवान शिव की बहुत बड़ी कृपा थी। यह जो कहते थे वही हो जाता था। एक बार मछिंद्रनाथ रामेश्वरम में आए और भगवान  राम द्वारा निर्मित रामसेतु को देखकर बहुत ही भाव विभोर हो गए।

 भगवान की भक्ति मन में धारण करके समुद्र में स्नान करने लगे। तभी वहां वानर  के वेश में उपस्थित हनुमान जी की नजर उन पर पड़ी। हनुमान जी जानते थे कि मच्छिंद्रनाथ बहुत बड़े तपस्वी हैं। फिर भी हनुमान जी के मन में मच्छिंद्रनाथ की परीक्षा लेने का विचार आया।

 परीक्षा लेने के लिए हनुमान जी ने अपनी लीला आरंभ की और जोर से बरसात होने लगी। ऐसे में वानर रूप धरे हनुमान जी बरसात से बचने के लिए पहाड़ पर एक गुफा बनाने का झूठा नाटक करने लगे। वह जानते थे कि ऐसा करने से मछिंद्रनाथ का ध्यान टूटे और उनकी नजर हनुमान जी पर पड़े।और ऐसा ही हुवा ।

कुछ ही समय बाद मछिंद्रनाथ की नजर उस वानर रूपी हनुमान जी पर पड़ी। तब मछिंद्रनाथ ने कहा कि हे वानर क्यों ऐसी मूर्खता कर रहा है  प्यास लगने पर कुआं  खोद रहा है। इसका प्रबंध तो तुम्हें पहले से ही कर लेना चाहिए।

यह सुनकर हनुमानजी रूपी वानर ने मछिंद्रनाथ से पूछा कि आप कौन हैं। मछिंद्रनाथ बोले कि मैं एक सिद्ध योगी हूं और मुझे मंत्र की शक्ति प्राप्त है। यह सुनकर वानर रूप धरे हनुमान जी ने कहा कि इस संसार में केवल दो ही योद्धा श्रेष्ठ है ।एक तो प्रभु श्री राम और दूसरे हनुमान इनके अलावा कोई तीसरा नहीं है। 

कुछ दिन मैंने प्रभु श्री राम की सेवा की जिससे प्रभु ने प्रसन्न होकर अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा मुझे भी दे दिया है। यदि आपके पास इतनी शक्ति है ,और आप पहुंचे हुए सिद्ध योगी हैं ,तो आप मुझे युद्ध में हरा कर दिखाएं।

 फिर हनुमान जी और मछिंद्रनाथ में युद्ध शुरू हो गया। युद्ध करते समय हनुमान जी की कोई शक्ति काम नहीं कर रही थी सब खत्म होते दिखाई दे रही थी। हनुमान जी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हो रहा है। आज तक मुझे कोई भी परास्त नहीं कर सका और एक योगी जिससे लगता है कि आज मैं परास्त हो जाऊंगा।

 हनुमान जी की यह दशा देखकर वहां पर वायु देव पहुंचे और मछिंद्रनाथ से हनुमान जी को क्षमा करने का अनुरोध किया। इस युद्ध में हनुमान जी की हार हुई थी।

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