हाई ब्लड प्रेसर क्या है -high blood pressure kya hai

हाई ब्लड प्रेसर क्या है -high blood pressure kya hai



 

आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हाई ब्लड प्रेसर से अधिकतर लोग प्रभावित है ।आज हम जानेंगे की हाई ब्लड प्रेसर क्या है और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है ।

-हाई ब्लड प्रेसर क्या है-high blood pressure kya hai

ह्रदय शरीर के असुद्ध रक्त को दाहिने अलिंद में ग्रहण करता है ।तथा दाहिने निलय के माध्यम से शुद्धिकरण के लिए फेफड़ों में भेज देता है ।वहां से सुद्ध रक्त बाएं अलिंद में आता है ।तथा बाएं निलय के द्वारा सरीर के समस्त अंगों में प्रवाहित कर दिया जाता है ।ह्रदय से रक्त को प्रवाहित करने पर जो दबाव होता है उसे ब्लड प्रेसर कहते हैं ।

हाई ब्लड प्रेसर के लक्षण-high blood pressure ke lukshn

हाई ब्लड प्रेशर के वैसे तो कोई खास लक्षण नहीं होते हैं लेकिन कुछ चीजों पर गौर करने की जरूरत है जैसे सिर में दर्द होना थकान का महसूस होना अनिद्रा किसी भी काम में मन न लगना आदि लक्षण हाई ब्लड प्रेशर में पाए जाते हैं।और हृदय संबंधी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं सिर दर्द उल्टी या जी मत लाना आंखों में गड़बड़ी अटैक आना आदि होते हैं

हाई बीपी का घरेलू उपचार-high blood pressure ka ghrelu ilaj

हाई ब्लड प्रेशर का घरेलू उपचार में नमक कम खाना चाहिए तली भूनी चीजें खट्टा मसालेदार चीजें खाने से बचना चाहिए। समय पर सोना चाहिए वह सुबह जल्दी उठना चाहिए पानी का अधिक सेवन करना चाहिए और सकारात्मक सोच बनाए रखना चाहिए। इस प्रकार आहार एवं नियमित दिनचर्या को करके आसन प्राणायाम का अभ्यास करके इस पर कंट्रोल किया जा सकता है

हाई ब्लड प्रेशर कितना होता है-high blood pressure kitna hota hai

वैसे सामान्य अवस्था में सिस्टोलिक 120 से 130mm /hg से अधिक नहीं होना चाहिए डायस्टोलिक 90 से 95 से अधिक नहीं होना चाहिए यदि इससे अधिक है तो वह हाई ब्लड प्रेशर ही कहलाएगा

हाई ब्लड प्रेशर की आयुर्वेदिक दवा-high blood pressure ki ayurvedik dawa

 हाई ब्लड प्रेशर में शरीर में तीनों दोस के बढ़ने से होता है जब वात दोष के कारण भी यह  रोग होता है वात और पित्त के असंतुलन से यह अधिक गंभीर हो जाता है

 जिस रोग में यदि बात अधिक होता है तो रोगी को घबराहट तनाव चिंता व अनिद्रा का शिकार हो जाता है ऐसी अवस्था में उसे सर्पगंधा 125 एमजी चौथा दिन में तीन बार दो-तीन माह जटामांसी लेना चाहिए लोंग के चूर्ण में शहद मिलाकर सप्ताह में एक या दो बार लिया जा सकता है

 गर्म दूध में सारस्वत चूर्ण से भी आराम मिलता है अश्वगंधा भी लाभदायक होता है पित्त का प्रभाव अधिक होने पर क्रोध चिड़चिड़ापन गंभीर सर दर्द होता है इसमें ब्राम्ही रसायन सारस्वत चूर्ण रात्रि में प्रतिदिन 1 ग्राम का सेवन करें कब की दशा में आलस्य हल्का सिर दर्द होता है दूध एवं दूध से बनी चीजों से परहेज करें गूगल अर्जुन 1 ग्राम दिन में दो बार ले शिलाजीत ढाई सौ एमजी दिन में तीन बार तीन माह तक सेवन करें

 त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी में रात को सोते समय लेने से कब्ज और तनाव दोनों दूर होते हैं पुनर्नवा चूर्ण भी लाभदाई होता है गुलाब मन को शांत करता है इसका सेवन किया जा सकता है इसके अलावा सर्पगंधा एवं अर्जुन का प्रयोग भी किया जाता है

हाई ब्लड प्रेशर के नुकसान-high blood pressure ke nuksan

हाई ब्लड प्रेशर को 3 स्टेज में बांटा गया है सामान्य अवस्था में सिस्टोलिक 140 से 150 तथा डायस्टोलिक 90 से 99 तक स्टेज 2 सामान्य से अधिक 160 से 171 व 100 से 110 तीसरी अवस्था में 210 से अधिक 120 से अधिक रक्त का दबाव होता है इससे किडनी की खराबी संक्रमण धमनियों का कालापन थायराइड ग्रंथि की अधिकतम क्रियाशीलता मूत्राशय संबंधी रोग किडनी संबंधी रोग माइग्रेन सिरदर्द मानसिक ग्राम जल्दी थकना आदि

हाई ब्लड प्रेशर क्यों होता है-high blood pressure kyon hota hai

 हाई ब्लड प्रेशर अनियमित दिनचर्या देर तक सोना देर रात्रि तक जागना सुबह नहीं उठना गलत खानपान तली हुई चीजें अधिक मात्रा में सेवन करना वह मानसिक तनाव अत्यधिक चिंतित रहना इसके कारण है

हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए-high blood pressure me kya nahi khana chahiye

 हाई ब्लड प्रेशर में नमक खट्टा और गर्म भोजन से सख्त परहेज करें मसालेदार वह फैट युक्त तली भुनी चीजें ना लें चाय काफी से परहेज करें इसमें स्थित का सीन नुकसानदायक है और इससे रक्त का दबाव बढ़ जाता है जो यह अत्यधिक खतरनाक हो सकता है नमक संबंधित आहार का सेवन कम करें धूम्रपान से बचें अल्कोहल आदि का सेवन न करें

हाई ब्लड प्रेशर से बचाव हाई ब्लड प्रेशर में रात्रि का जागरण अनियमित भोजन एवं अनियमित दिनचर्या इसरो के विकास में अत्यंत सहयोगी हैं अतः समय पर सोएं प्रातः जल्दी जागे दोनों ही स्वास्थ्यवर्धक हैं पानी का अधिक सेवन करें

 मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने न दें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें सदा सरकार सकारात्मक सोच करें कोई ऐसा कार्य न करें जिससे भावनात्मक कष्ट हो क्योंकि इस रोग का संबंध सीधे भावना से ही होता है प्राणायाम आसन ध्यान के द्वारा इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है और अत्यधिक गंभीर स्थिति में तत्काल योग्य चिकित्सक से परामर्श लें

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