भ्रामरी प्राणायाम के चमत्कारी फायदे और विधि-Miraculous Benefits And Method Of Bhramari Pranayama In Hindi
भ्रामरी प्राणायाम तत्काल मन को शांति
प्रदान करने वाला योग है। भ्रामरी प्राणायाम
गुस्सा, बेचैनी ,अवसाद
एवं माइग्रेन जैसी समस्याओं का भी समाधान करने की क्षमता रखता है।
भ्रामरी प्राणायाम मन को प्राकृतिक शांति
प्रदान करता है। भंवरे के नाम पर इस प्राणायाम का नाम भ्रामरी प्राणायाम पड़ा है
क्योंकि इस प्राणायाम को करते समय भंवरे के समान गुंजन पैदा होता है।
इस प्राणायाम को करते समय दिमाग की
तंत्रिकाओं को पूर्ण आराम मिलता है और मस्तिष्क को इससे विशेष लाभ मिलता है।
भ्रामरी प्राणायाम एक ऐसा चमत्कारी
प्राणायाम है जो दिमाग और मन दोनों को शांत करने में मदद करता है। यदि आप अपनी
दिनचर्या में इस प्राणायाम को नियमित रूप से अपना लेते हैं तो कई तरह की बीमारियां
दूर हो जाती है।
भ्रामरी प्राणायाम कब करना चाहिए।
इस प्राणायाम को करने के लिए आप सुबह और
शाम दोनों समय कर सकते हैं। ध्यान रखने वाली बात है कि भ्रमरी प्राणायाम करते समय
आपका पेट खाली होना चाहिए।यहां तक के कि आप ऑफिस में बैठे हो तो कुर्सी पर बैठ कर
के भी मन को शांत करने के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं।
कौन कर सकता है भ्रामरी प्राणायाम को।
भ्रामरी प्राणायाम बच्चे और बूढ़े दोनों
कर सकते हैं क्योंकि इस प्राणायाम को करने के लिए किसी खास आयु वर्ग की आवश्यकता
नहीं होती है। किसी भी उम्र के व्यक्ति इसको आराम से कर सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि
भ्रामरी प्राणायाम अनेकों तरह के
स्वास्थ्य लाभ देने वाला है और एक चमत्कारी प्राणायाम है।
जब यह इतने सारे लाभ प्रदान करता है तो
इसे कैसे किया जाए जिससे तमाम तरह के शारीरिक लाभ हमें प्राप्त हो जाए तो आइए
जानते हैं बिंदुवार कि इस प्राणायाम को करने की विधि क्या है।
1-भ्रामरी प्राणायाम को करने के लिए
किसी शांत वातावरण का चुनाव करें जहां पर हवा का अच्छा प्रवाह हो।
2-अब आप अपने चुने स्थान पर योगा मैट
बिछाकर बैठ जाएं।
3-अपनी आँखें बंद कर ले ।
4-अपने चेहरे पर प्रसन्नता लाने का
प्रयास करें जब आपको लगने लगे कि हमारा चेहरा मुस्कान से भरपूर हो चुका है। तब तर्जनी
उंगली को अपने कान पर रखें।
5-कान और गाल की त्वचा के बीच में एक
उपस्थित होती है वहां अपनी उंगली को रखें।
6-अब आप एक लंबी गहरी सांस लें और
छोड़ते हुए धीरे से उस उपास्थि को दबाएं। आप चाहें तो उपास्थि को दबाए रख सकते हैं
अथवा उंगली से दबाव दे सकते हैं और छोड़ सकते हैं।
7-इस प्रक्रिया को करते हुए गुंजन करने
वाली भंवरे जैसी आवाज निकाले आप ॐ शब्द का उच्चारण कर सकते हैं।
8-अधिक लाभ पाने के लिए ऊंची ध्वनि में
आवाज निकाले।
9-हमेशा ध्यान रखें की आवाज को निकालते
समय या श्वास को छोड़ते समय आपका मुंह बंद होना चाहिए और नाक से ही आवाज निकलनी
चाहिए ।गुंजन करते हुए स्वास को छोड़ना चाहिए।
10-इस प्रक्रिया को कम से कम 3 से 4 बार दोहराएं
लंबी गहरी सांस खींचें और मुंह बंद रखते हुए नाक से ओम की ध्वनि का उच्चारण
करते हुए निकाले।
भ्रामरी प्राणायाम के फायदे
1-भ्रामरी प्राणायाम करने से बहुत से
फायदे मिलते हैं इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से चिंता ,तनाव ,क्रोध, माइग्रेन,
थायराइड आदि सभी समस्याओं का निदान होता है।
2-इस प्राणायाम को करने से चिंता और
क्रोध दूर होता है। हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों के लिए यह प्राणायाम बहुत ही
लाभकारी प्राणायाम है।
3-थायराइड की बीमारी में भी यह
प्राणायाम काफी कारगर है। इस प्राणायाम को करते समय गले में वाइब्रेशन पैदा होता
है जिससे थायराइड ग्रंथि की सक्रियता बढ़ जाती है और इससे जुड़े हुए रोग गले से
संबंधित सभी प्रकार की बीमारियों में लाभ मिलता है।
4-इस प्राणायाम को करने से आत्मविश्वास
बढ़ता है ।शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार तेजी से होता है ।सारी नकारात्मक
भावनाएं निकल जाती है।
5-अनिद्रा और माइग्रेन जैसे रोग
में भ्रामरी प्राणायाम काफी कारगर है।जिन
लोगों को ठीक से नींद नहीं आती है वह लोग यदि इसका अभ्यास करते हैं तो उन्हें
अच्छी नींद आने लगती है। माइग्रेन से पीड़ित लोग भ्रामरी प्राणायाम करते हैं तो
उनको भी जबरदस्त लाभ मिलते हैं।
6-नाक का बंद होना ,आधे सिर में दर्द होना आदि समस्याओं से जो लोग जूझ रहे हैं उन्हें भ्रामरी
प्राणायाम करना चाहिए।
7-जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी
होती है उन लोगों को भी यह प्राणायाम करना चाहिए उनमें आत्मविश्वास का विकास होता
है।
8-बुद्धि को तेज करने के लिए भी यह
प्राणायाम काफी लाभदायक है।
9-हाई बीपी से जुड़ी समस्याओं के लिए भी
इस प्राणायाम को किया जा सकता है। जिसको करने से कुछ ही मिनटों में हाई बीपी की
समस्या में आराम मिलता है।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय ध्यान देने योग्य बातें
1-जब भी आप इस प्राणायाम का अभ्यास करें
तो आपकी आंखें बंद होनी चाहिए।
2-श्वास को बाहर छोड़ते समय आपका मुंह
बंद होना चाहिए हमेशा नाक से ही स्वास निकाले
3-श्वास छोड़ते समय आप ओम का उच्चारण
करते हैं तो आपका पूरा फोकस ओम शब्द के उच्चारण पर ही होना चाहिए। यदि आप ऐसा करते
हैं तो आपको अधिक लाभ मिलेगा।
4-इस प्राणायाम को 4 से 5 बार करें अधिक बार न करें।
ConversionConversion EmoticonEmoticon