अपने क्रोध पर नियंत्रण कैसे करे-krodh par niyantran kaise karen

 

अपने क्रोध(गुस्सा ) पर नियंत्रण कैसे करे-apne krodh par niyantran kaise karen

क्रोध आना बहुत बड़ी समस्या है  ।कभी कभी क्रोध इतना हावी हो जाता है की लोगों को उचित अनुचित का ज्ञान भी नहीं रह जाता है ।जिससे अनजाने में ही उनसे बड़ी –बड़ी गलतियाँ हो जाती है ।क्रोध कम हो जाने पर अपने द्वारा की गयी गलती का एहसास भी होता है ।


लेकिन क्रोध के वशीभूत होकर जो गलती हो गयी उसका भविष्य में नुकसान  भी उठाना पड़ता है ।क्रोध को पाप की जड़ कहा जाता है ।क्रोध आने पर लोग अपना ही नुकसान  कर बैठते है ।क्रोध पर नियंत्रण कैसे करे इस सम्बन्ध में कुछ तरीके है जिनको अपनाकर क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है ।

क्रोध क्या है-krodh kya hai

क्रोध एक ऐसी भावना है जिसे करने की हृदय की गति और व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ जाता है। क्रोध की उत्पत्ति कैसे होती है। उसके व्यवहार में भय स्पष्ट रूप से देखा जाता है जब व्यक्ति भय के कारण को रोकने की कोशिश करता है। तब उसे क्रोध आता है।क्रोधी व्यक्ति की सोचने और समझने की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है और वह समाज और अपनों की नजर से गिर जाता है। क्रोध एक ऐसी भावना है जो हमें नहीं बल्कि हमारे अहम को आती है। जब हमारी परिस्थिति हमारे पक्ष में नहीं होती या गतिविधि हमारे अनुसार नहीं होती।

क्रोध हमारे अहम कि वह अस्वीकृति है जो मानने को तैयार नहीं होती है कि जिंदगी में सब कुछ हमारे अनुसार नहीं होता है।परिस्थितियां किसी भी व्यक्ति को अपनी ओर झुकाने के लिए विनम्रता और धैर्य दोनों आवश्यक है।

क्रोध के प्रकार-krodh ke prakar

शास्त्रों के अनुसार क्रोध दो प्रकार का होता है

1-बुरा क्रोध

क्रोध अपने आप में बुरा नहीं है जब तक यह आपको अंदर से क्रोधित न करें।एक वह क्रोध होता है जो आप की अंदर की मानसिक स्थिति को बिगाड़ देता है।जिससे निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है और व्यक्ति द्वारा कुछ ऐसा कर दिया जाता है जो नहीं करना चाहिए। इस प्रकार का क्रोध व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देता है। तब व्यक्ति अपने कार्य को बेहतर तरीके से नहीं कर पाता है और उसके रिश्ते खराब होने लगते हैं तथा दुनिया में वह एक अराजक इंसान के रूप में जाना जाने लगता है।

2-सामान्य क्रोध

सामान्य क्रोध वह है जिसमें आप किसी कार्य को पूरा करवाने के लिए या कार्य के बोझ से क्रोधित नजर हो रहे हैं पर आपकी अंदर से मानसिक स्थिति पूर्णता शांत है। इस स्थिति में व्यक्ति को सही और गलत का अंदाजा होता है।

अपने क्रोध पर नियंत्रण कैसे करे-krodh par niyantran kaise karen



अपने आपको चाहे कितनी बार समझाया जाए कि क्रोध करना अच्छा नहीं होता है ।फिर भी जब यह भावना उठती है तो हम इसे संभाल नहीं पाते हैं। यह सभी जानते हैं कि क्रोध नहीं करना चाहिए लेकिन यदि क्रोध आए तो क्या करें।

जब व्यक्ति को क्रोध आता है तो वह अपने आप पर नियंत्रण करने में खुद को असमर्थ पाता है। बचपन से व्यक्ति यही सीखता चला आ रहा है कि क्रोध नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी क्रोध ज्यों का त्यों बना हुआ है। अब प्रश्न यह उठता है कि इसको नियंत्रित कैसे करें जब भावनाओं का गुबार फूट पड़ता है तब हम क्या करें।आइए उन तरीकों को सीख कर अपने क्रोध और तनाव को संभालें  और अपने स्वास्थ्य और जीवन के गुणों को बेहतर बनायें।

१- क्रोध आने के कारण की पहचान  करे व् क्रोध पर नियन्त्रण करें 

सबसे पहले हमें उन कारणों को तलाशना चहिये जिनकी वजह से हमें क्रोध आता है। जैसे किसी व्यक्ति के से बात करने पर या किसी के साथ बैठने पर हमें अधिक क्रोध आता है तो हमें उनसे दूर रहना चाहिए।

२ – सात्विक आहार ले

खान पान का असर हमारे शरीर व मन पर पड़ता है ।गर्म खाना चाय काफी लहसुन प्याज आदि अपने भोजन में सम्मिलित न करे क्योंकि इस तरह के आहार से क्रोध अधिक आता है सदा भोजन करने से मन में सादगी रहेगी क्रोध कम हो जायेगा ।

३ –मादक चीजों का त्याग करे

यदि आप शराब ,सिगरेट आदि के आदी है। तो इनसे दूरी बनाये क्योंकि इस तरह के नशा से दिमाग उत्तेजित हो जाता है। यदि किसी कारण आप नशे के आदी है तो इनका त्याग करना ही आपके जीवन के लिए हितकर है।

४ – मनोरंजन करे

मनोरंजन हमारे मस्तिस्क का पोषक आहार है ।संगीत सुनने से आनन्द मिलता है तनाव कम होता है ।संगीत मन को शान्त करके दिमाग की उत्तेजना को कम करता है ।

५ –योग करे

सुबह के समय कम से कम तीस मिनट तक एकांत में बैठकर प्राणायाम करे । भ्रामरी ,अनुलोम विलोम ,सूर्य नमस्कार आदि आसन करके क्रोध पर नियंत्रण किया  जा सकता है

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