परतंत्रता जीवन का बंधन है -partantrta jivan ka bandhan hai

 

परतंत्रता जीवन का बंधन है-partantrta jivan ka bandhan hai

परतंत्रता का अर्थ 


 परतंत्रता का अर्थ है परवश होना किसी दूसरे के आधीन होनापरतंत्रता हमारे मन को मजबूत बंधन से बांधे रहती हैहमारी स्वतंत्रता का छीन जाना परवश, दासता, लाचारी, परिस्थिति, पारिवारिक मोह, माया आदि परतंत्रता है परतंत्रता जन्मजात प्रकृति प्रदत्त है जब हमें ज्ञान होता है तब हम जानते हैं कि हम मुक्त नहीं हैं पारिवारिक व सांसारिक बन्धनों में बंधे हैं
परतंत्रता जीवन का बंधन है -partantrta jivan ka bandhan hai


परतंत्रता ही दुःख का कारण है -partantrta hi dukh ka karan hai

हम परतंत्रता कि डोरी में ऐसे बंधे हुए हैं जो कभी ख़त्म होती नहीं दिखाई पड़ती पूर्व कर्मो से बंधे हुए हम इस संसार में आते है जैसे हमारे पूर्व कर्म होते हैं उसी अनुसार हमें जन्म मिलता है और उससे के अनुसार हमारे जीवन में घटनाएं घटित होती हैं और हमारे जीवन में दुःख का कारण बनती हैं

परतंत्र होना ही दुःख का कारण है जब कोई पक्षी पिंजड़े में कैद होता है तब उसकी स्वतंत्रता छीन जाती है ,वह कितना भी परेशान हो, भूख से, प्यास से, व्याकुल हो, लेकिन वह बंधन में है आजाद नहीं है स्वतन्त्र नहीं है उसकी समस्त गतिविधियाँ पराधीन हैं जब पिंजड़ा खुलेगा तभी वह सुखी है 

परतंत्रता की जंजीर में बंधा हुआ व्यक्ति स्वयं उसको स्वीकार कर अपने जीवन को नरक बना लेता है परतंत्रता में जन्म लेना बुरा नहीं है इसको स्वीकार कर लेना बुरा है वासनाओं की जंजीरों में कैद कामनाओं और इच्छाओं का बंधन ही हमारे जीवन में दुःख का मूल कारण है

परतंत्रता की पर्यायवाची – परवश, गुलामी, दासता, लाचारी, बेबसी, बंधन

परतंत्रता का विलोम –स्वतंत्रता ,आजादी ,मुक्त ,  

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अनंत शक्ति का भंडार है हमारा शरीर    

आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं   

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