परतंत्रता जीवन का बंधन है-partantrta jivan ka bandhan hai
परतंत्रता का अर्थ
परतंत्रता ही दुःख का कारण है -partantrta hi dukh ka karan hai
हम परतंत्रता कि डोरी में ऐसे बंधे हुए हैं जो कभी ख़त्म होती नहीं दिखाई पड़ती । पूर्व कर्मो से बंधे हुए हम इस संसार में आते है ।जैसे हमारे पूर्व कर्म होते हैं उसी अनुसार हमें जन्म मिलता है। और उससे के अनुसार हमारे जीवन में घटनाएं घटित होती हैं। और हमारे जीवन में दुःख का कारण बनती हैं।
परतंत्र होना ही दुःख का कारण है। जब कोई पक्षी पिंजड़े में कैद होता है तब उसकी स्वतंत्रता छीन जाती है ,वह कितना भी परेशान हो, भूख से, प्यास से, व्याकुल हो, लेकिन वह बंधन में है आजाद नहीं है स्वतन्त्र नहीं है उसकी समस्त गतिविधियाँ पराधीन हैं जब पिंजड़ा खुलेगा तभी वह सुखी है।
परतंत्रता की जंजीर
में बंधा हुआ व्यक्ति स्वयं उसको स्वीकार कर अपने जीवन को नरक बना लेता है ।परतंत्रता में जन्म लेना बुरा नहीं है। इसको स्वीकार कर लेना बुरा है। वासनाओं की जंजीरों में कैद कामनाओं और इच्छाओं
का बंधन ही हमारे जीवन में दुःख का मूल कारण है।
परतंत्रता की
पर्यायवाची – परवश, गुलामी, दासता,
लाचारी, बेबसी, बंधन
परतंत्रता का विलोम –स्वतंत्रता ,आजादी ,मुक्त ,
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