स्वस्थ्य रहने का
सबसे आसन मन्त्र है योग ,जब हम स्वस्थ्य रहते है ।तब कोई भी रोग हमारे पास फटकता
भी नहीं है ।इसलिए नियमित रूप से योग करे स्वस्थ्य रहे ।योग तन और मन दोनों के लिए
फायदेमंद है ।इन्ही योगासनों में एक आसन है कर्नापीड़ासन ।जिसे करके तन और मन दोनों
को स्वास्थ्य रक्खा जा सकता है । आसन में स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव में
आराम मिलता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कर्नापीड़ासन कैसे करें और इसके क्या
फायदे हैं और इसमें कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
कर्नापीड़ासन
क्या है –Karnapidasana kya hai
कर्नापीड़ासन
करने की विधि-karnapidasana karne ki vidhi
कर्नापीड़ासन
के फायदे-karnapidasana ke fayde
कर्नापीड़ासन
करने से पहले यह आसन करें-karnapidasana karne se pahle yah
asana kare
कर्नापीड़ासन
का आसान रूपांतर-karnapidasana ka aasan rupantar
कर्नापीड़ासन
करने में कौन-कौन सी सावधानी बरतें –karnapidasana
karne me kaun- kaun si sawdhani barten
अब विस्तार
पूर्वक जानेंगे
1-कर्नापीड़ासन क्या है- Karnapidasana kya hai
कर्नापीड़ासन संस्कृत
के तीन शब्दों के मेल से बना है ।कर्ना और पीड़ा और आसन। कर्ना का मतलब है कान ,और पीड़ा का तात्पर्य है दर्द या दबाना। आसन अर्थात मुद्रा इस आसन में स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव में
आराम मिलता है।
2-कर्नापीड़ासन करने की विधि-karnapidasana karne ki vidhi
कर्नापीड़ासन करने
की विधि के बारे में यहां हम विस्तार पूर्वक जानेंगे।कर्नापीड़ासन करने से पहले आप
सुनिश्चित हो कि आपको हलासन करने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है।
1-सबसे
पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं। हाथों को सीधा पीठ के बगल में जमीन पर टीका कर
रखें।
2-श्वास
अंदर की ओर खींचते हुए दोनों पैरों को उठाकर अर्ध हलासन में ले आए।
3-कहानियों
को जमीन पर टिकाए हुए दोनों हाथों से पीठ को सहारा दे। इस मुद्रा में एक दो श्वास
अंदर और बाहर ले, और यह सुनिश्चित कर लें कि आप का संतुलन
सही है।
3-अब
पैरों को बिल्कुल पीछे की तरफ ले जाएं। ताकि आप हलासन में हों।
4-अब घुटनों
को नीचे की तरफ लाएं, जब तक कि आप दोनों घुटनों से अपने दोनों कान बंद ना कर पाए।
5-अपनी
दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने में परेशानी महसूस होती है अपना संतुलन
बनाए रखने में तो आप दृष्टि को अपनी नाभि पर भी रख सकते हैं।
6-यदि
कंधों में लचीलापन है तो हाथ को पीछे ले जाकर के जोड़ ले।अगर आपको यह करने में
परेशानी महसूस होती है तो आप अपने हाथों को पीठ का सहारा देने में उपयोग करें।
7-अपने
शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार 1 मिनट से 1:30 मिनट तक इस मुद्रा में रहे। फिर धीरे-धीरे पैरों को वापस ले आए।
8-प्रारंभिक
स्थिति में 20 से 30 सेकंड तक करें और
धीरे-धीरे अभ्यास के साथ समय को बढ़ाते जाएं।
3-कर्नापीड़ासन करने के फायदे-karnapidasana karne ke fayde
1-प्रत्येक
आसन की तरह कर्नापीड़ासन के भी कई फायदे
हैं जो निम्न है
2-कर्नापीड़ासन
से दिमाग शांत होता है
3-पेट के
अंग और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
4-कंधों
और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करता है। रीड की हड्डी के लिए यह आसन विशेष
प्रभावी है।
5-शारीरिक
थकान और मानसिक तनाव को भी दूर करता है
6-सिर
दर्द ,बांझपन, पीठ के दर्द, अनिद्रा में यह आसन लाभदायक है।
4-कर्नापीड़ासन करने से पहले यह आसन करें-karnapidasana karne se pahle yah asana kare
कर्नापीड़ासन करने
से पहले कुछ आसान हैं जिनको करने से जांघ और कूल्हे पर्याप्त मात्रा में खुल जाते
हैं।
4-बालासन
5-सेतुबंधासन
5-कर्नापीड़ासन
का आसान रूपांतर-karnapidasana ka aasan rupantar
1-अगर
आपके गर्दन में लचीलापन कम है, तो अपने कंधों के नीचे एक
तोलिया लगा ले, ऐसा करने से गर्दन को आराम मिलता है।
2-अगर
आपको वापस मुड़ने में कठिनाई होती है, तो अपने पैरों को योगा
ब्लॉक पर टिका सकते हैं। अगर इसे और सुविधाजनक बनाना चाहते हैं तो पैरों को कुर्सी
पर भी टिका सकते हैं।
3-यदि
आपके घुटने कान तक नहीं पहुंच पाते हैं तो जहां तक पहुंच पाए वहां तक ही ले जाएं।
अपनी शारीरिक सामर्थ्य के अनुरूप ही करें।
6-कर्नापीड़ासन करने में कौन कौन सी सावधानी बरतें –karnapidasana karne me kaun kaun si sawdhani barten
1-सिर
दर्द हाई बीपी और गर्दन में दर्द होने की स्थिति में यह आसन कदापि न करें।
2-यह एक कठिन
आसन है इसे किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
3-अपनी
शारीरिक सामर्थ्य के अनुरूप ही यह आसन करें जबरदस्ती कदापि न करें।
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