एक सफल इंसान बनने के लिए हमें कौन-कौन सी बातों का अपने जीवन में ध्यान रखना चाहिए

 एक सफल इंसान बनने के लिए हमें कौन-कौन सी बातों का अपने जीवन में ध्यान रखना चाहिए|What Are The Things We Should Keep In Mind In Our Life To Become A Successful Person In Hindi

इस दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य है कि व्यक्ति सोचता नहीं है कि किस गलती के कारण वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है। हर काम में उसे असफलता मिलती है। आज हम जिस तरह के युग में जी रहे हैं।इस तरह के युग के सपने आदमी हजारों वर्षों से देख रहा था ,और इसके लिए मेहनत भी कर रहा था।

 आज जब हमें यह मिल गया तो हमने इसे उपहार में मिली हुई चीज मान लिया। इसके पीछे जो संघर्ष और मेहनत हुई है उसको हमने भुला दिया। अब प्रश्न यह उठता है कि मनुष्य कठोर परिश्रम और कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफल नहीं हो पाता ऐसा क्यों होता है। (यह लेख आपको पसंद आयेगा -विश्वास खोजता है सफलता का मार्ग )

25 साल की उम्र में 100 लोग अपने जीवन को समृद्ध और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अपने कैरियर को शुरू करते हैं। लेकिन 65 साल की आयु आते आते इनके साथ क्या होगा।25 साल की उम्र में कैरियर की शुरुआत करने वाले सभी लोगों को यह विश्वास है, कि वह निश्चित रूप से सफल हो जाएंगे।

एक सफल इंसान बनने के लिए हमें कौन-कौन सी बातों का अपने जीवन में ध्यान रखना चाहिए


आप जब इनकी आंखों के तरफ गौर करेंगे तो पाएंगे कि जीवन के प्रति इन सब में भरपूर उत्साह है।और इन्हें पक्का विश्वास भी है कि यह सभी लोग सफल हो जाएंगे। जीवन के प्रति उनके हाव-भाव में एक स्पष्ट दृढ़ता होगी जीवन इन सबके लिए एक खूबसूरत तथा एक  रोचक यात्रा होगी। लेकिन क्या आपको पता है कि 65 वर्ष की आयु तक इनके साथ क्या होगा। (यह लेख आपको पसंद आयेगा-जीवन में धैर्य की शक्ति )

65 साल की आयु आते-आते इनमें से एक युवा अमीर बन चुका होगा और अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त कर चुका होगा। और 4 व्यक्ति 65 वर्ष की आयु में आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर हो चुके होंगे और वह इस आयु में भी काम कर रहे होंगे। जबकि 95 लोग टूट चुके होंगे जिंदगी के उसी ढर्रे पर जी रहे होंगे जिसकी वजह से आज संसार में इतनी त्रासदी है।

ऐसा क्या हुआ कि एक साथ सफलता की शुरुआत करने वाले 100 लोगों में से 5 लोग ही सफल हुए।नाकामयाबी का प्रतिशत इतना अधिक क्यों है। उन योजनाओं, इच्छाओं, उन लक्ष्यों तथा उन जीवन के प्रति  सुनहरी उम्मीदों का क्या हुआ। जिनको लेकर यह सभी चले थे।

 जब हम यह कहते हैं कि केवल 5% ही लोग सफल हुए तब सफलता की परिभाषा स्पष्ट करने की अनिवार्यता महसूस होती है।सफलता किन किन साधनों से मिलती है उस चीज को जानने से पहले यह जानना होगा कि सफलता क्या है।

सफलता का पैमाना हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग है।आज सफलता की परिभाषा नहीं पता होने के कारण असफलता का प्रतिशत इतना अधिक है।

 वास्तव में सफलता का अर्थ है

 एक लक्ष्य को निर्धारित करके योजना बनाना तथा उसके अनुसार योजनाओं को अपने कार्य में रूपांतरित करना।

 जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है, कि उसे जाना कहां है। तो निश्चित रूप से उस स्थान पर पहुंचेगा जिसके बारे में उसने सोचा है। यदि व्यक्ति योजना बनाता है और उसी अनुसार कार्य करता है तो वह सफल है। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह असफल है।हम और हमारा जीवन हमारे विचारों का परिणाम है स्पष्ट विचार रेखा ना होने के कारण व्यक्ति वह नहीं बन पाता जिसके बारे में उसने कभी सोचा था।

हमारे वेदों में कहा गया है।

हमारा मन शिव संकल्प वाला हो। हमारा मन शुभ संकल्प वाला हो।यानी हमारा जीवन संकल्पों का परिणाम है जो सोचेगा मनुष्य वही बन जाएगा इसे ही विदेशी विद्वानों ने लॉ आफ अट्रैक्शन नाम दिया है। सोचो और पाओ। (इसे भी पढ़ें -मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता )

आज के व्यक्ति की बस यही दिक्कत है कि वह सोचता नहीं है सफलता के पैमाने पर हर मनुष्य के लिए अलग-अलग है। आपको अपनी सफलता का पैमाना खुद ही निर्धारित करना पड़ेगा ,और उसी के अनुसार आपको चलना पड़ेगा।

आप किस को सफल मानते हैं बड़े-बड़े राजनेताओं या उन लोगों को जो अखबार की सुर्खियों में बने रहते हैं।लेकिन ऐसा नहीं है वह पत्नी व मां सफल है जो आज एक खुशहाल ग्रहणी है।क्योंकि वह यही बनना चाहती थी वह टीचर सफल है जो टीचर बनना चाहती थी।और वह फुटकर सामान विक्रेता सफल है जिसके बारे में उसने कभी सोचा था।

आज साहस और हौसले कि विपरीत वस्तु कायरता नहीं बल्कि यह अनुरूपता है। अनुरूपता का मतलब होता है बिना सोचे समझे भीड़ के साथ चलने की प्रवत्ति। भीड़ को अपने लक्ष्य का पता नहीं होता। जो कुछ प्राप्त करना चाहता है सफल बनना चाहता है। वह भीड़ से  अकेला चलता है। हमें यह भी पता नहीं होता कि हम भीड़ के पीछे क्यों चल रहे हैं।

जो लोग हमेशा लक्ष्य को बदलते रहते हैं किसी एक खास लक्ष्य पर आगे नहीं चलते उसी को अनुरूपता  कहते हैं। 20 लोगों से यह पूछा गया कि वह सुबह उठकर काम पर क्यों जाते हैं तो 19 लोगों के पास इस बात का कोई उत्तर नहीं था। उन्होंने बस इतना ही कहा कि दूसरे लोग ऐसा काम करते हैं इसलिए हम भी करते हैं। और जिसके पास उत्तर था उसके पास अपना निर्धारित लक्ष्य था।

सफलता के साधन

1-सफलता का पैमाना हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग है। प्रथम अपना एक लक्ष्य निर्धारित करें। इसके साथ यह भी निर्धारित करें कि आपको जाना कहां है।

2-एक समय में केवल एक ही लक्ष्य रखें और लक्ष्य एकदम स्पष्ट यानी क्लियर होना चाहिए।

3-आपको किस क्षेत्र में सफल होना है उसको लेकर प्रभावी जानकारी व सूचनाओं को इकट्ठा करें।

4-अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं एक लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद दूसरे लक्ष्य की तरफ बढ़े।

5-लक्ष्य के अनुरूप योजना बनाएं तथा  धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़े।

6-सफलता के लिए अपने जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है अपने कार्यों में हमेशा नियमितता रखें।

7-हमेशा वही सोचे जो आपको बनना है नकारात्मकता से दूर रहे।

8-मनुष्य जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है मनुष्य का मस्तिष्क एक खेत की तरह होता है ।जैसे जमीन को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसमें कौन सा बीज डाला जा रहा है। फूलों के डाले जा रहे हैं या कांटो वाले पौधों के समय आने पर दोनों ही तरह के पौधे होते हैं।

9- मस्तिष्क में सकारात्मक विचार डाले जाएं तो मस्तिष्क के कार्य करने का परिणाम अच्छा होता है। लेकिन यदि उसमें नकारात्मक बीज बो दिए जाएं तो उसका परिणाम जहरीला होता है। इसीलिए कहा गया है कि आप जैसा बोवोगे वैसा ही काटोगे।

हमारी समस्या यही है कि हम बबूल के बीज बोकर आम प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। धैर्य के साथ स्पष्ट तथा निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़े। प्रतीक्षा करें कि सफलता कब मिलेगी इसकी चिंता बिल्कुल न करें यह आपके लक्ष्य की गुणवत्ता पर निर्भर है।

जैसे डॉक्टर बनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है और 12वीं पास करने के लिए कम प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसलिए अपने लक्ष्य को पहचान कर आगे बढ़े, मेहनत करें, क्योंकि विजय निश्चित है।

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