वीरासन
किसे कहते हैं और कैसे करें
वीरासन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला है वीर जिसका मतलब होता है योद्धा युद्ध
करने के लिए तत्पर।
दूसरा शब्द है आसन जिसका मतलब होता है।
बैठना दोनों को मिलाकर हम कह सकते हैं कि एक योद्धा की तरह बैठना ही वीर आसन
कहलाता है।
इस आसन में बैठने पर व्यक्ति चौकन्ना
दिखाई देता है।
योगी के लिए अपने मन में चल रही उठापटक को
नियंत्रण में करना होता है। विरासन से मन की चंचलता नियंत्रित होती है यह आसन
हठयोग की प्रमुख मुद्रा है।
वीर आसन करने की विधि -veerasan karne ki vidhi
1-जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं ध्यान रखें कि आपके घुटने आपके हिप्स के
ठीक नीचे हो अपने हाथों को आराम से घुटनों पर रखें।
2- अपने घुटनों को पास लाएं जिससे आपके
पैरों के बीच का अंतर अपने आप पड़ जाएगा यह अंतर आपके हिट्स की चौड़ाई से ज्यादा
होना चाहिए।
3- मजबूती के साथ अपने पैरों के टॉप्स
को जमीन की तरफ दबाएं।
4- धीरे-धीरे अपने हिप्स को नीचे की तरफ
लाएं, जैसे आप चटाई पर बैठने जा रहे हो अपने पिंडलियों को
मोड़ते हुए दूर करें।ध्यान रखें कि आपके हिप्स एड़ियों के ठीक बीच में रहे।
5- इस बात पर विशेष ध्यान रखने की
आवश्यकता है कि वीर आसन पर बैठने के दौरान अगर घुटनों में किसी प्रकार की समस्या
आए तो इसका अभ्यास तुरंत बंद कर दें।
6- अपने पैरों की अंगुलियों को बाहर की
तरफ निकलने दे। जबकि आपके ट्रक ने ऐसी स्थिति में होने चाहिए जैसे कि वह घुटनों को
बचा रहे हो।
7- नाभि को भीतर की तरफ खींची जबकि अपनी
रीढ़ की हड्डी को खींचते हुए सिर को पीछे की तरफ झुकाने की कोशिश करें।
8- यूपी राशन का व्यास 25 से 30 सेकंड तक करें इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य हो
जाए।बाद में धीरे-धीरे इस अभ्यास को आप बढ़ा सकते हैं।
वीर आसन करते समय ध्यान रखने वाली बातें।
9- ध्यान रखें कंधे और गर्दन की समस्या
से पीड़ित व्यक्ति को वी राशन नहीं करना चाहिए।
10- पीछे की ओर झुकते समय सावधान रहें
गति धीमी और नियंत्रित होनी चाहिए ताकि आप का संतुलन बना रहे।
अन्यथा शरीर के कुछ हिस्सों के लिए
हानिकारक हो सकता है।
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वीर आसन करने से लाभ- VEERASAN KARNE KE LABH
विरासन मन को संतुलित करने में मदद करता है।
मन की एकाग्रता शक्ति बढ़ती है,आप अचेतन लोगों के
बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं और मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक आराम महसूस
करते हैं।
प्रशांत या अनियंत्रित विचारों वाले लोग
वीर आसन का अभ्यास कर सकते हैं, यह मुद्रा स्पष्ट और
सटीक विचार शक्ति प्राप्त करने में मददगार है
वीरासन गुर्दे ,यकृत, प्रजनन और पेट के अंगों के स्वास्थ्य के लिए
अच्छा आसन है।
यह आसन खोए हुए लोगों के लिए अनुशंसित है
यह पाचन को बढ़ाता है।
वीर आसन का अभ्यास करने वाले लोग अधिक
आत्मविश्वास ही होने लगते हैं और आत्मनिर्भर होते हैं।
वीरासन संचार प्रणाली को सकारात्मक रूप से
प्रभावित करता है। पैरों, कमर, रीड की हड्डी के स्तंभों और गर्दन के जोड़ों को विपरीत दिशा में मोड़ दिया
जाता है। परिणाम स्वरूप इन जोड़ों को रक्त परिसंचरण का विनियमन होता है।
स्पाइनल कॉलम के लोच से इसके बेहतर कामकाज
में सुधार होता है।
जनतंत्र की प्रणाली को बेहतर बनाता है।
विरासन से जांघों और पिंडलियों में मजबूती
आती है कंधे हाथ और पैर मजबूत होते हैं।
पाचन संबंधी समस्या,
कब्ज और नर्वस से पीड़ित लोगों को इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
वीरआसन करने के बाद के आसन
पद्मासन ,बकासन
करना चाहिए
वीर आसन करने से पहले निम्न आसन करें
बालासन ,बद्ध
कोणासन
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