अपार शक्ति है प्रार्थना में-apar shakti hai prarthna me

 

अपार शक्ति है प्रार्थना में-apar shakti hai prarthna me 

प्रार्थना क्या है -prarthna kya hai 

प्रार्थना एक मानसिक क्रिया है जिसके द्वारा हम अपने आराध्य से संपर्क बनाते है प्रार्थना की कोई विधि नहीं है प्रार्थना कहीं भी किसी भी जगह की जा सकती है हर धर्म के लोग प्रार्थना करते है प्रार्थना में हमारे मन की तरंगे अनंत उर्जा के संपर्क में आती हैं

 जिससे हमें दिव्य अनुभूति होती है प्रार्थना में मन के बिखरे हुए तारों को जो नातेदार ,रिश्तेदार आदि में बिखरे होते है उनको एकत्रित करके अपने आराध्य के साथ जोड़ते है

प्रार्थना के नियम-prarthna ke niyam 

1- सही तरीके से प्रार्थना करने से जीवन में चमत्कारी बदलाव आते हैं।

2- प्रार्थना सरल और साफ तरीके से करना चाहिए जो आसानी से प्रार्थना की जा सके जिसमें ईश्वर से अच्छे से अनुनय विनय हो सके वही प्रार्थना करना चाहिए।

3- शांत वातावरण में प्रार्थना करना सबसे अच्छा होता है।

4- मध्य रात्रि में प्रार्थना जल्दी स्वीकार हो जाती है।

5- प्रार्थना को यदि नियमित समय पर ही नित्य किया जाए तो उसका प्रभाव अधिक अच्छा होता है।

6- किसी दूसरे के हानि के लिए या किसी के नुकसान के उद्देश्य से प्रार्थना नहीं करना चाहिए। प्रार्थना हमेशा दूसरों के हित के लिए या अपने हित के लिए की जानी चाहिए।

7- अगर उपरोक्त लिखे हुए नियमों को अपनाया जाए तो चाहे धन या संतान या फिर नौकरी या किसी भी उद्देश्य के लिए प्रार्थना की जाए तो वह जरूर सफल होती है।

प्रार्थना करने का तरीका-prarthna karne ka tarika

अपार शक्ति है प्रार्थना में-apar shakti hai prarthna me


आपकी प्रार्थना आपके इष्ट स्वीकार करें इसलिए कुछ नियम के साथ प्रार्थना करनी चाहिए जिससे प्रार्थना का प्रभाव व्यापक रूप से होता है।

1- किसी एकांत स्थान में बैठ जाएं।

2- बिल्कुल सीधे रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।

3- अपने मन को शांत करें और अपने इष्ट का ध्यान करें।

4- अब आपको जो भी प्रार्थना करनी है उसे प्रारंभ करें। प्रार्थना करते करते मन की गहराई में उतरते हुए चले जाएं।

5- सच्चे मन से की गई प्रार्थना बहुत ही शक्तिशाली होती है।





प्रार्थना  का प्रभाव 

–प्रार्थना का बहुत व्यापक प्रभाव होता है जब हमारा मन अनन्त उर्जा के संपर्क में आता है तब हमारे मन की वृत्तियाँ  शान्त हो जाती  है हमारे मन की नकारात्मक भावना नस्ट होने लगती है प्रार्थना में हमारा मन  जितना शांत होगा उतने ही सुखद अनुभव होंगे मन का प्रभाव तन पर होगा जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य बनेगा समस्त प्रकार के रोग नस्ट हो जायेंगे जिस प्रकार सूखे पौधों में पानी डालने से उनमे हरियाली आ जाती है

ठीक उसी प्रकार हमारा मन मस्तिस्क शरीर भी हरा भरा हो जाता है प्रार्थना के द्वारा जटिल से जटिल रोग व शारीरिक मानसिक समस्या का हल किया जा सकता है हमारे मन का भाव जितना प्रवल होगा प्रार्थना उतनी ही अधिक शक्तिशाली होगी कहते है की जब  हमारे मन में ईश्वर के प्रति इतनी व्याकुलता हो जितनी हमें अपने प्राण संकट में आने पर होती है 

जैसे जब हमारे मस्तिस्क को कोई पानी से भरी बाल्टी में डूबा दे और हम अपने आप को  बचाने के लिए व्याकुल हो जाते है ऐसे भाव भरी प्रार्थना जब  होगी तब उसका प्रभाव अनंत है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है प्रार्थना से हमारी सोई शक्ति पुनः जाग्रत हो जाती हैं प्रार्थना से हम अंधकार से प्रकाश की तरफ जाते हैं

प्रार्थना का प्रभाव चमत्कारिक है इसमें अपार शक्ति है



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