सुप्त वज्रासन करने की विधि ,फायदे और नुकसान-Method , Advantages And Disadvantages Of Doing Supta Vajrasana In Hindi

 सुप्त वज्रासन करने की विधि ,फायदे और नुकसान-Method , Advantages And Disadvantages Of Doing Supta Vajrasana In Hindi

 दोस्तों नमस्कार इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सुप्त वज्रासन  क्या है।कैसे किया जाता है और उससे कौन-कौन से लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं।

सुप्त वज्रासन क्या है-What Is Supta Vajrasana In Hindi

सुप्त वज्रासन यह तीन शब्दों से मिलकर बना है सुप्त अर्थात सोया हुआ। वज्र अर्थात नाड़ी। आसन अर्थात मुद्रा। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इसलिए इसे सुप्त वज्रासन कहते हैं। सुप्त वज्रासन, वज्रासन का विस्तृत रूप है। सुप्त वज्रासन का नियमित रूप से अभ्यास करने से बहुत से लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं इस आसन को करने की विधि।

सुप्त वज्रासन  विधि |कैसे करें –Steps Of Supta Vajrasana In Hindi

सुप्त वज्रासन  क्या है।कैसे किया जाता है और उससे कौन-कौन से लाभ मिलते हैं।


1-वज्रासन में बैठकर हाथों को पीछे भाग में रखकर उनकी सहायता से शरीर को पीछे झुकाते हुए भूमि पर सिर को टिका दीजिए।

2-घुटने मिले हुए हो तथा भूमि पर टिके हुए हों।

3-अब धीरे-धीरे कंधों ,गर्दन एवं पीठ को भी भूमि पर टिकाने का प्रयत्न करें।

4-हाथों को जंघाओं पर सीधा रखें।

5-आसन को छोड़ते समय कोहनिया एवं हाथों का सहारा लेते हुए वज्रासन में बैठ जाइए।

6-यह तो हो गई सुप्त वज्रासन करने की विधि अब आइए जानते हैं इससे मिलने वाले लाभ।

सुप्त वज्रासन के लाभ फायदे – Benefits Of Supta Vajrasana In Hindi

1-इस आसन को करने से पेट के नीचे वाले भाग में खिंचाव पैदा होता है जिससे बड़ी आत सक्रिय हो जाती है और पाचन संबंधित समस्त प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं। जैसे अपच,कब्ज ,गैस आदि पेट से संबंधित समस्त प्रकार के विकार दूर होते हैं।

2-जिनका पेट अधिक ढीला ढाला होता है वह यदि नियमित रूप से सुप्त वज्रासन का अभ्यास करते हैं तो उनके पेट में कसाव पैदा हो जाता है। पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती है।

3-इस आसन का अभ्यास करने से रक्त संचार शरीर में समुचित मात्रा में प्रवाहित होने लगता है ।यह रक्त संचार को बेहतर बनाने का कार्य करता है।

4-सुप्त वज्रासन के नियमित अभ्यास से पीठ के दर्द में लाभ मिलता है ।

5-इस आसन के अभ्यास से घुटने मजबूत होते हैं, क्योंकि आसन का अभ्यास करते समय घुटनों में अधिक दबाव होता है।

6-सुप्त वज्रासन करने से जांघों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। जांघों की मांसपेशियों की मजबूती के लिए यह एक बेहतर योगाभ्यास है।

7-इस आसन के अभ्यास से पेट में खिंचाव होता है। जिसके कारण पेट की चर्बी दूर होती है और शरीर सुडौल होता है।जिनका पेट बाहर निकला हुआ है ,और बढे हुए पेट से परेशान हैं ,उनके लिए यह आसन उपयोगी है।

8-इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।

9-इस आसन का अभ्यास करके कमर में अतिरिक्त जमा चर्बी को दूर किया जाता है।

सुप्त वज्रासन का अभ्यास करने से जिन लोगों की नाभि टल जाती है ।उसका टलना दूर होता है। वह अपनी सही जगह पर पहुंच जाती।

10-इस आसन के अभ्यास से गुर्दे मजबूत होते हैं। गुर्दों के लिए यह लाभकारी आसन है।

सुप्त वज्रासन करने से बहुत सारे लाभ मिलते हैं, लेकिन इस आसन को करते समय कुछ सावधानियों की भी आवश्यकता होती है। जो हमें ध्यान में रखना होता है ।आइए जानते हैं कि कौन सी सावधानी रखनी चाहिए।

सुप्त वज्रासन करते समय सावधानियां-Precautions Of Doing Supta Vajrasana In Hindi

1-इस आसन का अभ्यास करते समय यदि आपको पीठ को पीछे की तरफ ले जाने में कठिनाई महसूस होती है ,तो आप अपने शरीर पर अधिक जोर न डालें।

2-यदि आपके घुटने में किसी प्रकार का दर्द हो और चोट लगी हो तो इस आसन का अभ्यास करने से बचें।

3-जिन लोगों के कमर में दर्द बना रहता है उन लोगों को भी इस आसन को करने से बचना चाहिए।

4-यदि कूल्हों में किसी प्रकार की चोट या दर्द हो तो आप इस आसन का अभ्यास न करें।

5-पेट में अधिक परेशानी होने पर भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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