अत्यधिक सोचने और तनाव लेने की आदत को कैसे खत्म करें-How To Break The Habit Of Overthinking And Taking Stress In Hindi

 अत्यधिक सोचने और तनाव लेने की आदत को कैसे खत्म करें-How To Break The Habit Of Overthinking And Taking Stress In Hindi

अधिक सोचना कभी-कभी हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। सोच दो तरीके की होती है।

एक तो पॉजिटिव थिंकिंग और दूसरी नेगेटिव थिंकिंग। जब भी व्यक्ति पॉजिटिव थिंकिंग करता है तो उसे आनंद आता है अच्छा लगता है। लेकिन जब मन में नेगेटिव विचार आने लगते हैं, तो दिमाग पर बुरा असर होना शुरू हो जाता है। व्यक्ति हीन भावना का शिकार बनने लगता है। अब आइए जानते हैं कि यह हमारे ऊपर कैसे असर डालता है।

अत्यधिक सोचने और तनाव लेने की आदत को कैसे खत्म करें-How To Break The Habit Of Overthinking And Taking Stress In Hindi


अधिक सोचने वाले लोग दो कैटेगरी के होते हैं जो ज्यादा सोचते हैं और तनाव लेते हैं।

पहली कैटेगरी के लोग वे होते हैं जो अपने स्वार्थ भावना से प्रेरित  रहते हैं और उनकी मन की इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती है।

दूसरी कैटेगरी के वह लोग होते हैं जो दिल से तो बहुत अच्छे होते हैं।लेकिन  बदलाव नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास ज्ञान नहीं होता इसलिए वह हमेशा सोचते रहते हैं और तनाव लेते रहते हैं।

स्वार्थ भावना से प्रेरित लोग सदैव अपने ही बारे में सोचते रहते हैं। कि हमारे पास बड़ा घर हो जाए। बड़ी-बड़ी गाड़ियां हो जाए। नौकर चाकर हो जाए आदि तमाम प्रकार की भौतिक सुख सुविधाओं के बारे में केवल अपने स्वार्थ के लिए ही सोचते रहते हैं ।

उनका ध्यान दूसरी ओर कदापि नहीं जाता है। न तो एक दूसरे की मदद करना जानते हैं और ना किसी प्रकार का सहयोग। ऐसे व्यक्ति सदैव अपने बारे में सोच सोच कर परेशान रहते हैं और तनाव लेते हैं।

और अज्ञानी व्यक्ति जो दिल से तो चाहते हैं कि वह अच्छा सोचें लेकिन अज्ञान के कारण तरह-तरह के विचार उनके मन में उत्पन्न होते रहते हैं। और इस तरीके से वह परेशान रहते हैं।

अब इन दोनों तरह के लोगों को अत्यधिक सोचना और तनाव को कम करने का उपाय भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता में बताया है।

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जैसे असंख्य नदियां समुद्र में प्रवेश करती रहती हैं लेकिन समुद्र पर कोई फर्क नहीं पड़ता। ठीक इसी तरह से मन में उठने वाले विचारों और इच्छाओं के प्रवाह से जो व्यक्ति जरा सा भी विचलित नहीं होता उस को शांति मिलती है और अधिक तनाव और सोचने की समस्या से वह मुक्त हो जाता है।

लेकिन अपनी इच्छाओं को पूर्ति करने वाला नहीं क्योंकि वह तो बहुत बड़ा लोभी है। लोभी व्यक्ति कभी शांति प्राप्त नहीं कर सकता।

जो व्यक्ति हमेशा निस्वार्थ भाव से रहता है और अहंकार नहीं करता है ।और जिसने अपनी समस्त इंद्रियों की तृप्ति की इच्छाओं का परित्याग कर दिया है वही वास्तविक शांति प्राप्त कर सकता है।

इसके अतिरिक्त भी यदि व्यक्ति शांति प्राप्त करना चाहता है तो वह है योग्य गुरु की देखरेख में।लेकिन गुरु भी ऐसा होना चाहिए जो खुद समस्त चिंताओं से  परेशानियों से मुक्त हो।

क्योंकि गुरु के पास ज्ञान होता है उसकी कृपा मात्र से व्यक्ति का समस्त प्रकार का संशय मिट जाता है ।और उसके मन में उठने वाली उठापटक शांत हो जाती है।

भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि ज्ञान के समान इस दुनिया में पवित्र करने वाला निसंदेह कुछ भी नहीं है।

इस संसार के सभी व्यक्तियों को नित्य किसी न किसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ,और कभी-कभी व्यक्ति इन समस्याओं से परेशान होकर गुस्से में आकर बिना सोचे समझे गलत कदम उठा लेता है।

जिसका परिणाम यह होता है कि वह खुद को तो संकट में डालता ही है साथ में अपने परिवार को भी संकट में डाल देता है।

इस तरह से उसका पैसा, स्वास्थ्य सब कुछ उसको गवाना पड़ जाता है।

जीवन में कोई भी कदम उठाया जाए ,तो हमेशा सोच समझ के साथ उठाया जाए ,और  मन में विचार करने के बाद उठाया जाए क्योंकि एक बार की गलती पूरे जीवन दुख देती है।

और यही गलतियां जीवन में बार बार सोचने पर मजबूर कर देती है और तनाव पैदा करती है।

बिना ज्ञान के जीवन में अंधकार ही अंधकार है। जीवन की समस्त समस्याओं का उपाय और निदान केवल ज्ञान के द्वारा ही संभव है।

इसलिए अगर तनाव और अत्यधिक सोचने दुःख और क्रोध जैसी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं ,तो एक ही उपाय है वह है ज्ञान केवल ज्ञान के द्वारा ही जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान मिल जाता है।

अब प्रश्न यह उठता है कि जब ज्ञान हमारे लिए इतना उपयोगी है तो हम ज्ञान को प्राप्त कहां करें

ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग सदग्रंथों के अध्ययन से, सत्संग से,  सद्गुरु से प्राप्त किया जा सकता है।ज्ञान हमारे जीवन में भरे हुए अंधकार को दूर करता है और जीवन को प्रकाशित कर देता है।

यदि रोग का सही से उपचार न हो तो रोग रोगी को बार-बार परेशान करता है।

अत्यधिक तनाव लेना और अधिक सोचने की आदत को खत्म करने के लिए एक ही उपचार है वह है ज्ञान।

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