कोविड-19 के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करने वाले योगासन-covid 19 ke liye pratiraksha boostar ke roop me karya karne wale yogasan

कोविड-19 के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करने वाले योगासन-covid 19 ke liye pratiraksha boostar ke roop me karya karne wale yogasan


         कोविड-19 के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करने वाले योगासन  

कोरोना से बचाएंगे पांच प्राणायाम जिनको हम अपने जीवन में अपनाकर शरीर की एम्म्युनिटी बढाकर कोविड की लड़ाई में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।क्योकि कोई भी रोग शरीर पर तभी प्रभावी हो पाता है जब शरीर प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है 

पहला प्राणायाम है भस्त्रिका

दूसरा है कपालभाति

तीसरा है उज्जायी

चौथा है अनुलोम विलोम

पांचवा है भ्रामरी

योग से भागेंगे सभी प्रकार के रोग ,योग से बढ़ेगी शरीर की इम्युनिटी और हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा

इन आसनों की विधि और इनके लाभ के बारे में यहां हम बात करेंगे

1- भस्त्रिका प्राणायाम

प्राणायाम की तरह भस्त्रिका प्राणायाम एक मुख्य प्राणायाम है संस्कृत में भस्त्रिका प्राणायाम की तुलना धौकनी की गई है ।

जिस प्रकार लोहार भट्टी को गर्म करने के लिए तेज हवा का प्रहार धौकनी के माध्यम से करता है

उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम शरीर की प्राण आत्मा को शुद्ध करने के लिए किया जाता है

भस्त्रिका प्राणायाम करने की कुछ सावधानी है

यदि व्यक्ति उच्च रक्तचाप या हृदय की कोई बीमारी से ग्रस्त है तो उसे यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए। यदि वह करता है तो बहुत ही धीरे-धीरे श्वास को खींचे और धीरे-धीरे श्वास को बाहर निकाले

स्वस्थ व्यक्ति इस प्राणायाम को तीव्र गति से कर सकता है।

भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका

 

किसी भी एकांत अथवा शांत वातावरण में बैठ जाए, जो भी आसन आपको सुविधाजनक लगे जैसे सिद्धासन या वज्रासन या पद्मासन में किसी भी आसन में बैठकर अपनी आंखों को बंद करें और थोड़ी देर के लिए शरीर को पूरी तरह से शिथिल कर ले और अपना मुंह बंद रखें।

आंखों को बंद करके अपने शरीर के संपूर्ण अंगो को शिथिल कर ले। आपके मन में किसी प्रकार का विचार ना हो।

अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।

10 बार दोनों नथनों से तीव्र गति से श्वास लें और छोड़ें।अपने मन में गिनती करते जाएं ,कि हमने कितनी बार श्वास लिया है और कितनी बार सांस को बाहर निकाला है।

दोनों नाक के माध्यम से धीमी गति से और गहराई से श्वास लें।

दोनों नथनों को बंद कर ले और कुछ सेकंड के लिए श्वास को अंदर रोककर रखें।

धीरे-धीरे दोनों नथनों से स्वास छोड़ें।

उपरोक्त बताए गए तरीकों से बाएं और दाएं और दोनों नथनों के माध्यम से स्वास लेना एक भस्त्रिका प्राणायाम का चक्कर पूरा करता है इस प्रक्रिया को कम से कम 5 बार अवश्य दोहराएं।

भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास तीन अलग-अलग स्वास की दरों से किया जा सकता है धीमी गति से, मध्यम गति से, और तीव्र गति से, मध्य और तीव्र गति से काफी अभ्यास होने के बाद ही शुरू करें शुरुआत में केवल धीमी गति से ही भस्त्रिका प्राणायाम करें।

भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ

भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से शरीर के विषाक्त पदार्थ समाप्त हो जाते हैं बात, पित्त ,कफ सभी संतुलित हो जाते हैं।

इसको पढ़े 

योगनिद्रा का अभ्यासगहरी नींद के लिए

मानव जीवन में योग का महत्त्व और लाभ

अष्टांग योग और उपयोगिता

योग क्या है योग के प्रकार और इसका जीवन पर प्रभाव 

 

फेफड़ों में हवा के तेजी से अंदर- बाहर होने की वजह से रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली तीव्र गति से होती है इसी कारण से चयापचय का दर् बढ़ जाता है शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

इस प्राणायाम से गले में सूजन और कफ का संरक्षण कम हो जाता है

स्वास्थ्य संबंधी सभी प्रकार की बीमारियों से जीवन में बचाव करता है और कोविड-19 के प्रभाव को भी कम करने में इस प्राणायाम का महत्वपूर्ण योगदान है।

2- कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम के बारे में कहां गया है की कपाल और भांति दोनों को मिलाकर कपालभाति प्राणायाम का शब्द बना है कपाल का अर्थ है ,खोपड़ी और भांति का अर्थ है चमकना, अर्थात कपालभाति प्राणायाम करके ज्ञान की प्राप्ति और जीवन में प्रकाश प्राप्त होता है इस प्राणायाम के द्वारा मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है

कपालभाति प्राणायाम की विधि

किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ कर के आंखों को बंद करके संपूर्ण शरीर को ढीला छोड़ दें।

दोनों नथुने से श्वास लें, जिससे पेट फूल जाए और पेट की पेशियों बल के साथ सिकुड़ते हुए स्वास को छोड़ दें।

अपने नाक के दोनों छिद्रों से सांस बाहर की तरफ छोड़ें ,और पेट को अंदर की ओर सिकोड दे। श्वास छोड़ते समय ज्यादा जोर न लगाएं।

बिना प्रयास किए आराम से सांस लें, और फिर से नाक से बाहर छोड़ें इस क्रिया को ज्यादा तेज न करें 1 सेकंड में एक ही बार सांस छोड़ें और लें।

ध्यान रखें स्वास लेते और छोड़ते समय सिर्फ पेट की मांसपेशियां ही हरकत करें कंधे और छाती अपने स्थान पर स्थिर रहना चाहिए।

एक बार में कम से कम 10 से 15 बार करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हुए नियमित प्रयास करके 1 मिनट में 50 से 60 बार तक कर सकते हैं।

कपालभाति प्राणायाम के लाभ

इस प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है आत्मविश्वास बढ़ जाता है, मन और दिमाग पूरी तरह से शांत रहता है।

मोटापे को कम करने में भी यह प्राणायाम फायदेमंद है ।

आज पूरा देश करोना जैसी महामारी से गुजर रहा है इन प्राणायामो के माध्यम से हम अपना बचाव कर सकते हैं

3- उज्जाई प्राणायाम

उज्जाई का अर्थ होता है विजय जो विजयी हो इस प्रकार उज्जाई प्राणायाम का अर्थ है स्वास पर विजय ।

उज्जाई प्राणायाम की विधि

इस प्राणायाम की बहुत ही सरल विधि है।

सबसे पहले किसी एकांत स्थान में बैठ कर के अपनी आंखों को बंद कर ले अपने सुविधाजनक आसन में बैठ जाते हैं ध्यान मुद्रा में बैठकर अपनी रीढ़ को सीधी कर ले।

अपनी नाक के माध्यम से धीरे-धीरे लंबी गहरी सांस लें।

फिर मुंह को खोल कर ओम की ध्वनि के साथ धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं।

शुरुआत में 5 मिनट के अभ्यास से शुरू करें धीरे-धीरे समय बढ़ाकर 10 से 15 मिनट तक करने का प्रयास करें।

उज्जाई प्राणायाम के लाभ

यह ध्यान केंद्रित शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाता है इसे करने से शरीर स्वस्थ मजबूत और चमकदार बनता है कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है मोतियाबिंद और साइनस की समस्या गठिया और माइग्रेन में भी मदद करता है इस प्राणायाम के द्वारा दिल के दौरे का खतरा कम पड़ जाता है सर्दी, खांसी जुकाम ,अस्थमा तथा स्वास की समस्त प्रकार की बीमारियों में लाभदायक है कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए यह प्राणायाम लाभकारी है कोरोना बीमारी में व्यक्ति को श्वास की ही समस्या बढ़ जाती है यह प्राणायाम श्वास की समस्त प्रकार की बीमारियों पर विजय प्राप्त करता है।

4- अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम का अर्थ है नाड़ी शोधन प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी प्राणायाम है अन्य प्राणायाम की भांति इस प्राणायाम में भी सांस ली जाती है ,और छोड़ी जाती है।

अनुलोम का अर्थ है दाईं नासिका और विलोम का अर्थ है बाई नासिका और प्राणायाम का मतलब होता है सांस लेना। यह प्राणायाम 3 शब्दों से मिलकर बना है इस प्राणायाम का अर्थ है दाएं और बाएं नासिका से सांस लेना और छोड़ना।

यह प्राणायाम बंद नाडी को

खोलने और दिमाग को शांत करने में सहायक है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ

अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से रक्त चाप संतुलित रहता है शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है यह स्वसन तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।

शरीर में मौजूद शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करता है दिमाग को शांत करता है इस प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है शरीर का टेंपरेचर सही रहता है कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने में यह प्राणायाम बहुत ही सहायक है।

5-:भ्रामरी प्राणायाम

इस प्राणायाम में श्वास को निकालते समय भंवरे जैसी आवाज होती है इसीलिए इसको भ्रामरी प्राणायाम कहा गया है

यह प्राणायाम मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को आराम देता है और मस्तिष्क के हिस्से को विशेष लाभ प्रदान करता है भवरे जैसी ध्वनि  की तरंगे मन को शांति प्रदान करती है।

भ्रमरी प्राणायाम करने का तरीका

अपने शरीर में शांति व तरंगों को महसूस करें।

तर्जनी उंगली को अपने कानों पर रखें।आपके कान व गाल की त्वचा के बीच एक उपास्थि है वहां अपनी उंगली को रखें।

एक लंबी गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए धीरे से उपास्थि को दबाएं।आप उपास्थि को दबाए हुए रख सकते हैं अथवा उंगली से पुनः दबाया छोड़ सकते हैं यह प्रक्रिया करते हुए लंबी ध्वनि में भंवरे के समान आवाज निकाले। पुनः लंबी गहरी सांस लें और इस प्रक्रिया को तीन से चार बार दोहराएं।

भंवरे के समान आवाज निकालते समय अपने मुंह को बंद रखें।

यह प्राणायाम व्यक्ति को क्रोध व उत्तेजना से मुक्त करता है।

अत्याधिक गर्मी या सिर दर्द में या प्राणायाम करना लाभदायक होता है माइग्रेन के रोगियों के लिए या प्राणायाम लाभदायक है।

इस प्राणायाम को करने से कोविड-19 का प्रभाव कम हो जाता है

उपरोक्त दिए गए पांचों प्राणायाम को करके शरीर को पूर्ण स्वस्थ निरोगी बनाते हैं जब आज समस्त दुनिया में कोविड-19 जैसी महामारी चल रही है उससे बचने का रास्ता एकमात्र प्राणायाम है इन प्राणायामो को हम अपने जीवन में अपनाकर के कोविड-19 के प्रभाव को कम कर सकते हैं और यह प्राणायाम इसके प्रभाव को कम करने में सहायक हैं।

Previous
Next Post »