स्वस्थ्य रहने के सरल उपाय-swasthy rahne ke saral upay

स्वस्थ्य रहने के सरल उपाय-swasthy rahne ke saral upay



 

स्वस्थ्य (health)रहने के सरल उपाय-swasthy rahne ke saral upay

स्वस्थ्य रहना ही जीवन का संपूर्ण आधार माना जाता है अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करके ही जीवन को सुख शांति से जिया जा सकता है

उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना तभी की जा सकती है, जब शरीर में किसी प्रकार का दोष ना हो, जिस व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह का स्वास्थ्य उत्तम है वही संपूर्ण स्वस्थ्य है

शारीरिक स्वास्थ्य-sharirik swasthy

जिसके वात पित्त कफ से संबंधित किसी प्रकार का रोग नहीं नहीं है नाक, कान आँख ,गला , मुंह, शरीर की त्वचा ,हाथ और पैरों में किसी प्रकार की कोई विकृति न हो वह  शारीरिक रूप से स्वस्थ्य है

मानसिक स्वास्थ्य-manshik swasthy

संपूर्ण शरीर का मालिक ,सारे शरीर को नियंत्रण करने वाला मस्तिष्क, में आने वाले विचार अच्छे हो व हमेशा प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति, मानसिक रूप से स्वस्थ्य है

स्वस्थ्य रहने के कुछ उपाय है, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन को संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान कर सकता है

स्वस्थ्य रहने के लिए भोजन-swasthy rahne ke liye bhojan

भोजन के द्वारा ही हमारे शरीर का पालन पोषण होता है भोजन का प्रभाव हमारे संपूर्ण शरीर पर पड़ता है और मन पर भी पड़ता है जिस तरह का हम अन्न खाते हैं, उसी तरह का विचार हमारे मन मस्तिष्क में आता है सात्विक भोजन के द्वारा मन में सात्विक विचार आते हैं दूषित भोजन से मन दूषित हो जाता है और विचार भी दूषित होते हैं इसलिए हमें सात्विक भोजन करना चाहिए

भोजन में बायु  संबंधी रोग से बचने के लिए चावल और खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, और अधिक तले भुने भोजन से बचाव करना चाहिए, अत्यधिक गर्म भोजन भी नहीं करना चाहिए भोजन निश्चित समय पर ही करना चाहिए

सुबह के समय कुछ फल आदि का सेवन करना चाहिए यदि उम्र अधिक हो तो फलों का सेवन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अधिक बेहतर माना गया है दोपहर में 12:00 से 1:00 के बीच भोजन करना चाहिए

शाम के समय 6:00 से 7:00 बजे तक ही भोजन कर लेना चाहिए भोजन करते समय किसी से बात नहीं करना चाहिए मौन रहकर भोजन करना चाहिए यदि चार रोटी की भूख है, तो तीन रोटी ही खाना चाहिए

भोजन को निश्चिंत होकर शांति पूर्वक करना चाहिए खूब चबा चबाकर भोजन करना चाहिए जिससे भोजन संपूर्ण रूप से पच जाएगा ,और पाचन संस्थान स्वस्थ्य रहेगा

भोजन के तुरंत बाद अधिक पानी नहीं पीना चाहिए कम से कम 50 से 60 मिनट बाद पानी पीना चाहिए भोजन के तुरंत बाद दही का सेवन करना अति उत्तम माना गया है

भोजन अंकुरित अन्न जैसे चना और मूंगफली, मोटा अन्न ज्वार, बाजरा को प्रयोग करना चाहिए

सात्विक भोजन में विटामिंस खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं जिससे हमारे शरीर को पोषण मिलता है व हमारा मन ,बुद्धि व शरीर स्वस्थ रहता है

स्वस्थ्य रहने के लिए नींद आवश्यक हैswasthy rahne ke liye neend awashyak

जीवन में नींद का महत्वपूर्ण स्थान है जब व्यक्ति दिन भर अपने सारे कार्यों से निवृत्त होकर रात को सुख की नींद लेता है तो उसके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है

यदि व्यक्ति को यदि नींद ना आए तो, उसको मानसिक विकार डिप्रेशन, चिंता तनाव, घबराहट, बेचैनी आदि मानसिक बीमारियां हो सकती हैं

इसलिए हमारे जीवन में नींद का महत्वपूर्ण स्थान है स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए नींद आवश्यक है कम से कम 6 घंटे की नींद लेना आवश्यक है

शाम को जल्दी सोना और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जगना शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम है

स्वस्थ्य रहने के लिए आवश्यक है व्यायाम

जिस प्रकार स्वस्थ्य रहने के लिए जीवन में भोजन और नींद की महत्वपूर्ण भूमिका है उसी प्रकार स्वस्थ्य रहने के लिए शारीरिक परिश्रम की भी आवश्यकता होती है शारीरिक परिश्रम न करने वाले व्यक्तियों का जीवन रोगों से घिर जाता है

सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए और भरपूर परिश्रम करना चाहिए जो लोग अधिक परिश्रम नहीं करते हैं, वह लोग व्यायाम करें व्यायाम के द्वारा शरीर को चुस्त-दुरुस्त फुर्तीला बनाया जाता है

व्यायाम करने से शारीरिक, मानसिक समस्त प्रकार के बीमारियों का नाश होता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिसके द्वारा शारीरिक व मानसिक बीमारियों का दबाव शरीर पर नहीं पड़ता है और शरीर पूर्ण रूप से निरोगी हो जाता है चिंता, तनाव, घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा, पाचन संबंधी विकार, श्वास संबंधी विकार, व्यायाम के द्वारा नष्ट हो जाते हैं

स्वस्थ्य रहने के लिए आवश्यक है ब्रह्मचर्य का पालन

ब्रह्मचर्य का पालन न करने वाला व्यक्ति कभी जीवन में स्वस्थ्य नहीं रह सकता है व्यक्ति जब अपने मन की समस्त इंद्रियों को वासना के विषय से हटा करके ईश्वर की तरफ मुड़ जाता है

वही ब्रम्हचर्य कहलाता है भोग करने वाला व्यक्ति कभी योग नहीं कर सकता  उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है ,ब्रह्मचर्य का पालन ब्रह्मचर्य के द्वारा ही शरीर कांतिवान, ऊर्जावान, हष्ट- पुष्ट होता है ब्रम्हचर्य में बहुत बड़ी शक्ति है

भोगी व्यक्ति की वासनाएं बढ़ जाती है धीरे-धीरे उन वासनाओं पर उसका खुद का नियंत्रण नहीं रह जाता है, और वह उन्हीं के पीछे भागता रहता है जिससे जीवन में उसको कुछ हासिल नहीं होता है और अपने संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य को नष्ट कर देता है स्वस्थ्य रहने के लिए ब्रम्हचर्य आवश्यक है

स्वस्थ्य रहने के लिए आवश्यक है शारीरिक सफाई स्नान

स्नान करने से हमारे शरीर में एक नई स्फूर्ति आ जाती है शरीर का टेंपरेचर सामान्य हो जाता है और शरीर की कांति बढ़ जाती है स्वस्थ्य  शरीर में स्वस्थ्य  मन का निवास होता है शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्नान आवश्यक है

स्वस्थ्य रहने के लिए ध्यान करें

ध्यान करने के लिए किसी एकांत स्थान पर बैठ जाए अपने मन से सारी भावनाओं को, विचारों को निकाल दे व स्वस्थ चित्त होकर के सुखासन में बैठकर मन को किसी एक बिंदु पर एकाग्र करें

करीब 10 से 15 मिनट तक ध्यान अवश्य करें ध्यान करते समय अपने इष्ट को अपने ध्यान में लाएं और किसी मंत्र का मन ही मन जाप करते रहे ध्यान करने से मन, बुद्धि निर्मल हो जाता है और शरीर में किसी प्रकार का रोग नहीं रह जाता है

मन जब पूरी तरह से स्वस्थ्य होता है तो उसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है स्वस्थ्य मन के द्वारा स्वस्थ्य  तन प्राप्त होता है इसलिए स्वस्थ्य रहने के लिए ध्यान आवश्यक है

उपरोक्त बिंदुओं को व्यक्ति अपने जीवन में अपनाकर स्वस्थ्य जीवन प्राप्त कर सकता है

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