उत्तानपादासन योग विधि और लाभ-uttanpadasan yog vidhi aur labh

 

उत्तानपादासन योग विधि और लाभ

उत्तानपादासन योग विधि और लाभ-uttanpadasan yog vidhi aur labh




                           उत्तानपादासन क्या होता है-uttanpadasan kya hota hai 

सबसे पहले हम उत्तानपादासन योग के बारे में जानते है उत्तान का अर्थ होता है ऊपर की ओर उठा हुआ । और पाद का अर्थ होता है पैर । और उठे हुए पैर को उत्तानपादासन कहा जाता है। इस आसन में पीठ के बल लेटकर पैर को ऊपर उठाया जाता है। उत्तानपादासन एक महत्वपूर्ण योगासन है। यह आसन पेट की चर्बी को कम करके बड़े हुए पेट को पचकाने का काम करता है।

उत्तानपादासन करने की विधि

1-इस आसन से अधिक लाभ लेने के लिए इसको सही तरीके से करने की आवश्यकता होती है।

2- के बल लेट जाएं। हथेलियां भूमि की ओर, पैर सीधे, पंजे मिले हुए हो।

3-अब श्वास अंदर भरकर पैरों को 1 फुट तक करीब 30 डिग्री तक धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, कुछ समय तक ऐसी स्थिति में बने रहें।

4-वापस आते समय धीरे-धीरे पैरों को नीचे भूमि पर दिखाएं, झटके के साथ नहीं। कुछ विश्राम कर फिर यही क्रिया कीजिए। इसे 3 से 6 बार करना चाहिए।

5-जिनको कमर में अधिक दर्द रहता हो। वह एक एक पैर से क्रमशः इस अभ्यास को करें।

उत्तानपाद आसन के लाभ

1- पेट की चर्बी को कम करने के लिए

अगर आपका पेट बड़ा हो गया है पेट में अधिक चर्बी है। तो यह आसन करने से पेट की चर्बी दूर हो जाती है और बढे हुए तोंद को पचकाने में या आसन बहुत ही उपयोगी है।

2-कब्ज और गैस

उत्तानपादासन करने वाले लोगों को गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है। पेट साफ हो जाता है कब्जे को ठीक करने में यह आसन सहायक है। मोटापा आदि को भी दूर करके जठराग्नि को प्रबल बनाता है। जिससे उदर रोगों की संभावना नगण्य हो जाती है। इस आसन को करने से भूख अच्छी लगती है पेट के रोग दूर होते हैं।

3-नाभि का टलना

इस आसन को करने से नाभि का केंद्र। नाभि मणिपूरक संतुलित होता है। नाभि का इलाज और नाभि को ठीक करने के लिए यह बेहतर आसन है। यदि नाभि अपने स्थान से हट जाती है तो पेट के रोग होने लगते हैं जैसे गैस बनना, कब्ज, वादी ,पेट दर्द आदि रोग इस आसन को करने से ठीक हो जाते हैं।

4-पेट की पेशियों के स्वास्थ्य के लिए

इस आसन को करने से पेट की पेशियां स्वस्थ हो जाती हैं।

5-पेट दर्द में लाभदायक

उत्तानपाद आसन करने से उदर रोग और वायु विकार दूर हो जाते हैं। जिससे पेट में होने वाली दर्द, मरोड़ आदि मे राहत मिलती है।

6-ह्रदय के लिए लाभकारी

उत्तानपादासन हृदय रोग का निवारण करता है । इस आसन को करने से ह्रदय स्वस्थ होता है जिससे हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं।

7-स्वास रोग में लाभदायक

उत्तानपादासन स्वास रोग में लाभकारी आसन है। इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत होते हैं और श्वास रोगों में राहत मिलती है।

8-कमर दर्द में विशेष लाभकारी

इस आसन को एक एक पैर से क्रमशः करने पर ,कमर में दर्द के लिए यह विशेष लाभकारी आसन है।

9-घबराहट दूर करने में

इस आसन को करने से घबराहट दूर हो जाती है।

10-पैरों के लिए लाभकारी

उत्तानपाद आसन करने से पैरों को अधिक स्वस्थ और सबल बना सकते हैं।

11-पाचन में लाभदायक

इस आसन को करने से जठराग्नि प्रबल होती है जिससे पाचन संबंधी समस्त प्रकार के विकार नष्ट हो जाते हैं।

12-ऊर्जा बढ़ाने में लाभदायक

इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर में विशेष प्रकार की स्फूर्ति और ऊर्जा उत्पन्न होती है।

13-कब्ज में लाभकारी

इस आसन को करने से कब्ज संबंधी समस्त प्रकार की समस्या दूर हो जाती है।

उत्तानपादासन करने में सावधानियां

1-कमर में दर्द होने पर

जिनके कमर में दर्द हो उन लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

2-साइटिका

साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

3-गर्भावस्था

गर्भावस्था में यह आसन नहीं करना चाहिए।

4-पेट की सर्जरी

अभी हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो या सर्जरी हुई हो तो उन लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

उत्तानपादासन हमारे जीवन के लिए एक उपयोगी आसन है इस आसन के नियमित अभ्यास से हम अपने शरीर की शारीरिक बीमारियों को समाप्त कर सकते हैं ।और हमको यह आसन  निरोगी बनाने में सहायक है। इसलिए उत्तानपादासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए।

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