अवचेतन मन की शक्ति क्या है-avchetan man ki shakti kya hai


अवचेतन मन की शक्ति क्या है-avchetan man ki shakti kya hai


                                अवचेतन मन की शक्ति क्या है?                               

व्यक्ति का अवचेतन मन उसके अंदर एक छिपे हुए खजाने की तरह है।

जिस प्रकार कस्तूरी मृग, कस्तूरी को ढूंढते हुए पूरे जंगल में घूमता है और उसे यह पता नहीं होता है कि कस्तूरी कहां है।

जबकि वह कस्तूरी उसकी नाभि में ही स्थित रहती है।

ठीक उसी प्रकार व्यक्ति भी अपने दुख और परेशानियों का हल बाहर की दुनिया में ढूंढता रहता है।

जबकि उसकी समस्त दुख और परेशानियों का हल उसके अंदर ही होता है।

हमारे अवचेतन मन की शक्ति इतनी प्रबल है जिससे हम कुछ भी उत्पन्न कर सकते हैं ।और किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि इस शक्ति को उपयोग में लेने की हमें जानकारी होनी चाहिए या इस कला को सीखने की क्षमता हमारे अंदर होनी चाहिए।

अवचेतन मन की यह विशेषता होती है कि उसके लिए न कोई बड़ी चीज की आवश्यकता होती है और ना ही कोई छोटी चीज की।जीवन में क्या चाहते हैं और क्या नहीं चाहते। अवचेतन मन तो केवल आपकी सोच पर कार्य करता है आपकी सोच पर निर्भर रहता है।

अवचेतन मन यह चुनाव नहीं कर सकता कि क्या गलत है और क्या सही है। अवचेतन मन सही गलत का चुनाव नहीं कर सकता है।आपकी सोच चाहे जिस प्रकार की हो कैसी भी हो और चेतन मन आपके जीवन में चमत्कार कर सकता है। केवल आप इसका उपयोग करना सीख जाएं।

अवचेतन मन हमारे अंदर वह बगीचा है जिसमें आप अपनी सोच और विश्वास के आधार पर सुगंधित फूल उगा सकते हैं। लेकिन आपको आवश्यकता है कि आप इसके माली बन जाए। और ध्यान रखना पड़ेगा कि कहीं अन्य खरपतवार, घास फूस, जंगली पौधे इस पर न उग जाएं।

यहां मैं आपको कुछ तरीके बता रहा हूं जिससे आप अपने अवचेतन मन से  अपने जीवन को बदलने में प्रयोग कर सकते हैं।

सकारात्मक सोच रखें

हमेशा अपनी सोच का नजरिया सकारात्मक रखें। यदि आप किसी चीज को अपने जीवन में नहीं चाहते हैं तो यह मत सोचिए कि मैं यह नहीं चाहता हूं। बल कि इसके स्थान पर आप वह सोचे जो आप चाहते हैं जो आप अपने जीवन में करना चाहते हैं, जो आप अपने जीवन में बनना चाहते हैं हमेशा उसके बारे में ही सोचिए।

नहीं शब्द वाले वाक्यों पर सोचना और बोलना बंद कर दें

कभी यह न कहें कि मेरा दिमाग तेज नहीं है मैं फुर्तीला नहीं हूं मुझ में ताकत नहीं है मैं यह कार्य नहीं कर सकता हूं। या मुझमें किसी प्रकार की कोई कमजोरी है। इसकी जगह पर आप सोचिए मेरा दिमाग बहुत तेज है, मैं बहुत फुर्तीला हूं, मुझ में बहुत ताकत है, मैं इस दुनिया का कोई भी कार्य कर सकता हूं। मेरे लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। यह विचार आपके दिन प्रतिदिन पढ़ते रहना चाहिए। और हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मुझ में गजब की फुर्ती है, मुझे में बहुत से ताकत है और मेरी ताकत प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

अपने मन को सुझाव दें

आपने देखा होगा कभी जब आप को सुबह जल्दी उठना होता है तो आप रात में अपनी घड़ी में अलार्म लगा देते हैं। और साथ में सुबह जल्दी उठने के समय के बारे में सोचते हैं इसका परिणाम यह होता है, कि आपकी नींद आपका अलार्म बजने से पहले ही खुल जाती है।क्योंकि यहां आप सुबह जल्दी उठने के बारे में सोचते रहते हैं यह अवचेतन मन की ही शक्ति है। जो आपके चेतन मन का प्रभाव कितना गहरा होता है कि उसका प्रभाव आपके अवचेतन मन पर पड़ जाता है। इसी का परिणाम है कि सुबह अलार्म बजने से पहले ही आपकी नींद खुल जाती है।

रात को सोते समय अच्छे विचार करके सोए

रात को जब आपको नींद आने वाली हो आप सोने वाले हो तो आप ऐसी बातों के बारे में सोचें जो आप अपने जीवन में चाहते हैं।विचार नकारात्मक सोच वाले नहीं होने चाहिए। आपके जो भी विचार हो उनका रवैया सकारात्मक ही हो।

कुछ लिखने की आदत बना ले

सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी सभी इच्छाएं सकारात्मक रूप में लिखते जाएं जो भी आप अपने जीवन में करना चाहते हैं। आप जीवन में जो भी बनना चाहते हैं। वह सब आप अपनी डायरी में लिखें और सोने से पहले उसको पूरे विश्वास के साथ पढ़ कर के सोए।

कुछ दिन बाद चमत्कार होगा

बरसों से आप की नकारात्मक सोच की जो धूल मिट्टी है वह धीरे-धीरे आपकी सकारात्मक सोच से हट जाएगी।इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन जब आप पूरे धैर्य से अपने चिंतन में लगे रहेंगे तो यह चमत्कार शीघ्र ही होगा और आपके जीवन के सभी सपने साकार होंगे व्यक्ति अपनी सोच से दुनिया को बदल सकता है।

हम अपने जीवन में जो भी कुछ करते हैं वह सब अवचेतन मन के कारण ही करते हैं। अपने अवचेतन मन का प्रयोग करके हम जो कुछ भी सीखते हैं वही हम जिंदगी भर करते रहते हैं।

जिंदगी में व्यक्ति जो भी बड़ा काम करता है और सिर्फ अपने अवचेतन मन के कारण ही करता है।जिस भी व्यक्ति ने अपने अवचेतन मन पर काबू कर लिया उसके लिए कोई भी बड़ा काम मुश्किल नहीं होता है वह सारे कार्य कर सकता है।

कोई भी बड़े काम की हम रूपरेखा तो बना लेते हैं लेकिन जब उसी काम को प्रारंभ करते हैं तो बहुत सी मुश्किलें आती हैं। लेकिन उस स्थिति में अगर हमने प्रयास करना ही बंद कर दिया तो हमने अपने अवचेतन मन को प्राप्त ही नहीं किया। लेकिन उस विपरीत परिस्थिति में अगर हम फुल कॉन्फिडेंस के साथ लगे रहते हैं तो हम अपने अवचेतन मन को प्राप्त कर लेते हैं।

धीरे-धीरे वही चीजें हमें आसान लगने लगती हैं और एक दिन हम उसे प्राप्त कर लेते हैं।

अचेतन मन गीली मिट्टी की तरह होता है जिस प्रकार  मिट्टी पर दबाव डालने से उस पर निशान बन जाते हैं गीली मिट्टी को कुम्हार अपनी चाक पर रख कर कोई भी आकार दे देता है। ठीक उसी प्रकार फुल फीलिंग के साथ स्थिर रहकर जब हम कोई काम करते हैं तो उसकी आवाज हमारे अवचेतन मन तक पहुंच जाती है।और हमारे अवचेतन मन पर उसकी एक छाप बन जाती है या निशान बन जाता है ।फिर हमें बड़े से बड़े काम भी छोटे लगने लगते हैं।

अवचेतन मन को प्राप्त करने के लिए आपको अपने मन को जगाना होगा उसे यह बताना होगा कि आप एक काम करना चाह रहे हैं और अपने जीवन में इसको पाना चाह रहे हैं फिर पूरे मन से उस काम में अपनी पूरी लगन के साथ पूरी निष्ठा के साथ जुट जाइए। और उसी काम के प्रति निरंतरता बनाए रखिए। कुछ दिन बाद आप देखेंगे कि वह बात या वो चीज आपकी आदत में हो गई है। तब आपको इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ रही है जितनी आपको शुरुआत में करनी पड़ रही थी। क्योंकि अब आप ने अपने अवचेतन मन पर उस काम का प्रभाव छोड़ दिया है उस काम का निशान छोड़ दिया है।

व्यक्ति का अवचेतन मन पानी के जहाज की तरह होता है। और उसका चेतन मन उस जहाज के कैप्टन की तरह होता है। कैप्टन जहाज को जिस तरह चाहे ले जा सकता है। जहाज कैप्टन से यह प्रश्न कभी नहीं करता कि आप मुझे कहां ले जा रहे हैं।बस वह तो निर्भर करता है कैप्टन के निर्णय पर इसी प्रकार हमें चेतन मन के द्वारा अवचेतन मन को जगाना होता है। हमारा अवचेतन मन वही करता है जो चेतन मन उससे करने के लिए कहता है।

इसी प्रकार हमें चेतन मन के द्वारा अपने अवचेतन मन को जगाना चाहिए हमारा अवचेतन मन वही करता है जो चेतन मन उसे करने के लिए कहता है ।

 अवचेतन मन को जगाने या काबू करने के लिए कुछ तरीके

१-कोई भी बात या कोई भी कार्य अपने फुल कॉन्फिडेंस के साथ दोहराते रहने से अवचेतन मन का हिस्सा बन जाता है।

२- अवचेतन मन सच, झूठ सही, गलत या कल्पना में अंतर नहीं कर सकता। वह नहीं जानता है कि इसका मतलब क्या होता है भले ही कोई कार्य आपको असंभव या मुश्किल लगता हो लेकिन अगर आप उसे सही तरीके से दोहराते रहेंगे अपने जीवन में उसे फुल फीलिंग के साथ डालते रहेंगे अवचेतन मन उसे सच मान लेगा और पूरा कर देगा। क्योंकि सही और गलत का अंतर वास्तविकता और कल्पना का अंतर हम जानते हैं लेकिन हमारा अवचेतन मन नहीं जानता है।

 अवचेतन मन क्या होता है

व्यक्ति अपनी जिंदगी में जो भी करता है वह सब अवचेतन मन की वजह से ही करता है। अवचेतन मन का इस्तेमाल करके हम जो कुछ भी सीखते हैं वह हम जिंदगी भर करते रहते हैं।

जीवन में व्यक्ति जो भी बड़ा काम करता है और सिर्फ और सिर्फ अपने अवचेतन मन के कारण ही करता है। जिस भी व्यक्ति ने अपने अवचेतन मन पर काबू कर लिया उसके लिए कोई भी बड़ा काम मुश्किल नहीं होता जब हम किसी बड़े काम की प्लानिंग कर लेते हैं लेकिन उसी काम को शुरुआत करते हैं तो बहुत बड़ी मुश्किलें आती हैं। लेकिन उस स्थिति में अगर हमने कोशिश करना बंद कर दिया तो हमने अपने अवचेतन मन को प्राप्त नहीं किया लेकिन उस मुश्किल परिस्थिति में अगर हम अपनी पूरी सोच के साथ लगे रहे तो अपने अवचेतन मन को प्राप्त कर लेते हैं। और धीरे-धीरे वही चीजें हमें आसान लगने लगती है और एक दिन हम उसे प्राप्त कर लेते हैं।

उदाहरण के तौर पर

जब हम साइकिल चलाना सीखते हैं तो हम पहली बार में ही नहीं सीख पाते और ना एक-दो दिन में ही सीख पाते हैं।जब हम लगातार कोशिश करके थोड़ी-थोड़ी साइकिल चलाना प्रारंभ करते हैं धीरे-धीरे साइकिल को चलाते हैं कहां पर हमें रुकना है, कहां ब्रेक लेना है। इसका इस्तेमाल करते हैं। यदि कोई मोड़ आ जाए तो बड़े ध्यान से साइकिल को मोड़ते हैं।

लगातार मेहनत कोशिश और सीखने की जिज्ञासा से कुछ ही दिनों में हम अच्छी तरह से साइकिल चलाना सीख जाते हैं ।फिर न तो हमें मोड़ आने पर डर लगता है ,और ना तेज चलाने पर, और ना ही ब्रेक लगाते समय यह सोचते हैं कि अब हम ब्रेक कब लगाएंगे।

जब कोई व्यक्ति कंप्यूटर पर या टाइपराइटर पर हिंदी या इंग्लिश में टाइप करना सीखता है तो पहले उसको कीबोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों पर ध्यान देना होता है। लेकिन निरंतर प्रयास से लगातार लगे रहने पर एक दिन ऐसा आता है ।जब हमें ना कीबोर्ड की तरफ देखना होता है और ना उन अक्षरों पर ध्यान रखना होता है। हमारा ध्यान चाहे जिस भी तरफ हो हम बिना देखे कुछ भी लिख लेते हैं यह अवचेतन मन ही है।

ठीक उसी प्रकार जब भी आप कोई काम शुरू करते हैं तो मुश्किलें देखकर हार मान लेते हैं।लेकिन उसी समय अगर आपके अंदर उस चीज को करने की इच्छा शक्ति जागृत हो जाए ।उस काम को करने की आपको प्रेरणा देती है तो धीरे-धीरे आप कठिन कार्य को और भी मन लगाकर करने लगते हैं फिर 1 दिन उसे पूरा कर लेते हैं।

 अवचेतन मन के रहस्य

आप चाहे जाग रहे हो या सोए हुए हो आपके अवचेतन मन की रहस्यमई शक्ति आपके शरीर के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करती रहती है। इसमें आपके चेतन मन के किसी तरह की हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती है। जब आप सोते हैं तो आपका हृदय धड़कता रहता है। आपके सीने और फेफड़े की मांसपेशियां फेफड़ों में हवा भरती  और निकलती रहती हैं। आपके शरीर की कोशिकाएं एक काम के कारण निकली कार्बन डाइऑक्साइड के बदलने में ताजी अक्सीजन भर ली जाती है। जिसकी आपको कार्य करने के लिए जरूरत होती है।

आपका अवचेतन मन आपकी पाचन क्रिया और ग्रंथियों के अलावा आपके शरीर के अन्य सभी जटिल कार्यों को भी नियंत्रित करता है। वह सब लगातार होता रहता है चाहे आप जाग रहे हो, चाहे आप सो रहे हो। यदि आपको अपने शरीर के सारे काम चेतन मन से करने पड़े तो आप निश्चित रूप से असफल हो जाएंगे।

शायद व्यक्ति  बहुत जल्दी मर जाए ,यह प्रक्रियाए बहुत जटिल है और आपस में समुचित  तरह से गुथी हुई है किंतु आपका अवचेतन मन इसे आसानी से करता रहता है।

चेतन और अवचेतन मन में अंतर

चेतन और अवचेतन मन के अंतर को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।मान लीजिए आप किसी सुपर सोनिक चैट में बैठकर समुद्र के ऊपर से गुजर रहे हो और आप पायलेट के गेट में घुस जाएं। निश्चित ही आपको हवाई जहाज उड़ाना नहीं आता है। लेकिन आप पायलट का ध्यान भटका कर परेशानी जरूर खड़ी कर सकते हैं। इसी तरह से आपका चेतन मस्तिष्क शरीर को तो नहीं चला सकता लेकिन वह इसके सही तरह से काम करने के रास्ते में बाधा जरूर बन सकता है।

चिंता, तनाव, डर और निराशा यह सभी फेफड़े, हृदय आमाशय और आंतों के सामान्य कार्यों में बाधा डाल सकती हैं।जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से विचलित महसूस करते हैं तो आप जो सबसे अच्छा काम कर सकते हैं वह है शिथिल होना, आराम करना और विचार प्रक्रिया को रोक देना।

आप अपने अवचेतन मन से बातें करें इसे कहें कि यह शांति ,सामंजस्य और दैवीय विधान को स्थापित करें ऐसा करने पर आप पाएंगे कि आपके शरीर की समूची कार्यप्रणाली दोबारा सामान्य हो गई है।

अपने अवचेतन मन से अधिकार और विश्वास के साथ बोले यह आपके आदेश का पालन करके प्रतिक्रिया करेगा आप अपने अवचेतन मन से अपने काम करवा सकते हैं। इसकी खामोश प्रक्रिया को आप देख सुन नहीं सकते ।आप का पाला हर बार अपने अवचेतन मन के बजाय चेतन मन से पड़ता है जबकि सभी महत्वपूर्ण कार्य अवचेतन मन ही करता है।

अपने चेतन मन से आशा करते रहे और यह पक्का करें ,कि आपकी आदत, विचार, अच्छे, सुंदर, सच्चे, न्याय पूर्ण और सद्भावना पूर्ण चीजों पर ही केंद्रित हो। अपने चेतन मन का ध्यान रखें ,इस के विचारों को नियंत्रित रखें और दिल में जान ले कि आपका अवचेतन मन आप ही आदतों विचारों के अनुरूप परिणाम दे रहा है व्यक्त कर रहा है और परिस्थितियां बना रहा है।

जिस प्रकार पानी उसी पाइप का आकार ले लेता है जिसमें वह बहता है ।उसी तरह आपके जीवन के सिद्धांत आपके विचारों की प्रकृति के अनुरूप प्रवाहित होता है। ध्यान रखें आपके अवचेतन की औपचारिक शक्ति आपके भीतर सामंजस्य सेहत शांति सुख और प्रचुरता के रूप में प्रवाहित हो रही है। ज्ञानी व्यक्ति या प्यारे मित्र के रुप में इसकी कल्पना करें दृढ़ता से यकीन करें यह आपके भीतर लगातार प्रवाहित हो रहा है। आपको सजीव, सजग, सक्रिय बना रहा है, प्रेरित कर रहा है, और समृद्ध बना रहा है।

इसकी अवचेतन मन की प्रतिक्रिया भी आपको इसी रूप में प्राप्त होगी क्योंकि वह वैसी ही प्रतिक्रिया देता है जैसा आप चेतन मन से इसमें भरते हैं।जैसा आप सोचेंगे वैसा ही आपको मिलेगा आप किसी प्रक्रिया को बार-बार नियंत्रित करने के लिए सोचेंगे तो आपका अवचेतन मन कुछ समय बाद स्वयं ही उसे नियंत्रित करने लगेगा और आपको आश्चर्य होगा कि आपके सोचने मात्र से यह कार्य होने लगा।

 चेतन मन और अवचेतन मन-chetan man aur avchetan man 

मन के तीन रूप माने गए हैं चेतन, अवचेतन और अचेतन परंतु मन की संख्या इतने तक ही सीमित नहीं है कई बार एक ही मन 3000 बन जाते हैं। कैसे और कब बनता है मन, एक से अनेक, जब कुछ हम सोचते हैं या किसी से बात करते हैं ।तब हमारा एक ही मन सक्रिय रहता है। यहां तक कि जब हम निर्णय लेने के लिए द्वन्द  की स्थिति में रहते हैं। हालांकि तब भी हमें डर लगता है कि हमारे दो मन हो गए हैं। जिसमें से एक हां कर रहा है ,तो दूसरा ना कर रहा है ,लेकिन यहां मन एक ही होता है बस वही मन दो रूप में हो जाता है विभाजित हो जाता है।

चेतन मन वह  है जिसे हम जानते हैं। जिसके आधार पर अपने सारे काम करते हैं या हमारे मन की जागृत अवस्था होती है। विचारों के स्तर पर जितने भी निर्णय या संदेह पैदा होते हैं वह चेतन मन की ही देन होती है ।यही मन सोचता और विचारता है।

लेकिन चेतन मन संचालित होता है अवचेतन और अचेतन मन से।यानी हमारे विचारों और व्यवहार की बागडोर ऐसी अदृश्य शक्ति के हाथ में होती है जो हमारे मन को कठपुतली की तरह नचाती है।

हम जो भी बात कहते हैं सोचते हैं उसके मूल में अवचेतन मन होता है।

अवचेतन मन आधा जाग रहा है ,और आधा सो रहा है। मूल रूप से यह स्वप्न की स्थिति है जिस तरह स्वप्न पर नियंत्रण नहीं होता, उसी प्रकार अवचेतन मन पर भी नियंत्रण नहीं होता। जब हम जाग रहे हैं तो हम फैसला कर सकते हैं ।कि हमें क्या देखना है क्या नहीं। लेकिन सोते हुए हम स्वप्न में क्या देखेंगे या फैसला नहीं कर सकते ,सपने झूठे हो कर भी सच से कम नहीं लगते।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जो इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती। वह अवचेतन मन में आ जाती है। फिर कुछ समय बाद वह अचेतन मन में चली जाती है।भले ही हम उन्हें भूल जाएं लेकिन वह नष्ट नहीं होती हैं।

 अवचेतन मन को कैसे आदेश दे -avchetan man ko kaise aadesh de 

अगर आप विद्यार्थी हैं और चाहते हैं कि सिविल सर्विसेज का इंटरव्यू देने वाले हैं तो इंटरव्यू में सफल होने के लिए आप अपने अवचेतन मन की शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं।इसके लिए आप दिन में जितनी बार संभव हो और रात में सोने से ठीक पहले आंख बंद करके अपने इंटरव्यू को देखें, महसूस करें कि हमारा इंटरव्यू हो रहा है।देखें कि आप कैसे-कैसे कठिन सवालों का कितने आत्मविश्वास से जवाब दे रहे हैं।सवाल-जवाब के दौरान आपके चेहरे पर आत्मविश्वास से भरी एक जरा सी मुस्कान खिली हुई है। इंटरव्यू के जो द्रश्य  आप बार-बार देखेंगे उनमें आपके जो हाव-भाव होंगे वह आपके अवचेतन मन में दर्ज हो जाएंगे ।और जिस दिन वाकई आपका इंटरव्यू हो रहा होगा आपका अवचेतन कोशिश करेगा कि आपके हाव-भाव उसमें दर्ज चित्रों जैसे बने रहें।इस तरह इंटरव्यू में अपने प्रदर्शन को अवचेतन मन की मदद से नियंत्रण में रख सकते हैं।दूसरे कई कार्यो के लिए अवचेतन मन की शक्तियां इसी तरह उपयोग की जा सकती हैं।




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