धरती का स्वर्ग है सुखी परिवार-dharti ka swarg hai sukhi parivar

हंसी  ख़ुशी हँसते खेलते परिवार में ही धरती का स्वर्ग देखने को मिल सकता है और यदि नरक कही देखने को मिलता है तो वह है दुखी परिवार पारिवारिक जीवन को स्वर्ग के समान आनन्द विभोर कर देने वाली परिस्थितियों में परिवर्तन किया जा सकता है

 धरती का स्वर्ग है सुखी परिवार -dharti ka swarg hai sukhi parivar

घर की लक्ष्मी कही जाने वाली बहू चाहे तो घर को खुशियों से भर दे चाहे तो हंसते खेलते परिवार में जहर घोल दे

परिवार ही घर के सदस्यों को आपस में बांधकर रखता है यदि परिवार में अच्छे संस्कार होते है तो परिवार को अच्छी राह  पर ले जाते हैं और उन्हें आदर्श बनाते हैं 
धरती का स्वर्ग है सुखी परिवार-dharti ka swarg hai sukhi parivar





परिवार का अनुशाशन नियम होता है

 जो भटकने नहीं देता और उन्हें अच्छी शिक्षा सिखाता है जीवन जीने का तरीका बताता है घर की परम्परा रीति रिवाज का ध्यान रखते हैं यदि कोई इन बातों पर ध्यान नहीं देता पारिवारिक नियमो को नहीं मानता बल्कि इन्हें बंधन कहता है

 अच्छे संस्कारो को नहीं अपनाता तो इन्हें ढोंग पाखण्ड कहता है परिवार के लोगो के साथ अपनेपन का व्यवहार नहीं करता अपने दायित्व व कर्तव्यों को नहीं निभाता जिस घर में प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा होता है

 वहां के लोग अपने सिवाय किसी को समझना नहीं चाहते एक दूसरे को कस्ट देने में आनन्द महसूस करते हैं जहाँ लोग कस्ट में जी रहे हैं पीड़ा भोग रहे हैं तो इस प्रकार के परिवार को नरक की संज्ञा दी जाती है 

अनंत शक्तियों का भंडार है हमारा शरीर 

आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं 

और हंसी ख़ुशी परिवार अलग ही होता है वहां के लोग अपनी पारिवारिक परम्परा को ध्यान में रखकर एक दूसरे का सम्मान करते हैं आपस में प्यार करते है सभी लोगों में अपनत्व की भावना होती है हमेशा एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहते हैं उनके मन में कुछ लेने की भावना नहीं होती हमेशा देने की भावना होती है

 एक दूसरे को प्रसन्न रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं एक दूसरे का साथ देते हैं किसी को एहसास नहीं होने देते की वह अकेला है अकेले होने पर भी उसे यही लगता है कि परिवार के लोग उसके साथ हैं और सबके चेहरे पर प्रसन्नता व दिलों में संवेदना होती है सबके मन में अपनत्व की भावना रहती है

 ऐसे परिवार को धरती का स्वर्ग कहते है जहाँ खुशियों की नदियाँ बहती हैं बड़ों का उचित सम्मान करते हैं छोटों को प्यार देते है अच्छे संस्कार स्वीकारे जाते हैं यदि कहीं मनमुटाव हो जाय तो उसे आपस में समझा बुझाकर ठीक कर लिया जाता है 

यहाँ इर्ष्या द्वेष की जड़ ही ख़त्म हो जाती है यह है धरती का स्वर्ग सुखी परिवार यहाँ बड़ों के फैसले उनके लिए विवशता या बंधन नहीं होते छोटे लोग भी अपने निर्णय लेने के लिए स्वतन्त्र होते हैं इस तरह का परिवार ही धरती का स्वर्ग है सुखी परिवार है 

न जाने कितने परिवार पारिवारिक विवादों का कारण उजड़ गए कितनो की हत्याएं हो गयी कितने बेघर ही गए इसलिए हमें अपने परिवार में मधुर सम्बन्ध बनाकर  धरती पर स्वर्ग बनाकर आनन्द से रहना चाहिए क्योंकि सुखी परिवार ही धरती का स्वर्ग है 


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